कोरोना संकटः मनरेगा मजदूरों की दिहाड़ी 182 से बढ़ाकर 202 रुपए की गई!
दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने कोरोना संकट से निपटने के लिए देश में 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा से प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित गरीब और दिहाड़ी मजदूरों के साथ-साथ गांवों में रहने वालों परिवारों की मदद के लिए 1 लाख 70 हजार करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा की।
सरकारी राहत पैकेज में सरकार ने मनरेगा मजदूरों की दिहाड़ी 182 रुपए से बढ़ाकर 202 रुपए कर दी गई है, जिससे 5 करोड़ लोगों को फायदा मिलेगा और प्रति माह उनकी आय 2000 रुपए बढ़ेगी। इसके अलावा सरकारी राहत पैकेज में कंस्ट्रक्शन से जुड़े 3.5 करोड़ मजदूरों के लिए 31,000 हजार रुपए के फंड का सदुपयोग किया जाए। इसके लिए राज्य सरकारों से कहा जाएगा।
वहीं, गरीब वरिष्ठ नागरिकों, विधावाओं और दिव्यांगों को तीन महीने तक अतिरिक्त 1,000 रुपए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिए दिया जाएगा। वहीं, महिला जन-धन खाताधारकों को 500 रुपए राशि उनके खाते में भेजी जाएगी, जिससे 20 करोड़ महिलाओं को तात्कालिक लाभ होगा।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने यह भी घोषणा की है कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 80 करोड़ गरीबों और दिहाड़ी मजदूरों को खाद्य राहत दी जाएगी। इसके तहत जिन लाभार्थियों को 5 किलो गेहूं या चावल पहले से मिलता था, अब उन्हें 5 किलोग्राम अतिरिक्त गेंहू या चावल सरकार अगले तीन महीने तक मुफ्त में देगी।
इसके अलावा सरकार लाभार्थियों को अगले तीन महीने उनकी पसंद का 1 किलो दाल भी मुफ्त मुहैया कराएगी। राहत की घोषणा करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए घोषित 21 दिनों लॉकडाउन के दौरान सरकार किसी को भूखा नहीं रहने देगी, बल्कि हर किसी को अन्न मिलेगा।
इससे पहले, वित्त मंत्री ने कोरोना वायरस के इलाज में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपनी भूमिका निभा रहे हैं योद्धाओं को 50 लाख का बीमा कवर देने का ऐलान किया है। इनमें डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ, सफाई कर्मचारी आदि सभी शामिल हैं।
राहत पैकेज में किसानों के लिए भी राहत की घोषणा ऐलान किया गया है। जिन किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि के तहत 6000 रुपए मिलते हैं,अब उन्हें सरकार 2,000 रुपए सीधे तौर पर देने जा रही है। इससे 8.69 करोड़ किसानों को लॉकडाउन के कठिन समय में मदद मिलेगी। किसानों को यह पैसे अप्रैल के पहले हफ्ते में सीधे उनके खाते में मिलेंगे।
गौरतलब है कि 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा के बाद गरीब, किसान और मजूदर वर्ग जीवन खतरे में आ गया है, जो रोजाना की दिहाड़ी मजदूरी से अपना और अपने परिवार को गुजर-बसर करते थे, लेकिन कोरोना संकट के चलते सरकार द्वारा लॉकडाउन की घोषणा के बाद उनकी जिंदगी में ठहराव सा गया है और उनके भूखे मरने की नौबत तक आ गई थी। ऐसे समय में सरकार द्वारा एक बड़े वर्ग समूह को राहत प्रदान करने की कोशिश की गई है।
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