कांग्रेस ने 15 दिन में दूसरी बार फेसबुक सीईओ मार्क जुकरवर्ग को लिखा पत्र, जानिए क्या है पूरा मामला?
नई दिल्ली। भारत में फेसबुक के पक्षपात को लेकर लगे आरोपों पर कंपनी द्वारा उठाए गए कदमों पर जानकारी के लिए कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर फेसबुक सीईओ मार्क जुकरबर्ग को पत्र लिखा है। पिछले 15 दिनों में यह दूसरी बार है जब कांग्रेस ने शनिवार को फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग को पत्र लिखा है। कांग्रेस ने दावा है कि ज़ुकरबर्ग की भारतीय टीम द्वारा स्वेच्छा से व्हाट्सएप को हेट स्पीच और भारत की सामाजिक समरसता को तोड़ने की अनुमति दी गई है।
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कांग्रेस नेता वेणुगोपाल ने आरोपों के लिए अमेरिकी मीडिया का दिया हवाला
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए सवाल किया है कि जिसमें कहा जा रहा है कि 40 करोड़ भारतीयों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले व्हाट्सएप को परोक्ष रूप से बीजेपी की तरफ से नियंत्रित किया गया है वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शनिवार को आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी का व्हाट्सएप पर नियंत्रण है। उन्होंने कहा कि इस प्लेटफॉर्म को भारत में भुगतान सेवा शुरू करने के लिए केन्द्र की मोदी सरकार से मंजूरी की आवश्यकता है।
राहुल गांधी ने भी अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट का हवाला देकर ट्वीट किया
उधर, राहुल गांधी ने मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए ट्वीट कर कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए फर्जी खबर और घृणा फैलाकर मतदाताओं को प्रभावित किया जाता है। राहुल ने कहा था कि बीजेपी और आरएरएस फेसबुक और व्हाट्सएप पर भारत में नियंत्रण है। वे मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए इनके जरिए फर्जी खबर और घृणा फैलाते हैं। आखिरकार अमेरिकन मीडिया फेसबुक पर सच्चाई के साथ सामने आई है।
दावा है कि भारत में कंटेंट पॉलिसीज का बिना भेदभाव के पालन नहीं हो रहा
वॉल स्ट्रीज जर्नल की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था फेसबुक की कंटेंट पॉलिसीज का भारत में बिना भेदभाव के पालन नहीं हो रहा है और बीजेपी पर नरमी बरती जा रही है, लेकिन फेसबुक की निष्पक्षता को लेकर भारत में उठ रहे सवाल और जारी राजनीतिक बवाल के बीच उसने इस पर अपनी सफाई दी थी फेसबुक ने कहा था कि यह खुला, पारदर्शी और गैर-पक्षपातूर्ण मंच है।
अमेरिकी अखबार WSJ ने फेसबुक के अनाम सूत्रों के हवाले से दावा किया
पूरा विवाद अमेरिकी अखबार WSJ की ओर से प्रकाशित रिपोर्ट के बाद शुरू हुआ। इस रिपोर्ट में फेसबुक के अनाम सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि फेसबुक के वरिष्ठ भारतीय नीति अधिकारी ने कथित तौर पर सांप्रदायिक आरोपों वाली पोस्ट डालने के मामले में तेलंगाना के एक बीजेपी विधायक पर स्थायी पाबंदी को रोकने संबंधी आंतरिक पत्र में दखलंदाजी की थी।
कंपनी नफरत फैलाने वाली सभी सामग्रियों पर अंकुश लगाती हैः फेसबुक
फेसबुक ने सफाई देते हुए कहा था कि उसके मंच पर ऐसे भाषणों और सामग्री पर अंकुश लगाया जाता है, जिनसे हिंसा फैलने की आशंका रहती है। इसके साथ ही कंपनी ने कहा कि उसकी ये नीतियां वैश्विक स्तर पर लागू की जाती हैं और इसमें यह नहीं देखा जाता कि यह किस राजनीतिक दल से संबंधित मामला है। फेसबुक ने इसके साथ ही यह स्वीकार किया है कि वह नफरत फैलाने वाली सभी सामग्रियों पर अंकुश लगाती है, लेकिन इस दिशा में और बहुत कुछ करने की जरूरत है।