जगन्नाथ पुरी मंदिर के पुरातात्विक खजाने का ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार सर्वे शुरू होते ही विवाद
नई दिल्ली, 22 मई। 12वीं शताब्दी के प्राचीन श्री जगन्नाथ मंदिर पुरी के आसपास किसी पुरातात्विक खजाने की खोज में ओडिशा सरकार के ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार सर्वे (GPRS) शुरू होते ही एक विवाद खड़ा हो गया है।
पुरी मंदिर के आसपास ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार सर्वे ने एक बड़े राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने पुरी के सांसद पिनाकी मिश्रा पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके झूठ का पर्दाफाश हो चुका है। इससे पहले शनिवार की देर रात कुछ विशेषज्ञों द्वारा परियोजना स्थल पर गुप्त जीपीआर सर्वेक्षण के संचालन के बारे में रिपोर्ट सामने आने के बाद पात्रा ने दावा किया था कि कॉरिडोर परियोजना की जीपीआर गणना की गई थी।
संबित पात्रा ने कहा कि सांसद पिनाकी मिश्रा ने यह कहावत साबित कर दी है कि की जरूरत होती है। संबित पात्रा ने कहा कि हाल ही में पुरी में एमार मठ के परिसर में खुदाई में शेर जैसी एक विशाल प्राचीन पत्थर की मूर्ति का पता चलने के बाद एक प्रेस कांफ्रेंस की। जिसमें उन्होंने सरकार पर कई आरोप लगाए। पात्रा ने कहा कि गहरी खुदाई कार्य करने से पहले मंदिर के चारों ओर जीपीआरएस नहीं कराया गया। सरकार ने सर्वे की खामियां छिपाने के लिए जल्दबाजी में साइट पर खुदाई का काम शुरू कर दिया।
सांसद पिनाकी मिश्रा ने इस पर संबित पात्रा की जमकर खिंचाई की थी। उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि जीपीआरएस विधिवत किया गया था और इसको लेकर लगाए गए आरोप निराधार हैं। इसकी पुष्टि के लिए उन्होंने जीपीआरएस के दौरान खुदाई के दस्तावेज सार्वजनिक करने की बात कही थी। सांसद ने आगे कहा कि मामले में हाईकोर्ट में दाखिल होने वाला हलफनामा इन सभी पहलुओं को स्पष्ट करेगा। सांसद ने कहा कि इतिहास इन लोगों की पहचान ऐसे लोगों की रुप में करेगा जो पुरी मंदिर के विकास, सुरक्षा और संरक्षण कार्यों में बाधा डाल रहे थे। उन्होंने ऐसे लोगों को धोखेबाज स्वार्थी लालच और द्वेष से भरा हुआ बताया।
दरअसल, 800 करोड़ की श्री मंदिर परिक्रमा परियोजना (SMPP) के निर्माण कार्य के महीनों बाद ओडिशा सरकार ने मिट्टी के नीचे किसी भी पुरातात्विक खजाने का पता लगाने के लिए ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार सर्वे (जीपीआरएस) शुरू किया। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार ओडिशा ब्रिज कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (OBCC) राज्य सरकार की नामित एजेंसी है जो एसएमपीपी को लागू करती है। इस एजेंसी ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के साथ मिलकर जीपीआरएस के लिए जियोकार्टे रडार टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड को तैनात किया। अधिकारियों का कहना कि सर्वे को लेकर दिशानिर्देशों के मुताबिक इसे निर्माण शुरू होने से पहले किया जाना चाहिए था।
एएसआई की संयुक्त सर्वे रिपोर्ट के अनुसार जिस स्थल पर खुदाई हुई वहां कई जगह कटिंग से देखा गया। इससे मंदिर को क्षति होने की आशंका है। यह भी कहा गया कि ओबीसीसी अधिकारियों को मिट्टी हटाने की विधि और खुदाई के सांस्कृतिक निष्कर्षों के बारे में पता नहीं था।
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वहीं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने उड़ीसा उच्च न्यायालय को सूचित किया था, जो जगन्नाथ मंदिर के चारों ओर विवादास्पद निर्माण से संबंधित एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है। जिसमें कहा गया है कि वहां पर पुरातात्विक और ऐतिहासिक महत्व का पता लगाने के लिए कोई जीपीआरएस नहीं किया गया है। केंद्र द्वारा संरक्षित स्मारक के 75 मीटर रेडियस के क्षेत्रफल में किसी प्रकार की खुदाई नहीं हुई है।