क्या भारत में गाँवों को जोड़ा जा रहा है?
मई 2014 में जब मोदी सरकार ने शपथ ली तब बुनियादी ढांचे पर प्रगति की प्रक्रिया को पुनर्जीवित करना और यूपीए द्वितीय के दौरान हुए नुकसान को कवर करना बहुत बड़ी चुनौती थी।
नई दिल्ली। गाँवों की अर्थ व्यवस्था के लिए सड़कें बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। गाँवों में अच्छी तरह से बनी सड़कें न केवल गाँवों को जोडती हैं बल्कि इससे ग्रामीण लोगों के लिए जीविका के अवसर भी बढ़ जाते हैं। दिसंबर 2000 में वाजपेयी जी की सरकार ने प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना प्रारंभ की जिसका उद्देश्य देश के सभी गाँवों तक पहुँचने के लिए सडकों का निर्माण करना था। पिछले 17 सालों में इस योजना के तहत गाँवों को पक्की सड़कों से जोड़ा गया है जिससे लाखों ग्रामीणों के जीवन में परिवर्तन आया है। वाजपेयी जी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने इस काम की नींव रखी जिसे यूपीए प्रथम सरकार ने बहुत अच्छी तरह आगे बढ़ाया। हालाँकि नीतियों में मतभेद होने के कारण यूपीए द्वितीय सरकार इसे ठीक तरह से नाहे चला पाई। मई 2014 में जब मोदी सरकार ने शपथ ली तब बुनियादी ढांचे पर प्रगति की प्रक्रिया को पुनर्जीवित करना और यूपीए द्वितीय के दौरान हुए नुकसान को कवर करना बहुत बड़ी चुनौती थी। इस लेख में हम पीएमजीएसवाई की प्रगति को पुनर्जीवित करने के सरकार के दावे का आकलन करेंगे।
गाँवों में सड़के क्यों महत्वपूर्ण हैं?
वर्तमान में लगभग 70 प्रतिशत जनता गाँवों में रहती हैं। ग्रामीणों की आय में वृद्धि करना और शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं को गाँवों तक पहुंचाने के लिए सरकार को बहुत चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। अच्छी गुणवत्ता की सड़कें इन दिशाओं में प्रत्यक्ष रूप से सहयोगी नहीं होती परन्तु वे अप्रत्यक्ष रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उदाहरण के लिए पक्की सड़कें होने से यात्रा का समय बचता है, शहरी भागों तक आसानी से पहुंचा जा सकता है जिससे जीविका अर्जन के अवसर बढ़ जाते हैं। शिक्षा के मामले में अच्छी सड़के शिक्षा के अच्छे विकल्प उपलब्ध करवाती हैं क्योंकि इससे आने जाने का समय बच जाता है और बच्चे दूर तक पढने जा सकते हैं।
अभी तक किस तरह की प्रगति हुई है?
हमने
पाया
कि
यूपीए
प्रथम
सरकार
ने
पीएमजीएसवाई
योजना
में
काफी
प्रगति
की
और
इन
वर्षों
में
बनने
वाली
सड़कों
की
सालाना
दर
बहुत
अधिक
थी।
यूपीए
द्वितीय
के
प्रारंभिक
वर्ष
भी
बहुत
प्रभावशाली
थे
परन्तु
बाद
के
वर्षों
में
वे
बहे
योजना
पर
उतना
अधिक
ध्यान
नहीं
दे
पाए।
वर्ष
2008-2009
से
2010-11
तक
प्रारंभिक
तीन
वर्षों
में
प्रतिदिन
143.96
किमी.
सड़क
का
निर्माण
किया
गया
परन्तु
वर्ष
2011-12
और
वर्ष
2013-14
के
बीच
यह
73.49
किमी.
प्रतिदिन
तक
गिर
गया
था।
मोदी
जी
के
नेतृत्व
वाली
एनडीए
की
सरकार
यूपीए
द्वितीय
की
सरकार
से
कहीं
आगे
है
मोदी
सरकार
के
तहत
यह
आंकड़ा
36
किमी.
प्रतिदिन
बढ़
गया
है
और
इसका
प्रतिदिन
औसत
बढ़कर
109.7
किमी.
हो
गया
है।
वर्ष
2016-17
में
यह
दर
129.7
किमी.
प्रतिदिन
थी
जो
बहुत
अधिक
थी।
निष्कर्ष
इस बात में कुछ शंका है कि एनडीए सरकार गाँवों में सड़क निर्माण की योजना को पुनर्जीवित करने में सफल रही है और उन्होंने पीएमएसजीवाई को फिर से शुरू किया है। अब सरकार को इसका ठीक तरह से प्रबंधन करना होगा और निर्माण की गति बढ़नी होगी। इसके लिए सरकार इसमें आने वाली बाधाओं जैसे जैसे टेंडरिंग और वसूली प्रक्रियाओं को दूर करना होगा। नए विचारों जैसे इनाम प्रो आदि के द्वारा न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी बल्कि यह प्रक्रिया को तेज़ बनाने में भी सहायक होगा।
नितिन मेहता रणनीति कंसल्टिंग एंड रिसर्च में मैनेजिंग पार्टनर हैं। प्रणव गुप्ता एक स्वतंत्र शोधकर्ता हैं।