'तेरी नफरत, मेरी मोहब्बत', पढ़ें 2019 लोकसभा चुनाव कैंपेन का पूरा अफसाना
नई दिल्ली। 2019 के महासंग्राम की जोरदार तैयारी चल रही है। गुजरते वक्त के साथ दोनों तरफ से हमले और ज्यादा निजी होते जा रहे हैं। सत्ताधारी विकास के काम गिना रहे हैं, तो विरोधी सरकार का 'क्रूर' चेहरा दिखाकर जनता को अपनी ओर खींच रहे हैं। जनता किसकी सुनेगी? कौन सफल होगा? क्या मोदी लहर दोबारा चलेगी या लौटेगा गांधी परिवार का युग? खिचड़ी भी पक सकती है। खैर, ये सब बाद की बातें हैं अभी तो 2019 की लड़ाई का एजेंडा ताजा-ताजा सेट हुआ है- नफरत Vs मोहब्बत। इसी पर लड़ा जाएगा अगला चुनाव। मोदी सरकार के विरोधियों की स्क्रिप्ट लगभग तैयार है। बस यूं समझ लीजिए फाइनल एडिटिंग चल रही है।
अब मोदी सरकार के सामने चुनौती ये है कि नफरत उसके हिस्से में डाली गई है और मोहब्बत विपक्ष ने अपनी झोली में ली है। लोकतंत्र की सबसे खास बात यह है कि यहां सत्ताधारी के पास हर प्रकार की ताकत होती है, लेकिन चुनावी एजेंडा सेट करना उसके बस में नहीं होता। चुनावी एजेंडा विपक्ष ही सेट करता है। जैसे पिछले चुनाव में नरेंद्र मोदी ने मनमोहन सिंह को 'मौनमोहन' करार दिया और यूपीए को कंठ तक भ्रष्टाचार में डूबा बताया। मोदी ने अच्छे दिनों को टैगलाइन बनाया और बताया कि काम कैसे करेंगे, क्या करेंगे। नरेंद्र मोदी का अच्छे दिन वाला आइडिया क्लिक कर गया और जनता ने उन्हें पीएम मोदी बना दिया। सालों बाद देश को गठबंधन सरकार से मुक्ति मिली और पूर्ण बहुमत वाली भाजपा पूरे दम-खम के साथ सत्ता में आई।
अब
नरेंद्र
मोदी
और
अमित
शाह
के
नेतृत्व
में
एनडीए
को
जनता
के
पास
जाना
है।
लोकतंत्र
के
महापर्व
में
विपक्ष
सवाल
पूछेगा
अच्छे
दिनों
में
नफरत
कहां
से
आ
गई?
जवाब
सरकार
को
देना
है।
सरकार
जवाब
देगी
भी,
लेकिन
देखना
यह
है
कि
जवाब
क्या
होगा?
देखना
यह
भी
होगा
कि
क्या
विपक्ष
का
नफरत
वाला
चुनावी
तीर
मछली
की
आंख
को
भेद
पाएगा?
या
जनता
मोदी
सरकार
के
विकास
वाले
मंत्रोच्चार
पर
भरोसा
करेगी?
क्या
विपक्ष
देशभर
में
भीड़
के
हाथों
निर्दोष
लोगों
की
मौत
का
मुद्दा
उस
प्रकार
से
उठा
रहा
है,
जैसे
मोदी
ने
2014
में
भ्रष्टाचार
और
कालाधन
का
मुद्दा
उठाया
था?
जवाब
2019
में
ही
मिलेगा,
लेकिन
सवाल
अब
तय
है।
अगले लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार से विपक्ष का सवाल एक ही होगा- नफरत, लेकिन क्या विपक्ष नफरत वाला यह सवाल इतनी मोहब्बत से पूछ सकेगा कि वोटर को उससे प्यार हो जाए? जवाब मुश्किल है, लेकिन जनता उत्तर देगी। अब किसे प्यार से जवाब देगी और किसे नफरत से यह तो जनता जर्नादन ही तय करेगी।