अगले वर्ष राम नवमी पर शुरू हो सकता है राम मंदिर का निर्माण
लखनऊ। अयोध्या फैसले के बाद राम मंदिर निर्माण को लेकर कवायद तेज हो गई है। जानकारी के अनुसार कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की शुरुआत अगले वर्ष राम नवमी के मौके पर हो सकती है। इकॉनोमिक्स टाईम्स की खबर के अनुसार अगले वर्ष 2 अप्रैल को राम नवमी पड़ रही है, ऐसे में इस दिन राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि अगले तीन महीने के भीतर राम मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट का गठन किया जाए। ऐसे में यह समय सीमा 9 नवंबर से ही शुरू हो गई है।
एक साथ दोनों पक्षों को दी जाए जमीन
हालांकि यह साफ नहीं हो सका है कि राम नवमी के मौके पर मंदिर की नींव डाली जाएगी या फिर इसका शिलान्यास किया जाएगा। बता दें कि राम नवमी के मौके पर ही भगवान राम का जन्म हुआ था। जानकारी के अनुसार मंदिर को बनने में दो से तीन महीने का समय लग सकता है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से अयोध्या के डीएम को निर्देश दिया गया है कि मस्जिद निर्माण के लिए सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को तीन से चार जगहों का विकल्प मुहैया कराया जाए। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन अयोध्या के किसी प्रमुख स्थान पर मुहैया कराई जाए।
इन बोर्ड के आधार पर बन सकता है मंदिर ट्रस्ट
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि 2.77 एकड़ विवादित स्थल को मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट को दिया जाना और 5 एकड़ जमीन मस्जिद निर्माण के लिए दिए जाने की प्रक्रिया एक साथ की जाए। हालांकि बोर्ड ने कहा कि वह अगले एक महीने में इस बात पर फैसला लेगा कि वह पांच एकड़ जमीन को स्वीकार करेगा या नहीं। इस मामले से जुड़ी एक करीबी ने बताया कि राम मंदिर ट्रस्ट सोमनाथ मंदिर, अमरनाथ श्राइन बोर्ड या फिर माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की तर्ज पर हो सकता है।
अलग-अलग संस्था की जमीन अधिग्रहित
राम मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार भी 62.23 एकड़ जमीन देगी जिसका अधिग्रहण सरकार द्वारा विवादित स्थल के चारो ओर किया गया था। 43 एकड़ जमीन राम जन्मभूमि न्यास के द्वारा सरकार ने अधिग्रहित की थी। जबकि बाकी की 20 एकड़ जमीन अलग-अलग संगठन जैसे मान भवन, संकट मोचन मंदिर, कथा मंडप, जानकी महल द्वारा अधिग्रहित की गई थी। जनवरी माह में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके इस अधिग्रहित जमीन को इसके असल मालिक को वापस लौटाने की इजाजत मांगी थी। लेकिन अब माना जा रहा है कि न्यास और अन्य सभी लोग अपनी जमीन को राम मंदिर निर्माण के लिए दान में दे सकते हैं।
मुख्यमंत्री न्यास से दे सकते हैं इस्तीफा
न्यास के पास तकरीबन 180000 पत्थर हैं, जिसेराम मंदिर के लिए तैयार किया गया था, इसे भी न्यास राम मंदिर निर्माण के लिए प्रस्तावित ट्रस्ट को सुपुर्द कर सकता है। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस ट्रस्ट का सदस्य बनने से खुद को अलग रख सकते हैँ क्योंकि वह प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, लिहाजा वह अपने किसी प्रतिनिधि को इसमें शामिल कर सकते हैं जोकि कोई मंत्री या वरिष्ठ अधिकारी हा सकता हैं। वह खुद भी न्यास के सदस्य पद से इस्तीफा दे सकते हैं।
इसे भी पढ़ें- अगर बाबरी मस्जिद गैरकानूनी है तो आडवाणी के खिलाफ क्यों केस चल रहा: असदुद्दीन ओवैसी