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सिंधिया को राज्यसभा भेजने-प्रदेश अध्यक्ष बनाने को राजी थी कांग्रेस, पर एक 'बड़े नाम' ने बिगाड़ा खेल

सिंधिया को राज्यसभा भेजने-प्रदेश अध्यक्ष बनाने को तैयार थी कांग्रेस, लेकिन भाजपा के इस दिग्गज नेता ने बिगाड़ा सारा खेलCongress was ready to send Scindia to Rajya Sabha-state president, but this veteran leader of BJP spoiled the game

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बेंगलुरु। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. माधवराव सिंधिया की आज (10 मार्च को) 75वीं जयंती है। महज यह संयोग है या कुछ और कि पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 10 मार्च को ही कांग्रेस से अपना इस्तीफा दिया है और भाजपा में शामिल होने का संकेत दिया। ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्य प्रदेश की राजनीति में जाना-पहचाना नाम है। ज्योतिरादित्य, सिंधिया राजघराने के तीसरी पीढ़ी के नेता हैं और अपने गढ़ में गहरी पकड़ रखते हैं। ऐसा क्या हुआ जो सिंधिया को कांग्रेस पार्टी से इस्‍तीफा देना पड़ा? जानिए आखिर वो कौन से नेता हैं जिसकी सलाह पर सिंधिया ने बगावती रुख अपनाते हुए इतना बड़ा निर्णय लिया?

भाजपा के इस दिग्गज नेता ने लिखी थी ये पटकथा

भाजपा के इस दिग्गज नेता ने लिखी थी ये पटकथा

बता दें मध्‍यप्रदेश में 15 महीने पहले जब कमलनाथ सरकार बनी तभी से कांग्रेस द्वारा सिंधिया को ठेंगा दिया गया। सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने की पटकथा 2019 की शुरुआत में ही भाजपा के दिग्‍गज और वरिष्‍ठ नेता अरुण जेटली लिखना शुरु कर दी थी। लेकिन जेटली की तबियत दिन प्रति तबियत बिगड़ती गई फिर उनके अचानक निधन ने सिंधिया ने भाजपा में जाने की प्‍लानिंग होल्‍ड पर रख दी थी। राज्यसभा चुनावों ने उन्हें यह मौका दिया और सिंधिया ने जेटली के जमाने में लिखी गई अपने भाजपा प्रवेश की अधूरी पटकथा को अब पूरा कर दिया।

जानिए किसकी वजह से राजनीति में आए ज्योतिरादित्‍य सिंधिया और कैसा रहा कांग्रेस में सफरजानिए किसकी वजह से राजनीति में आए ज्योतिरादित्‍य सिंधिया और कैसा रहा कांग्रेस में सफर

इस बड़ी वजह से सिंधिया का पलट गया था गेम

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ये रणनीति बीते साल अगस्त में उन्होंने भाजपा नेता अरुण जेटली के साथ मिलकर बनाई थी। तभी से सिंधिया की भाजपा के साथ खिचड़ी पकनी शुरु हो गई थी। जेटली का तबियत खराब होने के कारण निधन नहीं हुआ होता तो कबका सिंधिया ने भाजपा का हाथ थाम लिया होता और सिंधिया तभी भाजपा में शामिल होकर केंद्रीय मंत्री बन चुके होते। लेकिन बीच राह में जेटली का दुनिया से अलविदा कर देने से सिंधिया का सारा गेम पटल गया था।

राज्यसभा भेजने-प्रदेश अध्यक्ष बनाने को राजी थी कांग्रेस लेकिन

राज्यसभा भेजने-प्रदेश अध्यक्ष बनाने को राजी थी कांग्रेस लेकिन

रोचक बात ये हैं कि उस समय कांग्रेस नेतृत्व सिंधिया को मध्यप्रदेश से राज्यसभा में भेजने और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाने को तैयार था लेकिन सिंधिया की ये भी शर्त थी कि राज्यसभा की दूसरी सीट पर दिग्विजय सिंह की जगह किसी अन्य ओबीसी नेता को भेजा जाए। इसको कांग्रेस नेतृत्व ने मानने से इनकार कर दिया था। इतना ही नहीं कुछ समय बाद कांग्रेस में ज्योतिरादित्य को पार्टी में राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने का मन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बनाया था, लेकिन कांग्रेस के कुछ शीर्ष नेताओं को सिंधिया और जेटली के बीच पक रही खिचड़ी की खबर कर दी। जिसके बाद उन्‍हें कांग्रेस शीर्ष ने दरकिनार कर दिया था।

ट्ववीटर प्रोफाइल से हटाकर सिंधिया जता चुके थे ये मंशा

ट्ववीटर प्रोफाइल से हटाकर सिंधिया जता चुके थे ये मंशा

बता दें पिछले साल अपने टि्वटर हैंडल एकाउंट पर सिंधिया ने अपने प्रोफाइल से कांग्रेस हटा दिया था। तभी से कांग्रेस में चल रही अंदूरुनी कलह और सिंधिया का भाजपा में शामिल होने के कयास लगाए जाने लगे थे। उस समय अचानक दोबारा सुर्खियों में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने इस कदम से कांग्रेस से अपनी बढ़ती दूरी का संकेत दे दिया था। इसके बाद मध्यप्रदेश में पिछले दिनों सिंधिया ने बयान दिया कि अगर वादे पूरे नहीं हुए तो वह सड़कों पर उतरेंगे। तब भी लोगों ने उनके कांग्रेस के बगावती तेवर को भाप लिया था। इसके बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ के उस बयान ने आग में घी का काम किया जिसमें कमलनाथ ने कहा था कि वह (सिंधिया) सड़कों पर उतरें उन्हें रोका किसने है।

ज्योतिरादित्य सिंधिया-अरुण जेटली के बीच इसलिए थे घनिष्ठ रिश्ते

ज्योतिरादित्य सिंधिया-अरुण जेटली के बीच इसलिए थे घनिष्ठ रिश्ते

गौरतलब है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया और अरुण जेटली के बीच बेहद घनिष्ठ रिश्ते थे। दोनों के ये रिश्ते क्रिकेट की सियासत के साथ साथ जेटली और ज्योतिरादित्य के पिता स्वर्गीय माधवराव सिंधिया के बीच गहरी दोस्ती की वजह से भी थे। साथ ही देश के एक जाने माने मीडिया घराने के मालिक की इन दोनों से गहरी दोस्ती भी इन रिश्तों की एक बड़ी वजह थी। सूत्रों के अनुसार 2019 अगस्त में ज्योतिरादित्य सिंधिया उसी जानी मानी हस्‍ती के साथ भाजपा के दिग्गज नेता अरुण जेटली से उनके घर पर मिले थे। वहां उस मीडिया मुगल ने जेटली से आग्रह किया कि ज्योति के राजनीतिक भविष्य को लेकर कुछ करें। तब जेटली ने सुझाव दिया कि सिंधिया के पास भाजपा में शामिल होने के सिवा कोई विकल्प नहीं है और उन्हें यह फैसला जल्दी लेना चाहिए।

सिंधिया ने जेटली के की थी ये मांग

सिंधिया ने जेटली के की थी ये मांग

खबरों के अनुसार जेटली के ये कहने पर सिंधिया ने कहा था कि भाजपा उन्‍हें अगर मध्‍यप्रदेश का सीएम बनाती है तो वो दो दर्जन विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो सकते हैं। लेकिन जेटली ने सिंधिया को सच्‍चाई से रुबरु करवाया कि भाजपा उन्‍हें सीएम पद नही दे सकती है क्योंकि भाजपा के मध्यप्रदेश के दिग्गज नेता शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय आदि इसे मंजूर नहीं करेंगे और इसके लिए पीएम मोदी और अमित शाह भी नहीं तैयार होगे।

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जेटली का सिंधिया से पूरा वादा भाजपा अब करेगी पूरा

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खबरों के अनुसार जेटली ने तब सिंधिया को सलाह दी थी कि पहले वाले भाजपा में शामिल हों और अपने समर्थक विधायकों से इस्तीफा दिलाकर कमलनाथ सरकार गिरवाएं। इसके बदले में भाजपा उन्हें केंद्र में मंत्री बनाकर आगे राज्यसभा में भेज सकती है। जेटली इसके लिए पीएम मोदी और अमित शाह से बात करेंगे ये भी कहा था। जिसके बाद सिंधिया इसके लिए तैयार हो गए थे। लेकिन इसके बाद जेटली की हालत बिगड़ती चली गई और फिर कभी नहीं सुधरी। इसके बाद सिंधिया ने अपने कदम रोक लिए औ्रर मौके का इंतजार करने लगे। जो वर्तमान में भाजपा करने जा रही हैं वो असल में स्‍वर्गीय अरुण जेटली का सिंधिया से किया वाादा पूरा करने जा रही हैं।

सिंधिया की इस जिद के कारण कांग्रेस नेतृत्व था नाराज

सिंधिया की इस जिद के कारण कांग्रेस नेतृत्व था नाराज


गौरतलब हैं कि सिंधिया के बगावती तेवर देखकर कांग्रेस नेतृत्व लंबे समय से सतर्क था। सिंधिया को कोई जिम्मेदारी न देकर इंतजार करने की रणनीति अपनाई गई थी। अब राज्यसभा चुनाव के वक्त मध्यप्रदेश से दूसरी वरीयता की सीट देने के लिए नेतृत्व राजी था, लेकिन न सिर्फ अपने लिए प्रथम वरीयता की सीट मांग रहे थे और साथ ही उनकी जिद ये भी थी कि दूसरी सीट पर दिग्विजय सिंह की जगह किसी अन्य को लाया जाए। जिसे कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने मानने से इनकार कर दिया।

<strong>ज्योतिरादित्य सिंधिया नहीं, क्या दिग्विजय हैं 'कमलनाथ-द-एंड' के असली विलेन?</strong>ज्योतिरादित्य सिंधिया नहीं, क्या दिग्विजय हैं 'कमलनाथ-द-एंड' के असली विलेन?

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English summary
Congress was ready to send Scindia to Rajya Sabha-state president, but this veteran leader of BJP spoiled the game
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