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कोरोना संकट: गुजरात के धमन-1 वेंटिलेटर के कथित स्कैम का क्या है सच

गुजरात में विपक्ष धमन-1 नामक वेंटिलेटर को लेकर सरकार पर घोटाले का आरोप लगा रहा है.

By नितिन श्रीवास्तव
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गुजरात के धमन-1 वेंटिलेटर के कथित स्कैम का क्या है सच

गुजरात के राजकोट शहर की एक कंपनी है 'ज्योति सीएनसी' जिसका दावा है कि "कोविड-19 से लड़ने के लिए उसने एक पहल की है."

'ज्योति सीएनसी' की धमन वेबसाइट का नाम उन 'वेंटिलेटर्स' के नाम पर रखा गया है जिनका निर्माण कंपनी के सीएमडी पराक्रम जाडेजा के 'साहस और दूरदर्शिता के चलते किया गया जिससे कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ जारी जंग में गुजरात प्रदेश और दूसरों की मदद हो सके.'

इसी वेबसाट पर कंपनी के कुछ और भी दावे हैं:

  • धमन-1 वेंटिलेटर्स का निर्माण 'मेक इन इंडिया' मिशन को ध्यान में रखते हुए किया गया है और कोविड-19 से निपटने के लिए गुजरात सरकार को 1,000 'वेंटिलेटर्स' दान दिए जा सकें.
  • 'ज्योति सीएनसी' और 26 दूसरी कंपनियों के 150 प्रोफ़ेशनल्स ने दिन-रात मेहनत कर निर्धारित समयसीमा में इसका निर्माण किया.
  • धमन-1 एक गुजराती शब्द है जिसका पर्याय एक ब्लोअर से है जो हवा पम्प करने का काम करती है.
  • धमन-1 'वेंटिलेटर' की क़ीमत एक लाख रुपये है जो बाज़ार में उपलब्ध दूसरे वेंटिलेटर्स की क़ीमत से 20% से भी ज़्यादा कम है.

इन दावों के बीच कंपनी ने एक लाइन और लिखी है और वो ये है कि "हम वेंटिलेटर्स बनाने के एक्सपर्ट नहीं हैं लेकिन देश में इसकी मौजूदा मांग को देखते हुए हमने इस नशीन का प्लान और निर्माण किया."

'ज्योति सीएनसी' के ये सभी दावे, धमन-1 की वेबसाइट पर, उस विवाद के बावजूद मौजूद हैं जिसकी वजह से कोरोना वायरस जैसी बीमारी के प्रकोप के बीच भी गुजरात में राजनीति उफ़ान पर है.

गुजरात के धमन-1 वेंटिलेटर के कथित स्कैम का क्या है सच

वेंटिलेटर्स क्यों ?

साल 2019 ख़त्म होते-होते चीन के वुहान शहर से कोरोना वायरस के मामले बढ़ने शुरू हुए थे.

एशिया के अलावा यूरोप, अमरीका और दक्षिण अमरीका में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे थे और 30 जनवरी को बीमारी ने भारत में भी दस्तक दे दी.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़, "कोविड-19 के इलाज की फ़िलहाल तो कोई वैक्सीन नहीं है, लेकिन जिन संक्रमित मरीज़ों को हॉस्पिटल में भर्ती कराने की ज़रूरत पड़ती हैं, उनमें से ज़्यादातर को साँस लेने में तकलीफ़ की शिकायत बढ़ी हुई होती है."

दुनिया के सभी देशों में कोविड-19 के की वजह से अस्पताल में भर्ती जिन मरीज़ों की रिकवरी हुई, उनमें ज़्यादातर को वेंटिलेटर- साँस लेने और शरीर के अभिन्न अंगों में ऑक्सीजन-ब्लड सप्लाई को मदद करने वाली मशीन की ज़रूरत पड़ी.

तो कोरोना वायरस के संक्रमण के साथ ही वेंटिलेटर्स की मांग भी एकाएक बढ़ती चली गई.

गुजरात के धमन-1 वेंटिलेटर के कथित स्कैम का क्या है सच

मामला क्या है?

कोरोना वायरस से निपटने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन जारी था और इसी बीच 4 अप्रैल को राजकोट की कंपनी 'ज्योति सीएनसी ऑटोमेशन लिमिटेड' के सीएमडी पराक्रम जाडेजा ने ऐलान किया कि "धमन-1 वेंटिलेटर्स का निर्माण शुरू हो चुका है, 1,000 वेंटिलेटर्स गुजरात सरकार को दिए जाएँगे. उसी दिन यानी शनिवार को इसे अहमदाबाद के एक मरीज़ पर सफलतापूर्वक टेस्ट कर लिया गया है."

ख़बर आग की तरह फैली और न सिर्फ़ स्थानीय बल्कि भारत की राष्ट्रीय मीडिया में भी प्रमुखता से दिखी क्योंकि ख़ुद उसी दिन गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में इसका 'उद्घाटन कर दिया' और इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं.

इसके बाद विजय रूपाणी ने पत्रकारों को बताया, "मुझे ख़ुशी है कि वेंटिलेटर बनाने में भी हमारे गुजरात के उद्योगपति कामयाब हुए. ये सर्टिफ़ाई हो गया है और सुबह से मशीन एक मरीज़ पर काम भी कर रही है. इससे गुजरात में तो वेंटिलेटर की कमी ख़त्म होगी ही, उसके अलावा भारत के दूसरे राज्यों में भी इसकी सप्लाई हो सकेगी."

इसके कुछ दिन बाद ही बीबीसी गुजराती से हुई बातचीत में ज्योति सीएनएस की कॉरपोरेट कॉम्युनिनिकेशंस प्रमुख शिवांगी लखानी ने कहा, "कोविड-19 के मरीज़ों को प्रेशर बेस्ड वेंटिलेटर चाहिए और इसी तकनीक को ध्यान में रखते हुए धमन-1 को बनाया गया है. महाराष्ट्र सरकार ने हमसे धमन-1 मँगवाए हैं और अमरीका, ईरान, कीनिया, पुर्तगाल, कज़ाक़िस्तान और फ़्रांस ने भी हमसे सम्पर्क किया है."

12 अप्रैल को हुई इस बातचीत में जब शिवांगी से इस वेंटिलेटर की टेस्टिंग के बारे में पूछा गया तो जवाब मिला, "हमने अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में वेंटिलेटर रखा और उसके पहले गांधीनगर की EQDC (Electronics and quality development centre) पर गुणवत्ता प्रमाणपत्र के लिए भेजा था. उन्होंने जो प्रमाणपत्र दिया उसके बाद सिविल हॉस्पिटल में रखा गया था. हमें सिविल अस्पताल से अच्छे प्रतिभाव मिले है. वहां के मेडिकल स्टाफ़ ने टेस्टिंग कर ली है."

गुजरात के धमन-1 वेंटिलेटर के कथित स्कैम का क्या है सच

फिर विवाद क्यों

धमन-1 के ऊपर विवाद का साया तब से गहराया जब 14 मई को गुजरात के उप-मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री नितिनभाई पटेल अहमदाबाद सिविल अस्पताल के दौरे के पर गए और डाक्टरों के साथ एक बैठक भी हुई.

15 मई को सिविल अस्पताल (जो सिर्फ़ गुजरात ही नहीं भारत का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है) के डाक्टरों ने नितिनभाई पटेल के साथ हुई बैठक का हवाला देते एक पत्र लिखकर सरकार से एक 'अत्यावश्यक गुहार' लगाई.

इस पत्र में लिखा था, "आईसीयू में कोरोना संक्रमित मरीज़ों के उपचार के लिए धमन-1 और एजीवीए (दिल्ली की एक कम्पनी द्वारा बनाए गए वेंटिलेटर) मुहैया कराए गए थे. सिविल अस्पताल के एनेस्थीसिया विभाग के डॉक्टरों का कहना है कि दोनों ही वेंटिलेटर्स मरीज़ों पर सफल साबित नहीं हो रहे हैं. हमें हाई-एंड आइसीयू वेंटिलेटर्स की तुरंत ज़रूरत है."

मीडिया में तेज़ी से छपी इस ख़बर ने खलबली मचा दी और गुजरात सरकार ने तुरंत ही एक प्रेस वार्ता में धमन-1 वेंटिलेटर का बचाव किया.

प्रदेश की स्वास्थ्य सचिव जयंती राव ने कहा, "धमन-1 को भारत सरकार द्वारा गठित एक हाई-पावर्ड कमिटी ने ठीक पाया."

उन्होंने आगे कहा, "जब गुजरात को ज़रूरत थी, तब उन्हें धमन-1 के उत्पादक ने 1,000 वेंटिलेटर देने का वायदा किया था और 866 दे दिए हैं. वेंटिलेटरों पर काम जारी है, मगर मौजूदा वेंटिलेटर मरीज़ों के लिए सहायक है."

गुजरात के धमन-1 वेंटिलेटर के कथित स्कैम का क्या है सच

बहरहाल, सरकार के इस दावे को ख़ारिज करते हुए अहमदाबाद मेडिकल एसोसिएशन के सदस्य और जाने-माने एनेस्थेटिस्ट डॉक्टर बिपिन पटेल ने बीबीसी के लिए लिखने वाले वरिष्ठ पत्रकार भार्गव पारीख को बताया, "धमन-1 वेंटिलेटर सही में वेंटिलेटर नहीं हैं. इस में रेस्पिरेशन सेट करने के लिए और मरीज़ को कितनी मात्रा में ऑक्सीजन देनी चाहिए, उसके मीटर नहीं हैं. इसमें ह्यूमिडिटी नाप की कोई मात्रा नहीं हैं."

उनका दावा है, "वास्तव में जब भी कोई ऑपरेशन होता है या मरीज़ को साँस लेने में दिक़्क़त हो तो हम एनेस्थेटिस्ट वेंटिलेटर का उपयोग करते हैं. इसके कारण कोई भी ऑपरेशन के दौरान या मरीज़ की क्रिटिकल हालत के दौरान उसके मसल्स रिलैक्स रहें और हार्ट को ऑक्सीजन आसानी से मिलने में कोई दिक़्क़त न हो. धमन-1 वेंटिलेटर में ऐसी सुविधा नहीं होने के कारण मरीज़ों को दिक्कत आ सकती हैं. इस वजह से ये मरीज़ के लिए घातक भी हो सकता है."

इस बात के आरोप बढ़ने लगे कि धमन-1 "दरअसल वेंटिलेटर नहीं बल्कि एक एएमबीयू (आर्टिफ़ीशियल मैन्यूएल ब्रीदिंग यूनिट) मशीन है."

गुजरात में विपक्षी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमित चावड़े का आरोप है, "जिन्हें वेंटिलेटर्स बताकर मरीज़ों का इलाज करने में लगा दिया गया, वो सस्ते ऑक्सीजन बैग भर हैं और मुख्यमंत्री ने अपने जान-पहचान वालों का फ़ायदा कराने के लिए इसे ओके कर दिया."

गुजरात के विपक्षी दलों ने लगातार मामले की न्यायिक जाँच होने की मांग दोहराई है.

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शंकरसिंह वाघेला ने बीबीसी से कहा, "अहमदाबाद में जिस तरह कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, उसमें प्रशासनिक लापरवाही साफ़ दिख रही है. ऐसी गम्भीर चीज़ों से निपटने में भी सरकार के भीतर मतभेद दिख रहे हैं ग़लत राय का पालन हो रहा है. इतने सस्ते और जल्दी बने वेंटिलेटर्स से मरीज़ों की जान से खिलवाड़ का क्या मतलब है".

हालाँकि गुजरात की भाजपा सरकार के स्वास्थ्य मंत्री नितिन भाई पटेल और गुजरात के स्वास्थ्य आयुक्त ने हमारे कई फ़ोन कॉल्स ये कहकर काट दिए, "अभी हम मीटिंग में है, प्लीज़ बाद में बात करिए."

लेकिन सरकार ने इससे पहले विपक्ष के सभी आरोपों का खंडन किया है और इन्हें "राजनीति से प्रेरित बताया है".

इस बीच धमन 1 मशीनों का ऑर्डर दे चुके पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने एक प्रेस वार्ता कर अपने ऑर्डर रद्द करने का फ़ैसला लिया है.

गुजरात के धमन-1 वेंटिलेटर के कथित स्कैम का क्या है सच

धमन-1 एएमबीयू या वेंटिलेटर ?

गुजरात में अब तक कोरोना के कुल मामले 17,000 पार कर चुके हैं और इस वायरस से मरने वालों की तादाद 1,000 से ऊपर है.

राज्य के क़रीब 70% मामले राजधानी अहमदाबाद और आस-पास रिपोर्ट हुए हैं.

लेकिन इस बीच धमन-1 वेंटिलेटर्स की उपयोगिता और प्रामाणिकता पर विवाद ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा है.

हालाँकि ये साबित नहीं हो सका है कि असल में धमन-1 एएमबीयू बैग है या वेंटिलेटर, लेकिन मेडिकल एक्सपर्ट्स की राय है कि दोनों में बड़ा फ़र्क़ होता है.

डॉक्टर मिनेश पटेल, अहमदाबाद के सीआईएमएस अस्पताल के आइसीयू के कोविड-19 वार्ड के इंचार्ज हैं और दोनों मशीनों में अंतर बताते हैं.

उन्होंने कहा, "एएमबीयू बैग साधारण मरीज़ों को ऑक्सीजन देने वाली मशीन होती है और ये एक आमतौर पर किसी मरीज़ को वेंटिलेटर पर डालने के पहले दी जाती है. एएमबीयू बैग सिर्फ़ 3-6 मिनट तक दिए जाने वाले ऑक्सीजन सपोर्ट के लिए होती है. लेकिन अगर आप मरीज़ को घंटों या कुछ दिनों तक ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखना चाहते हैं तो वेंटिलेटर ही उसका ज़रिया है."

हालांकि गुजरात सरकार ने बाद में कई दफ़ा इस बात को दोहराया है कि, "धमन-1 के बाद इसे अपग्रेड करने की प्रक्रिया जारी है."

जानकारों का मानना है कि "वेंटिलेटर्स जैसे मेडिकल उपकरणों का बेहतरीन होना अनिवार्य है."

गुरुग्राम के नारायणा सुपर स्पेशियाल्टी अस्पताल में कार्डिएक क्रिटिकल केयर के कंसलटेंट डॉक्टर जितिन नरूला का मत है कि जिन मरीज़ों को वेंटिलेटर्स की ज़रूरत पड़ती है, उनके फेफड़े पहले से ही सख़्त हो चुके होते हैं और वेंटिलेटर की किसी कमी से और ज़्यादा नुक़सान हो सकता है.

उन्होंने कहा, "आसानी से या सस्ते में मिलने जाने वाले वेंटिलेटर्स के बजाय उन वेंटिलेटर्स को इस्तेमाल करना चाहिए, जिनके भरोसेमंद होने की प्रमाणिकता साबित हो चुकी हो."

ग़ौरतलब ये भी है कि मामले पर बड़ा विवाद खड़ा हो जाने के बाद ज्योति सीएनसी के सीएमडी पराक्रम जाडेजा ने बीबीसी से कहा, "धमन-1 वेंटिलेटर बनाने में हमने सभी मानक फॉलो किए हैं. हमने ISO 86101 और IEC 60601 मानकों का पालन किया है. मिशिगन की कंपनी के आधार पर बनाया है हमने सभी ज़रूरी मंजूरी ले ली हैं, मगर देश की आयात लॉबी हमें परेशान कर रही है. वे नहीं चाहते कि एक स्वदेशी कंपनी इस मार्केट में आए."

वेंटिलेटर्स की गुणवत्ता पर अहमदाबाद के सीआईएमएस अस्पताल के आइसीयू के कोविड-19 वार्ड के इंचार्ज डॉक्टर मिनेश पटेल एक अहम बात की ओर इशारा करते हैं.

उन्होंने कहा, "जैसे किसी भी दवा के साथ होता है, वैसे ही वेंटिलेटर के साथ भी होता है. कई दफ़ा दवाओं के ट्रायल होने के बाद ही मार्केट में आती हैं. उनके लिए यूएसएफ़डीए या आइसीएमआर वग़ैराह की मंज़ूरी सभी लेनी पड़ती है. बतौर एक डॉक्टर हम ये नहीं कह सकते क्या इस्तेमाल करें क्या न करें. आमतौर पर इस्तेमाल वहीं करते हैं जो सभी करते हैं."

लेकिन 5 सवालों के जवाब मिलने अभी बाक़ी हैं:

  • सिर्फ़ एक मरीज़ पर ट्रायल के बाद ही धमन-1 की सप्लाई अस्पतालों में क्यों शुरू हो गई?
  • धमन-1 के पास डीजीसीआई (ड्रग कंट्रोलर जनरल आफ़ इंडिया) का लाइसेंस क्यों नहीं है?
  • भारत के 'मेडिकल डिवाइस नियमों, 2017', के अनुसार क्या धमन-1 की टेस्टिंग के लिए एथिकल कमिटी का गठन हुआ?
  • जिन 866 धमन 1 मशीनों की सप्लाई गुजरात के अस्पतालों में हुई, उनमें से कोविड-19 आईसीयू में कितने मरीज़ों पर इसका उपयोग हुआ और मशीनों का इस्तेमाल शुरू होने के बाद उन अस्पतालों में कोरोना संक्रमण से मरने वालों की तादाद कितनी है?
  • अगर धमन-1 वाक़ई में 'एक सस्ती लेकिन असरदार वेंटिलेटर मशीन है तो फिर अब भारत के दूसरे राज्यों में इसकी सप्लाई क्यों नहीं हो रही जबकि विदेशों से वेंटिलेटर आयात करने के ऑर्डर दिए जा रहे हैं?
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English summary
Corona Crisis: What is the truth of the alleged scam of Gujarat's Dhaman-1 ventilator
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