वाघेला के गढ़ में जीती कांग्रेस, बीजेपी में गए ज्यादातर दलबदलू भी हारे
अहमदाबाद। राज्यसभा चुनाव से पहले विपक्ष के नेता शंकर सिंह वाघेला ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर नया मोर्चा बनाया था। जिसके बाद उनके साथ के कई विधायक कांग्रेस का साथ छोड़ भाजपा में जा मिले थे। कांग्रेस के विधायकों का आंकड़ा इस फूट के बाद 57 से 43 पर पहुंच गया था। लेकिन कांग्रेस ने इसका बदला उन विधायकों से हराकर ले लिया है। गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा भले ही लगातार छठवीं बार सत्ता के सिहांसन पर काबिज हुई हो लेकिन जुलाई में कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा में शामिल हुए अधिकतर विधायकों के लिए यह फायदे का सौदा साबित नहीं हुआ। कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए जिन विधायकों को टिकट दिए थे उनमें से अधिकतर चुनाव हार गए हैं। 2012 में वाघेला जिस कपडवंज सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे थे। वह सीट भी कांग्रेस के खाते में गई।
गुजरात के लोगों ने धोखेबाज नेता को सबक सिखाया
मध्य और उत्तर गुजरात की कई सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा किया है। ये इलाका शंकरसिंह वाघेला का गढ़ माना जाता है। प्रदेश अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी ने कहा कि, गुजरात के लोगों ने धोखेबाज नेता को सबक सिखाया है। राज्यसभा चुनाव के समय यहां पर इस फूट के बाद कांग्रसे को बड़ा झटका लगा। राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से बागी बने विधायकों में से 7 को बीजेपी ने उम्मीदवार के तौर पर रणभूमि में उतारा था। इनमें से दो को छोड़कर सभी उम्मीदवार चुनाव हार गए। कांग्रेस से भाजपा में गए गोधरा के विधायक सीके रॉलजी अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे। हालांकि की सीके रॉलजी की जीत बहुत ही छोटी रही। रॉलजी ने कांग्रेस उम्मीदवार राजेन्द्र सिंह परमार को महज 258 वोटों से हराया। तो वहीं एक अन्य बगावती जामनगर उत्तर के कांग्रेसी विधायक धर्मेंद्र सिंह जडेजा भी अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे।
तीसरे मोर्चे से कोई नहीं जीता
राज्यसभा चुनाव के दौरान शंकर सिंह वघेला और उनके बेटे सहित 14 विधायक कांग्रेस से बगावत कर भाजपा उम्मीदवारों का साथ दे रहे थे। यहीं नहीं उन्होंने कई जगह तीसरे मोर्चे के तहत कई विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। लेकिन मार्चे का कोई भी उम्मीदवार जीत हासिल नहीं कर सका। पूर्व कांग्रेस नेता राम सिंह परमार जो कि थसरा से विधायक थे। कांग्रेस छोड़ भाजपा का दमन थामने के बाद उन्हें सत्तारूढ़ पार्टी ने उम्मीदवार बनाया लेकिन वे कांग्रेस के प्रतिद्वंद्वी कांतीभाई परमार से साथ हजार वोटों से हार गए। वीरगाम से डॉ तेजश्रीबेन पटेल भी कांग्रेस उम्मीदवार भरवाड़ लाखाभाई से सात हजार वोट से हार गईं।
मध्य गुजरात में कांग्रेस 16 सीटों पर जीती
मध्य गुजरात में भाजपा ने 40 में से 27 सीटों पर जीत दर्ज की है, लेकिन कांग्रेस भी 16 सीटों पर जीतने में कामयाब रही। यह जीत कांग्रेस के लिए इस लिए मायने पूर्ण थी क्योंकि इस रीजन के कई विधायकों ने कांग्रेस का साथ छोड़ा था और भाजपा में जा मिले थे। जिनमें कई को हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस के बागी बने विधायक माणसिंह चौहान को बीजेपी ने बलासिनोर से उम्मीदवार बनाया। माणसिंह कांग्रेस के उम्मीदवार अजीत सिंह चौहान के सामने 10 हजार मतों से हार गए। जामनगर ग्रामीण से कांग्रेस के विधायक रहे राघवजी पटेल को बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया था। कांग्रेस ने उनके सामने धराबिया वेलजी भाई को उतारा। कांग्रेस उम्मीदवार ने राघवजी पटेल को 6 हजार मतों से हराया है। पी सी बरांदा ने राज्यसभा चुनाव में बीजेपी का दामन थामा था। भाजपा ने भिलोडा से पी सी बरांदा को उम्मीदवार बनाया। कांग्रेस ने बरंदा के सामने डॉ. अनिल जोशियारा को मैदान में उतारा। पी सी बरांदा कांग्रेस उम्मीदवार से करीब 13 हजार वोटों से हार गए।