कांग्रेस ने अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा में नेता बनाकर ममता को क्यों चिढ़ाया है?
नई दिल्ली- कांग्रेस ने लोकसभा में अपने जिस सांसद को पार्टी का नेता चुना है, वह नाम चौंकाने वाला है। अधीर रंजन चौधरी बहुत ही अनुभवी सांसद हैं, इस लिहाज से उनका नाम इस पद के लिए बिल्कुल उचित है, लेकिन वह जहां से चुनकर आए हैं, वहां पार्टी की स्थिति देखकर कांग्रेस के फैसले पर आश्चर्य होना लाजिमी है। सवाल उठना स्वाभाविक है कि कांग्रेस लीडरशिप ने लोकसभा में बीजेपी को चुनौती देने के बजाय, कहीं पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को ही चिढ़ाने की कोशिश तो नहीं की है? क्योंकि केंद्र में कांग्रेस भले ही तृणमूल सुप्रीमो का खुलकर विरोध नहीं करती हो, लेकिन राज्य में अधीर रंजन चौधरी अकेले अपने दम पर ममता सरकार की मुखालफत करके सुर्खियों में रहते आए हैं। यही नहीं बंगाल के राजनीतिक माहौल में उन्होंने बीजेपी से भी बड़ा टीएमसी को अपना दुश्मन समझा है।
ममता बनर्जी के मुखर विरोधी रहे हैं अधीर
पश्चिम बंगाल में ममता सरकार की नीतियों के विरोध की बागडोर कांग्रेस की ओर से अधीर रंजन चौधरी अकेले अपने दम पर संभालते रहे हैं। कांग्रेस की लीडरशिप भले ही ममता के खिलाफ खुलकर कुछ भी बोलने से बचती रही है, लेकिन अधीर रंजन ने बंगाल इकाई में विपक्ष के नेता के रोल में अपनी जिम्मेदारी निभाने में कभी भी पीठ नहीं दिखाई। वह 1999 से लगातार पांचवी बार पश्चिम बंगाल के बहरामपुर से कांग्रेस का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इस बार भी उन्होंने लगभग 80 हजार वोटों से टीएमसी के अपूर्व सरकार को हराया है।
पीएम मोदी भी कर चुके हैं तारीफ
42 लोकसभा सीटों वाले पश्चिम बंगाल में इस बार कांग्रेस के सिर्फ 2 सांसद चुनकर लोकसभा पहुंचे हैं, जिनमें से एक खुशनसीब अधीर रंजन चौधरी भी हैं। राज्य में पार्टी को सिर्फ 5.61 फीसदी वोट मिले हैं। लेकिन, फिर भी कांग्रेस केरल से सांसद के सुरेश, शशि थरूर और पार्टी के प्रवक्ता मनीष तिवारी जैसे नेताओं का नाम ठुकरा कर चौधरी पर अधिक भरोसा किया है। यही नहीं, इस बार पार्टी में यह पद खुद अध्यक्ष राहुल गांधी के संभालने की भी चर्चा चल रही थी। लेकिन, फिर भी मल्लिकार्जुन खड़गे की हार की वजह से खाली हुए इस पद के लिए पार्टी ने इनका नाम आगे किया है। खबरों के मुताबिक सबसे बड़ी बात तो ये है कि पिछले रविवार को ही लोकसभा सत्र की शुरुआत से पहले हुई एक बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने भी अधीर रंजन चौधरी को 'फाइटर' बताकर उनकी पीठ थपथपा चुके हैं।
पीएम मोदी की तारीफ से खुश हैं अधीर
जब पीएम के तारीफ करने पर सवाल पूछा गया था, तो अधीर रंजन ने कहा था कि उन्हें इसपर खुशी हुई। उन्होंने कहा था कि उनकी किसी से निजी दुश्मनी नहीं है। उन्होंने कहा था, 'हम जनप्रतिनिधि हैं और वे (भाजपा वाले) भी हैं। हम अपनी आवाज उठाएंगे और वे अपनी। हम संसद में बोलने जा रहे हैं, न कि जंग के मैदान में।' कांग्रेस द्वारा लोकसभा में अपना नेता बनाए जाने के बाद भी उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के बारे में जो टिप्पणी की है, उससे लगता है कि वो सदन में सरकार के साथ टकराव को टालने की कोशिश करेंगे। उन्होंने मंगलवार को कहा है कि, "अगर प्रधानमंत्री का संदेश उनके मंत्रियों या जूनियरों तक ठीक से पहुंचता है तो यह सभी के लिए फायदेमंद रहेगा.....प्रधानमंत्री जो बोलते रहते हैं, ज्यादातर समय उनके नेताओं द्वारा उसे लागू नहीं किया जाता।" जाहिर है कि अधीर रंजन चौधरी का सरकार के प्रति मौजूदा रवैया, न सिर्फ मल्लिकार्जुन खड़गे से हटकर है, बल्कि बंगाल में ममता सरकार के खिलाफ उनके तेवरों के भी ठीक उलट है। ऐसे में भले ही बंगाल में कांग्रेस को अपना वजूद बचाना मुश्किल हो रहा हो, लेकिन ममता के लिए वह भाजपा की तरह खुद को भी उनका सियासी दुश्मन बना रही है।
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