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मराठी किताब में स्वतंत्रता सेनानी सुखदेव के नाम से छेड़छाड़, लिखा- भगत सिंह, राजगुरु के साथ कुर्बान हुसैन को हुई थी फांसी

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मुंबई। महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड के तहत कक्षा आठ की एक मराठी पाठ्यपुस्तक में शहीद भगत सिंह और राजगुरु के साथ क्रांतिकारी सुखदेव का नाम न होने पर पुणे के दो संगठनों ने आपत्ति जताई है। ब्राह्मण महासंघ और संभाजी ब्रिगेड ने आरोप लगाया कि इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है। 'मझया देशावर माझे प्रेम आहे' (मैं अपने देश से प्रेम करता हूं) शीर्षक वाले पाठ में कहा गया है कि भगत सिंह, राजगुरु और कुर्बान हुसैन ने देश के लिए अपना बलिदान दिया, लेकिन इसमें सुखदेव का नाम नहीं है।

मराठी किताब में स्वतंत्रता सेनानी सुखदेव के नाम से छेड़छाड़, लिखा- भगत सिंह, राजगुरु के साथ कुर्बान हुसैन को हुई थी फांसी

इस मामले के प्रकाश में आने के बाद विपक्ष लगातार महा विकास अघाड़ी सरकार पर बच्चों का ब्रेनवॉश करने का इल्जाम लगा रहा है। दबाव में आकर राज्य सरकार ने इस मामले पर जांच के आदेश दे दिए हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र एजुकेशन बोर्ड भी इसका पता लगाएगा कि गलती कहाँ हुई है। इस किताब के पाठ "मेरा देश भारत" को लिखने वाले लेखक का नाम यदुनाथ थाट्टे है।

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एनसीपी ने इस गलती को एक ओर जहाँ 'टाइपोग्राफिकल एरर' बताया है, वहीं कॉन्ग्रेस ने ये कहकर सफाई दी है कि ये मराठी किताब है, इतिहास की नहीं। कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत का इस मामले पर कहना है कि ये प्रकाशन में हुई गलती है। वे इस मामले में पड़ताल करवा रहे हैं। उन्होंने इस गलती को छिपाने के लिए यह भी कहा है कि कुर्बान हुसैन भी स्वतंत्रता सेनानी थे और देश को उनको भी सम्मान देना चाहिए।

कौन थे सुखदेव

सुखदेव का पूरा नाम सुखदेव थापर था। सुखदेव थापर ने लाला लाजपत राय का बदला लिया था। इन्होने भगत सिंह को मार्ग दर्शन दिखाया था। इन्होने ही लाला लाजपत राय जी से मिलकर चंद्रशेखर आजाद जी को मिलने कि इच्छा जाहिर कि थी। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उन्हें भगत सिंह और राजगुरु के साथ 23 मार्च 1931 को फांसी पर लटका दिया गया था।

इनकी शहादत को आज भी सम्पूर्ण भारत में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। सुखदेव भगत सिंह की तरह बचपन से ही आजादी का सपना पाले हुए थे। ये दोनों 'लाहौर नेशनल कॉलेज' के छात्र थे। दोनों एक ही वर्ष पंजाब में पैदा हुए और एक ही साथ शहीद हो गए।

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English summary
Controversy Breaks out over Omission of Freedom Fighter of Sukhdev's Name in Marathi Textbook.
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