कोरोना के इलाज के लिए डोनाल्ड ट्रंप की दी गई दवाओं में 'Regeneron'पर छिड़ा विवाद, ये है वजह
कोरोना के इलाज के लिए डोनाल्ड ट्रंप की दी गई दवाओं में 'Regeneron'पर छिड़ा विवाद, ये है वजह
वॉशिगंटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कोरोना वायरस (Donald Trump Coronavirus) संक्रमण की वजह से चार दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहने के बाद वापस लौट आए हैं। ट्रंप ने वापस आने के बाद कहा कि कोरोना से डरने की जरूरत नहीं है। ट्रंप ने अस्पताल से आने के बाद एक वीडियो जारी किया, जिसमें उन्होंने वैसी दवाओं के बारे में बताया, जिससे उन्हें कोरोना से ठीक होने में मदद मिली है। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि बाकी अन्य दवाओं के साथ उन्हें Regeneron REGN-COV2 दी गई थी, जो काफी ज्यादा असरदार था। ट्रंप ने Regeneron की दवा को कोरोना का संभावित इलाज तक बता दिया है। इसके बाद से ही Regeneron की दवा को लेकर विवाद छिड़ गया है।
पहला विवाद- ट्रंप को दी गई दवा में गर्भपात की कोशिकाओं का इस्तेमाल
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द गार्जियन के मुताबिक डोनाल्ड ट्रंप को दी गई एंटीबॉडी कॉकटेल, जिसको राष्ट्रपति ने संभवत कोरोना का इलाज बताया है, वह मूल रूप से गर्भपात से प्राप्त मानव कोशिकाओं का उपयोग करके बनाया गया है। ट्रंप को दिए जाने वाले प्रायोगिक एंटीबॉडी कॉकटेल को डेवलप करने में भ्रूण स्टेम सेल का इस्तेमाल किया जाता है। ट्रंप इन दवाओं का इस्तेमाल करने के बाद विवादों में आए गए हैं...क्योंकि ट्रंप ने खुद अमेरिका में गर्भपात को बैन करने की बात की थी।
दवा विकसित करने के लिए उपयोग की जाने वाली स्टेम कोशिकाओं को HEK-293T कोशिकाओं के रूप में जाना जाता है। इन कोशिकाओं को मूल रूप से 1970 के दशक में नीदरलैंड में किए गए एक वैकल्पिक गर्भपात के बाद एक भ्रूण के गुर्दे से प्राप्त किया गया था।
ट्रंप लगातार करते आए हैं गर्भपात का विरोध
ट्रंप लगातार गर्भपात का विरोध करते आए हैं और उसे बैन करने की मांग की है। जिसका सबसे ताजा उदाहरण है जब ट्रंप ने पिछले महीने रूढ़िवादी कैथोलिक जज एमी कोनी बैरेट को सर्वोच्च न्यायालय में नामित किया था। गर्भपात विरोधी आंदोलन ट्रंप के सबसे अहम चुनावी एजेंडों में से एक था।
2020 में रिपब्लिकन पार्टी अधिकारिक रूप से भ्रूण स्टेम सेल अनुसंधान का विरोध करता है, और भ्रूण स्टेम सेल अनुसंधान के लिए संघीय धन पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान करता है।
ईसाई धर्म का एक तबका गर्भपात को सही नहीं मानता है और ट्रंप के विचार भी यही हैं। ट्रंप ने वैचारिक कारणों से भ्रूण स्टेम सेल का उपयोग करने वाले शोध संस्थाओं को सीमित कर दिया है।
साइंस मैगजीन के अनुसार, 2019 में, उनके प्रशासन ने सरकारी वैज्ञानिकों के लिए भ्रूण स्टेम सेल से जुड़े अध्ययनों पर काम करने के लिए फंडिंग को 31 मिलियन डॉलर से अधिक प्रभावित किया था। वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक इसी साल मार्च में ट्रंप ने गर्भपात के कानून के कारण एक वैज्ञानिक को कोरोनो वायरस उपचार में अपने रिसर्च को छोड़ने पर मजबूर किया था।
दूसरा विवाद- दवा पर अभी रिसर्च जारी है
मोनोक्लोनल एंटीबॉडी को दवा Regeneron द्वारा विकसित किया गया है। इस एंटीबॉडी कॉकटेल को ट्रंप को अस्पताल में भर्ती होने के बाद दिया गया थ। इसपर सिर्फ यही विवाद नहीं है कि ये गर्भपात की कोशिकाओं से बना है। बल्कि इस दवा को अभी कोविड-19 के इलाज के लिए इस्तेमाल करने की इजाजत भी नहीं मिली है और ये ट्रायल में है।
ट्रंप को दी गई ऐंटीबॉडी दवा को कोविड-19 इन्फेक्शन से लड़ने में सबसे असरदार दवाओं में से एक माना गया है। इन दवाओं को बनाने वाली कंपनी Regeneron Pharmaceuticals Inc का कहना है कि कंपनी ने IV के जरिए खास प्रावधानों के तहत डोनाल्ड ट्रंप को डोज दी थी। हालांकि इस दवा पर अभी रिसर्च जारी है। लेकिन इमर्जेंसी में इस्तेमाल करने की इजाजत दी गई है। कंपनी के मुताबिक अब तक स्टडी पूरी नहीं हुई है और अभी इसके रिजल्ट कहीं प्रकाशित नहीं हुए हैं।
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