इस बार कांग्रेस गांधी मुक्त हो जाएगी: जयराम ठाकुर
बीजेपी के चुनाव प्रचार पर नज़र डालें तो ऐसा लगता है कि वह इस चुनाव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि और हिमाचल में 2017 में बनी बीजेपी की सरकार के अब तक के कामकाज के आधार पर लड़ रही है.
हिमाचल प्रदेश की चार लोकसभा सीटों पर आख़िरी चरण के तहत 19 मई को मतदान होना है. बेशक इस पहाड़ी राज्य में महज चार सीटें हैं मगर बीजेपी और कांग्रेस ने इन सीटों पर पूरी ताक़त झोंक दी है.
बीजेपी के चुनाव प्रचार पर नज़र डालें तो ऐसा लगता है कि वह इस चुनाव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि और हिमाचल में 2017 में बनी बीजेपी की सरकार के अब तक के कामकाज के आधार पर लड़ रही है.
यह बात मंडी लोकसभा सीट पर और उभरकर सामने आती है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर मंडी ज़िले से ही संबंध रखते हैं.
पिछली बार यह सीट बीजेपी को ही मिली थी और पहली बार चुनाव लड़ रहे पंडित रामस्वरूप शर्मा ने कांग्रेस की सांसद और हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को हराया था.
इस बार रामस्वरूप शर्मा का मुक़ाबला मंडी से कांग्रेस के सांसद और पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री रहे पंडित सुखराम के पोते आश्रय शर्मा से है. पंडित सुखराम का मंडी विधानसभा और इसकी आसपास की सीटों पर ख़ासा प्रभाव माना जाता है.
जयराम ठाकुर 2017 में उस समय सीएम बने थे, जब बीजेपी के घोषित सीएम कैंडिडेट प्रेम कुमार धूमल चुनाव हार गए थे. ऐसे में उनके ऊपर पार्टी की अंदरूनी गुटबाज़ी और असंतोष से पार पाते हुए इस सीट को न सिर्फ़ जिताने बल्कि भारी अंतर से जिताने का दबाव माना जा रहा है.
उनके मुख्यमंत्री रहते हुए स्थानीय निकाय और अन्य छोटे चुनावों से इतर यह पहला बड़ा चुनाव हो रहा है. ऐसे में क्या वह दबाव महसूस कर रहे हैं, इसके जवाब में जयराम कहते हैं कि दबाव होना स्वाभाविक है मगर दबाव में अच्छा काम करना उन्हें आता है.
उन्होंने कहा, "ये लोकसभा का चुनाव है. अगर परीक्षा होती है तो उसमें दबाव स्वाभाविक है. मगर हम दबाव में अच्छा काम करते हैं. योजना के मुताबिक चल रहे हैं. हिमाचल में ज़बरदस्त माहौल है कि मोदी जी के नेतृत्व में सरकार बने. हिमाचल में हम अपने एक साल के कार्यकाल में अच्छा वातावरण बनाने में सफल हुए हैं. ऐसे में हम चारों सीटों को जीतने की कोशिश करेंगे."
हिमाचल में बीजेपी के मुद्दे क्या हैं
हिमाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी उसी तरह से राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद, पुलवामा हमले, बालाकोट एयरस्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राइक का ज़िक्र कर रही है जिस तरह से देश के अन्य हिस्सों में.
हिमाचल प्रदेश के स्थानीय मुद्दे नेताओं के भाषणों और बैनरों से लगभग ग़ायब हैं. ऐसा क्यों? इस पर जयराम ठाकुर कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दे नज़रअंदाज़ नहीं किए जा सकते.
उन्होंने कहा, "स्वाभाविक रूप से यह लोकसभा चुनाव है और इसमें राष्ट्रीय मुद्दों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता. चुनाव की परिस्थिति ऐसी है कि यह राष्ट्रवाद, राष्ट्रीय मु्द्दों, पांच साल के कार्यकाल और नई पहलों पर केंद्रित हो गया है. भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो पहचान, सम्मान और स्वाभिमान मिले हैं, उसे छोड़ा नहीं जा सकता. लोगों को लगा कि जो मज़बूत नेतृत्व भारत को चाहिए था, वह मिला है. तो लोगों को लगा है कि मोदी जी को फिर से प्रधानमंत्री बनाना चाहिए."
क्या हिमाचल से किए वादे पूरे हुए
2014 चुनाव प्रचार के समय मंडी के पड्डल मैदान से नरेंद्र मोदी ने हिमाचल में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं का ज़िक्र करते हुए अच्छे रेल नेटवर्क की ज़रूरत बताते हुए कहा था कि इससे न सिर्फ़ हादसों के कारण होने वाली मौतों का सिलसिला रुकेगा बल्कि पर्यटन को भी पंख लगेंगे. स्थानीय मुद्दों का ज़िक्र करते हुए उन्होंने पिछली सरकारों को कोसा था और हिमाचल की उपेक्षा करने का आरोप लगाया था. अब पांच साल सत्ता में रहने के बाद क्या नरेंद्र मोदी हिमाचल से किए गए वादों को पूरा कर पाए हैं?
इस सवाल के जवाब में जयराम कहते हैं, "हिमाचल में कनेक्टिविटी का मुद्दा मुख्य था और उन्होंने (मोदी) इसका ज़िक्र भी किया था. रोड कनेक्टिविटी के हिसाब से बहुत काम हुआ है हिमाचल में और बहुत सी परियोजनाएं स्वीकृत भी हुई हैं. 69 हाईवे मंजूर हुए हैं, फ़ोरलेन का काम चल रहा है. रेलवे नेटवर्क को भी आगे बढ़ाने की दिशा में काम हुआ है मगर पहाड़ी राज्य होने के कारण यह काम तेज़ी से नहीं हो सकता. मगर छोटी जो ट्रेनें हैं, जैसे पठानकोट-जोगिंदर नगर ट्रैक या कालका-शिमला मार्ग, वहां काम हुआ है. पहले पठानकोट से जोगिंदर नगर के बीच जहां साढ़े आठ घंटे लगते थे अब पांच घंटे लगते हैं, शिमला से कालका पांच से बजाय साढ़े तीन घंटे में पहुंचा जा सकता है."
जयराम कहते हैं कि केंद्र से हिमाचल को पर्याप्त मदद मिली है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का एक साल का कार्यकाल पूरा होने पर 10 हज़ार करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट हिमाचल के लिए स्वीकृत हुए, यह बड़ी बात है.
बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष ने मंच से राहुल के लिए बोली गाली
फिर किया सत्ती का बचाव
हिमाचल प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती को आपत्तिजनक और भड़काऊ बयानों के लिए चुनाव आयोग की ओर से तीन नोटिस मिले थे. सत्ती का मंच से राहुल गांधी के लिए कथित तौर पर सोशल मीडिया पर इस्तेमाल मां की गाली पढ़ना और फिर विरोधियों के बाज़ू काट देने वाला बयान आलोचना में रहा. मगर शांता कुमार जैसे वरिष्ठ भाजपा नेता और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी सत्ती का बचाव करते नज़र आए थे. ऐसा क्यों?
यह पूछने पर जयराम कहते हैं, "सत्ती जी की आपने बात की तो यह आपको मानना पड़ेगा कि इस संबंध में ज़िक्र राहुल गांधी का भी करना पड़ेगा. उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई है, उन्हें माफ़ी मांगनी पड़ी है. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के प्रधानमंत्री के लिए वह कैसे-कैसे शब्द चिल्ला-चिल्लाकर, बार-बार हर जगह से कहते रहे. ऐसे में हमारी पार्टी के सहयोगियों की भावनाएं आहत हुईं. जब भावनाएं आहत होती हैं तो कई बार संयम टूट जाता है."
सपताल सत्ती ऊना से हैं. यह वह ज़िला है जहां पंजाबी भाषा बोलने वाले अधिक संख्या में हैं. मंच से आपत्तिजनक शब्द कह देना और फिर बाद में सत्ती का यह सफ़ाई देना कि जहां से मैं हूं, वहां की भाषा ही ऐसी होती है, क्या यह उस क्षेत्र (ऊना) के लोगों के बारे में छवि गढ़ देना नहीं है जो पहले ही उपेक्षित महसूस करता है?
इस सवाल के जवाब में हिमाचल के सीएम ने कहा, "मैं इसमें जाना नहीं चाहता. बस इतना ही कहना चाहता हूं कि भाषा का संयम दोनों तरफ़ से रखने की ज़रूरत है. यह काम कांग्रेस पार्टी ने शुरू किया ता, उनकी ओर से टिप्पणी आई तो प्रतिक्रिया हुई है. मैंने कहा है कि इसमें जस्टिफिकेशन देने की ज़रूरत नहीं है, संयम की ज़रूरत है."
जयराम ने नड्डा और धूमल को कैसे पछाड़ा?
क्या मंडी में दांव पर है साख?
मंडी हिमाचल के सीएम का गृह जिला है. यहां से पंडित रामस्वरूप शर्मा बीजेपी के उम्मीदवार हैं जो मौजूदा सांसद भी हैं. 2014 चुनाव में वह पहली बार चुनाव लड़े थे और उन्होंने कांग्रेस की उम्मीदवार प्रतिभा सिंह को हराया था जो हिमाचल के पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की पत्नी हैं.
इस सीट से वीरभद्र सिंह खुद भी पांच बार सांसद रह चुके हैं. मगर इस बार उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया और उनकी पत्नी प्रतिभा भी चुनावी मैदान में नहीं उतरीं. कांग्रेस के दिग्गज नेता भी चुनाव लड़ने के लिए आगे नहीं आ रहे थे मगर आख़िर में पंडित सुखराम अपने पोते आश्रय शर्मा के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए और पार्टी ने उन्हें टिकट भी दे दिया.
पूर्व दूरसंचार मंत्री पंडित सुखराम कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे हैं जिन्होंने टेलीकॉम घोटाले में फंसने के बाद अलग से हिमाचल विकास कांग्रेस नाम की पार्टी भी बनाई थी. इसके बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे. उनके बेटे अनिल शर्मा कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे मगर पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान वह बीजेपी में शामिल हो गए थे.
वह जयराम कैबिनेट में मंत्री थे मगर उनके बेटे आश्रय शर्मा और पिता सुखराम बीजेपी का दामन छोड़ कांग्रेस में चले गए, जिसके बाद उन्हें मंत्री पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा. पंडित सुखराम मंडी से दो बार सांसद रहे हैं और इस बार अपनी आख़िरी ख्वाहिश के तहत पोते आश्रय को सांसद बनाने की बात कह रहे हैं.
बदले हुए हालात में कहीं बीजेपी के लिए इस सीट पर मुश्किलें तो नहीं खड़ी हो गईं, जिसे पहले वह आसान समझ रही थी? यह पूछे जाने पर जयराम ठाकुर ने कहा, "मंडी में इस बार उनके परिवार के कारण विचित्र हालात पैदा हुए, इसमें हमारी कोई भूमिका नहीं. सांसद रामस्वरूप जी को पार्टी ने टिकट दिया. वहीं मंत्रिमंडल में मेरे साथ रहे अनिल शर्मा के बेटे को कांग्रेस ने टिकट दे दिया. यह उनके परिवार का मामला है."
जयराम कहते हैं कि प्रतिकूल हालात में भी पिछली बार यह सीट बीजेपी जीती थी और इस बार तो और आसानी होगी. उन्होंने कहा, "मंडी में हमारी जीत उस समय भी हुई थी जब हिमाचल में कांग्रेस की सरकार थी, जीत उस समय भी हुई थी जब सीएम (वीरभद्र सिंह) की पत्नी चुनाव लड़ रही थीं. अब तो हालात में बहुत परिवर्तन है. रही बात सुखराम जी की तो उनका दौर था. आज हालात बदल गए हैं और ऐसा सभी के साथ होता है. उन्हें समझना चाहिए और अपने परिवार को भी समझाना चाहिए. हम शानदार तरीके से जीतेंगे."
पहाड़ों में सोने से भी महंगा बिक रहा ये नशा
'वीरभद्र और मुझे लड़ाना चाहते हैं कुछ लोग'
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और भाजपा नेता पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल के बीच छत्तीस का आंकड़ा है. दोनों एक-दूसरे को लेकर न सिर्फ़ तीखी बयानबाज़ी करते रहे हैं, बल्कि एक-दूसरे पर सत्ता में रहते हुए झूठे मुकदमे दर्ज करने के आरोप भी लगाते रहे हैं.
मगर जयराम ठाकुर और वीरभद्र सिंह प्रतिद्वंद्वी होने के बावजूद एक-दूसरे की तारीफ़ करते नजर आते है. मगर हाल ही में वीरभद्र ने एक मंच से जयराम के लिए यह कह दिया था मैं इन्हें 'शरीफ़ पहाड़ी समझता था मगर ये तो शातिर निकले.'
इसके बाद बीजेपी नेता वीरभद्र पर तो कांग्रेस के नेता सीएम पर निशाना साधने लगे. आख़िर ऐसा क्या हुआ जो संबंध अचानक इतने बदले की इस तरह की बयानबाज़ी होने लगी?
जयराम कहते हैं, "मैंने कोई टिप्पणी नहीं की अभी तक. वीरभद्र जी का उम्र के हिसाब आदर करता हूं मगर पार्टी अपनी-अपनी है और मैं पार्टी के साथ खड़ा होता हूं. चुनाव का दौर है और हम एक-दूसरे के खिलाफ़ बोल रहे हैं. एक जगह उन्होंने टिप्पणी की है, ऐसा लगता है कि उन्हें मिसगाइड किया गया होगा. कुछ लोग हमारा आपस में वाकयुद्ध करवाना चाहते हैं ताकि राजनीतिक लाभ उठाएं. उन्होंने एक-आध बार कहा है तो मैंने नज़रअंदाज़ किया. वह अपनी पार्टी की बात करें, हम अपनी की करेंगे. उम्र के हिसाब से उनकी इज्जत करते हैं."
शिमला में पानी के लिए हाहाकार क्यों
क़ानून व्यवस्था पर उठते सवाल
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में एक युवती के साथ कथित रूप से बलात्कार का मामला सामने आया है, जिसमें पुलिस की लापरवाही को लेकर सवाल उठ रहे हैं. कांग्रेस इसे मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है.
शिमला के कोटखाई में 2017 को हुआ एक नाबालिग छात्रा के बलात्कार और अपहरण का मामला सामने आया था और उसमें भी पुलिस पर लापरवाही के आरोप लगे थे. एक संदिग्ध की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी. बाद में सीबीआई ने जांच में पाया था कि इस संदिग्ध की मौत के पीछे पुलिस एसआईटी के ही सदस्य थे. यह मामला अभी अदालत में लंबित है.
कांग्रेस को 2017 के विधानसभा चुनाव में इस मुद्दे के कारण नुक़सान उठाना पड़ा और बीजेपी ने इसे पूरी शिद्दत से भुनाया था. अब लोकसभा चुनाव के दौरान उठे शिमला मामले को लेकर कांग्रेस भी आक्रामक है और बीजेपी सरकार पर लीपापोती के आरोप लगा रही है.
क्या यह मुद्दा बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी करेगा? इस पर जयराम साज़िश होने की आशंका से भी इनकार नहीं करते. वह कहते हैं, "दोनों मामले अलग हैं. गुड़िया घर से बाहर जंगल में मृत पाई गई थी. एसआईटी जो बनी थी, उसकी जांच के दौरान एक शख्स की हिरासत में मौत हो गई थी. ऐसे में बड़ा प्रश्न उठ गया था. मगर अब जो मामला शिमला में आया है उसमें अभी किसी बात की पुष्टि नहीं हुई है. लड़की बयान बार-बार बदल रही है. हमने घटना को लेकर तुरंत मामला दर्ज किया, एसआईटी बनाई, मजिस्ट्रिलय जांच के आदेश दिए और जांच गंभीरता से चल रही है. इसलिए अभी कुछ मैं कहना नहीं चाहता. मगर जल्द सब साफ़ हो जाएगा. दोषी के ख़िलाफ़ कार्रवाई होगी और इसमें अगर साज़िश दिखेगी तो उसमें भी कार्रवाई होगी."
'गांधी मुक्त होगी कांग्रेस'
हिमाचल में बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्री रहे और भाजपा के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे शांता कुमार ने कहा है कि वह विपक्ष के कमज़ोर होने को लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं मानते. तो क्या जयराम ठाकुर उनकी राय से इत्तफ़ाक रखते हैं?
इस सवाल के जवाब में जयराम कहते हैं, "कांग्रेस हंसी का पात्र बनी है. एक ही परिवार की पार्टी बन गई है. बहुत से लोग कांग्रेस में परेशान हैं कि यह एक ही परिवार तक सीमित हो गई है."
"सोनिया गांधी कहती थीं कि मैं अपने बच्चों को राजनीति में नहीं भेजूंगी. मगर वह प्रियंका को राजनीति में ले आई हैं. यह उस परिवार का रानजीति में आख़िरी प्रयोग है, जिसमें वह असफल होगा. इस बार कांग्रेस गांधी मुक्त होगी, मैं यह कहता हूं."