बगावती अदिति सिंह के पिता की हसरत नहीं हो पाई थी पूरी, विधायक अंगद के साथ नहीं देख पाए थे बेटी के सात फेरे
लखनऊ। एक बार फिर से कांग्रेस विधायक अदिति सिंह सुर्खियों में हैं, वजह है बस प्रकरण पर अदिति सिंह का अपनी ही पार्टी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा पर निशाना साधना, जिसकी वजह से कांग्रेस पार्टी ने उन्हें पार्टी की महिला विंग के महासचिव पद से निलंबित कर दिया है, उन पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगा है। गौरतलब है कि रायबरेली सदर से कांग्रेस विधायक अदिति सिंह ने बुधवार को ट्वीट करके लिखा था कि आपदा के समय इस तरह की निम्नस्तरीय राजनीति उचित नहीं है। उस समय ये बसें कहां थीं जब कोटा में यूपी के विद्यार्थी फंसे थे। आपदा के वक्त ऐसी निम्न सियासत की क्या जरूरत है, अदिति सिंह ने कांग्रेस की नीयत पर ही सवाल उठाए थे।
साल 2019 में अंगद संग अदिति ने लिए सात फेरे
आपको बता दें कि दबंग विधायक स्वर्गीय अखिलेश सिंह की बेटी अदिति सिंह 2017 में पहली बार विधायक चुनी गई थीं, वो रायबरेली के लोकप्रिय सियासी चेहरों में से एक हैं, 21 नवंबर 2019 को उनका विवाह पंजाब के नवांशहर से कांग्रेस विधायक अंगद सिंह के साथ हुआ, विधायक जोड़े ने दिल्ली के जोरबा होटल में सात फेरे लिए थे, इस शादी में कांग्रेस, भाजपा के अलावा अन्य दलों के नेता शामिल हुए थे, अदिति हिंदू हैं और अंगद सिख इसलिए दोनों ने दोनों धर्म के अनुसार सात फेरे लिए थे।
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पापा अखिलेश सिंह की थी यही थी अंतिम इच्छा
गौरतलब है अंगद सैनी का परिवार लंबे वक्त से पंजाब की राजनीति में सक्रिय है, अंगद के पिता विधायक प्रकाश सिंह सैनी और अदिति के पिता विधायक अखिलेश सिंह करीब 20 साल दोस्त रहे थे, ये शादी अदिति सिंह के पिता ने तय की थी लेकिन लंबे समय से कैंसर से पीड़ित अखिलेश सिंह का 20 अगस्त 2019 को देहांत हो गया था और वो अपनी बेटी की शादी में शामिल नहीं हो पाए थे।
पापा के कहने पर अदिति ने की शादी
इसलिए सात फेरे लेने से पहले अदिति सिंह ने अपने पिता के नाम एक इमोशनल पोस्ट लिखी थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि एक पिता का सबसे बड़ा सपना उसकी बेटी की शादी करना होता है, पापा अपने अंगद को मेरा सच्चा जीवनसाथी चुना, आज इस खुशी के मौके पर आप नही हैं, आपकी बहुत याद आ रही है। आई मिस यू पापा। मालूम हो कि पिता के निधन के तीन महीने के बाद ही अदिति ने शादी की थी क्योंकि उनके पिता की अंतिम इच्छा यही थी कि उनकी शादी रूकनी नहीं चाहिए और तय तारीख पर होनी चाहिए।
अदिति और अंगद दोनों ही 2017 में पहली बार विधायक चुने गए
अदिति और अंगद दोनों ही 2017 में पहली बार विधायक चुने गए थे, साल 2017 के विधानसभा चुनावों में अंगद ने सबसे कम आयु के विधायक के तौर पर खुद की पहचान बनाई थी, दिसंबर 2018 में अंगद और अदिति की सगाई हुई थी, गौरतलब है कि अंगद सिंह की शिक्षा शिमला के बिशप कॉटन स्कूल और मोहाली के यादविंदरा पब्लिक स्कूल से हुई है, अदिति-अंगत फैमिली फ्रेंड रहे हैं।
अंगद का विरासत में मिली है राजनीति
बता दें कि अंगद सैनी के पिता प्रकाश सिंह के चाचा दिलबाग सिंह साल 1962 में पहली बार नवांशहर के विधायक बने थे, वो लगातार छह बार इस सीट से विधायक रहे, साल 1997 में दिलबाग सिंह के बेटे चरणजीत सिंह विधायक बने था फिर साल 2002 में अंगद के पिता प्रकाश सिंह नवांशहर से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे और फिर साल 2012 में अंगद सिंह की माता गुरइकबाल कौर ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। अंगद सिंह को 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से टिकट मिला। अपने पहले ही चुनाव में वह जीतकर विधानसभा पहुंचे। इससे पहले वर्ष 2008 में वह नवांशहर यूथ कांग्रेस के महासचिव भी चुने गए थे।
'रायबरेली मेरी जान है, कैसे छोड़ सकती हूं उसे'
अपनी शादी से ठीक पहले एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में अदिति सिंह ने कहा था कि वो शादी के बाद भी राजनीतिक तौर पर रायबरेली में सक्रिय रहेंगी, रायबरेली मेरा घर और मेरी पहचान दोनों है इसलिए रायबरेली और यूपी छोड़ने का सवाल ही नहीं पैदा होता है, अदिति सिंह ने कहा कि अंगद सिंह सैनी से उनका कोई अफेयर नहीं था लेकिन ये शादी मेरे पिता ने तय की थी, अंगद और मैं एक-दूसरे को जानते- समझते हैं, इसलिए मेरा अपना क्षेत्र छोड़ने की बात हमारे बीच में ही ही नहीं सकती है, रायबरेली मेरी जान है, ना मैं शादी के बाद रायबरेली छोड़ूंगी और ना ही अंगद अपनी सियासत छोड़ेंगे।
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