क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

कोरोना संकट: परीक्षाओं में कंप्टीशन करने वाले अब 'भूख' से लड़ने को मजबूर

"सर, हमारी मदद करिए. हमारा घर गिरिडीह है. पटना में रहकर मेडिकल की तैयारी करते हैं. अचानक हुए लॉकडाउन के कारण फंस गए हैं. घर जा नहीं पाए. राशन खत्म है. जो पैसे थे, उससे किसी तरह हफ्ता भर चला लिए. अब पैसे भी नहीं हैं." "ट्यूशन पढ़ाकर खर्च निकालते थे, वह भी बंद हो गया. घर से भी किस मुंह से मांगें! पिताजी मज़दूरी करके कमाते हैं. उनका भी काम बंद है."

By नीरज प्रियदर्शी
Google Oneindia News
जुनैद
Neeraj Priyadarshi/BBC
जुनैद

"सर, हमारी मदद करिए. हमारा घर गिरिडीह है. पटना में रहकर मेडिकल की तैयारी करते हैं. अचानक हुए लॉकडाउन के कारण फंस गए हैं. घर जा नहीं पाए. राशन खत्म है. जो पैसे थे, उससे किसी तरह हफ्ता भर चला लिए. अब पैसे भी नहीं हैं."

"ट्यूशन पढ़ाकर खर्च निकालते थे, वह भी बंद हो गया. घर से भी किस मुंह से मांगें! पिताजी मज़दूरी करके कमाते हैं. उनका भी काम बंद है."

"सर प्लीज... कम से कम खाने का प्रबंध करा दीजिए. भूखे पेट पढ़ाई नहीं हो पा रही, और अगर नहीं पढ़े तो अब तक की सारी तैयारी बेकार चली जाएगी."

पटना के सुल्तानगंज इलाक़े में किराए के एक कमरे में रहकर जुनैद पिछले दो सालों से मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं.

बीबीसी से फ़ोन पर बात करते हुए जुनैद बिना रुके यह सब बोलते जा रहे थे. बोलते-बोलते वो रोने लगे. खाने का संकट उनकी आवाज़ से महसूस हो रहा था.

पटना सिटी के अलग-अलग इलाक़ों में, महेंद्रू में अब्दुल रहमान, पटना सिटी में तौसिफ़ अंसारी, लोहानीपुर में मंटु यादव, मनीष कुमार और दूसरे कई छात्रों ने हमें फ़ोन पर अपनी समस्याएं बताई.

लेकिन ये समस्याएं केवल कुछ छात्रों की ही नहीं है, बल्कि उन सैकड़ों छात्रों की है, जो अपने घर-परिवार को छोड़ बिहार की राजधानी किराए के कमरे या लॉज में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं, मगर अचानक हुए लॉकडाउन के कारण बुरी तरह फंस गए हैं.

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी का केंद्र है पटना

पटना में बैंकिंग, रेलवे, एसएससी, पीएससी, मेडिकल और इंजीनियरिंग की परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले कोचिंग संस्थानों का विशाल नेटवर्क है. इनकी संख्या हज़ारों में है.

देखा जाए तो यह शहर पिछले कुछ सालों के दौरान पूर्वी भारत में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने का केंद्र बन गया है.

न केवल बिहार के, बल्कि सीमावर्ती दूसरे अन्य राज्यों के सुदूर ग्रामीण इलाकों के छात्र भी पटना आकर महेंद्रू, गायघाट, एनआईटी, कंकड़बाग के इलाकों में बेहद मामूली खर्चे के साथ रहकर तैयारी करते हैं.

लॉकडाउन के बाद जब कठिनाइयां होने लगीं तो जिन छात्रों का घर पटना से करीब था, वे तो किसी तरह अपने घर चले गए, लेकिन जिनका घर दूर है वैसे कई छात्र अब भी फंसे हुए.

छात्र
Getty Images
छात्र

भूख से कंप्टीशन

महेंद्रू में एनआईटी पटना के पास किराए का एक कमरा लेकर रह रहे यूपीएससी और बीपीएससी की परीक्षाओं कर रहे तौहिद रज़ा कहते हैं, "चाहे पैसा हो या खाने का सामान हो, हम छात्रों के पास सब कुछ सीमित ही रहता है. लॉकडाउन होने के बाद हफ़्ते भर तक उससे चल गया. लेकिन अब पिछले तीन-चार दिनों से सही से खाने को तरस गए हैं."

तौहिद कहते हैं, "गांव से आए छात्र घर से अनाज लाते हैं तो महीने भर खाते हैं. ज़्यादातर के पिता या अभिभावक खेती-किसानी का काम करते हैं. इसलिए घर से पैसे भी नहीं मंगा पा रहे."

"परिवार आर्थिक रूप से उतना मजबूत नहीं है.अब लॉकडाउन में न तो कोई साधन है घर आने-जाने का. ना हिम्मत कर रही घरवालों से पैसा मांगने की."

अब्दुल रहमान
Neeraj Priyadarshi/BBC
अब्दुल रहमान

ट्यूशन बंद, पैसा ख़त्म

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले अधिकांश छात्र अपने महीने का ख़र्च प्राइवेट ट्यूशन पढ़ाकर निकालते हैं. लेकिन इन दिनों ट्यूशन बंद है.

गिरीडीह के रहने वाले अब्दुल रहमान कहते हैं, "हमारे साथ तो ऐसा हुआ है कि पिछला पैसा भी नहीं मिल पाया. जिस घर में ट्यूशन पढ़ाते थे, उसका दरवाज़ा अब बंद हो गया है. वो लोग फ़ोन नहीं उठाते. और ऐसा केवल हमारे ही साथ नहीं, कई ‌स्टूडेंट्स के साथ हुआ है."

अब्दुल ने कहा, "बचे-खुचे जो पैसे थे, इतने दिनों में वो भी ख़त्म हो गए. घर भी नहीं जा सकते. कम से कम वहां पैसों की जरूरत नहीं पड़ती."

घरवाले बुला रहे, मगर जाएं कैसे?

पटना के लोहानीपुर में एक‌ साथी के साथ कमरा शेयर कर रह रहे गिरीडीह के मंटू यादव के पिता उन्हें जब भी फ़ोन करते हैं, बस एक ही बात कहते हैं, किसी तरह घर चले आओ.

फ़ोन पर ही हमारी भी उनसे बात हुई. पिता कहते हैं, "वहां जितना दिन रहेगा,‌ उसका ज़्यादा खर्च होगा. इसलिए बेहतर है कि घर आ जाता कोई उपाय लगाकर. कम से कम यहां खाने का संकट तो नहीं होता."

मंटू के बड़े भाई संजय कुमार यादव हैदराबाद में रहकर‌ प्राइवेट नौकरी करते है.‌ छोटे भाई के पढ़ाई का ख़र्च ‌वही भेजते हैं. वो कहते हैं, "अब भाई की क्या ही मदद करें, हम तो ख़ुद फंस गए हैं. काम बंद है. घरवाले तो बुलाते हैं, लेकिन जाएं भी तो जाएं कैसे!"

जुनैद और दूसरे तमाम छात्रों से बात करने के बाद उनकी जानकारी हमने मंगलवार की रात निकटवर्ती थाने (सुल्तानगंज) को दे दी थी.

सुल्तानगंज थाना प्रभारी ने सुबह तक छात्रों तक मदद पहुंचाने का आश्वासन दिया. खाने का पैकेट लेकर पुलिस शाम चार बजे वहां पहुंची.

फंसे हुए छात्र पुलिस को सूचना दें

छात्रों की समस्याओं को लेकर हमने बात की पटना ईस्ट सिटी एसपी जितेंद्र कुमार से. उन्होंने कहा, "पटना पुलिस हरसंभव प्रयास कर रही है कि शहर का कोई आदमी भूखा न रहे."

"हम तैयारी करने वाले छात्रों को कैसे छोड़ सकते हैं. हमें पता है कि इन्हीं में से छात्र एक दिन हमारी तरह अफ़सर बनकर आएंगे. इसलिए हमारी ज़िम्मेदारी बन जाती है कि पुलिस अफ़सर होने के नाते हम उन्हें मदद कर सकें, प्रेरित कर सकें."

जितेंद्र कुमार कहते हैं, "ऐसा कोई छात्र जो पटना में फंसा हो. उसे खाने-रहने में दिक्कत आ रही हो, वह अपने निकटवर्ती थाने को जानकारी और पते के साथ सूचित करे. पटना पुलिस ने जिम्मेदारी ली है कि वह सबको सुबह-शाम खाना खिलाएगी और रहने का भी इंतजाम देखेगी. छात्र चाहें तो सीधे मुझसे भी अपनी जानकारियां शेयर कर सकते हैं. "

छात्र जो 'छात्र' की श्रेणी से बाहर निकल गए हैं

लॉकडाउन में फंसे छात्र जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं, उनके अंदर इस बात का बहुत दुख है कि सरकार और प्रशासन के साथ-साथ मीडिया का ध्यान भी उनकी ओर नहीं है.

मनीष कुमार

गिरीडीह के एक गांव से रेलवे और बैंकिंग की परीक्षाओं की तैयारी करने पटना आए मनीष कुमार कहते हैं, "क्या आपने अब तक कोई ऐसी रिपोर्ट पढ़ी, देखी या सुनी है इस लॉकडाउन में, जिसमें हमारा ज़िक्र हो? आख़िर हम मदद मांगें भी तो किससे?"

मनीष की बात सही भी है. क्योंकि लॉकडाउन होने से सब जगह मजदूर, गरीब, काम- धंधा, कल-कारखाना, अर्थव्यवस्था आदि पर असर पड़ने की बात कही जा रही है. प्रशासन ने स्कूलों - कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए व्यवस्था की है. उनके लिए ऑनलाइन क्लास और छात्रवृत्ति दी जा रही है.

अंत में वे कहते हैं, "सच पूछिए तो हमें न ही छात्र की कैटेगरी में रखा जा गयाहै, ना ही हम बेरोजगारों की लिस्ट में शामिल हैं. इसलिए सरकार से भी एक पैसे की मदद की उम्मीद नहीं है."

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Corona crisis: Competitors in examinations now forced to fight hunger
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X