तेलंगाना में कुछ इस तरह से केसीआर की योजना चौपट करेगी कांग्रेस
नई दिल्ली। तेलंगाना में जिस तरह से केसीआर ने समय से पहले विधानसभा को भंग किया उसके बाद कांग्रेस केसीआर की रणनीति को खराब करने में पूरी तरह से जुट गई है। दरअसल केसीआर ने कहा था कि नवंबर माह में तेलंगाना में चुनाव होंगे, लेकिन इससे इतर कांग्रेस ने चुनाव आयोग से अपील की है कि चुनाव से पहले मतदाता सूची को संशोधित किया जाए, इसके बाद ही चुनाव कराए जाएं। कांग्रेस ने इस बाबत चुनाव आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत को पत्र भी लिखा है।
चुनाव आयोग पहुंचा मामला
ओपी रावत को लिखे पत्र में कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में फर्जी मतदाता पहचान पत्र बड़ी संख्या में पाए गए थे, इन तीनों राज्यों में भी नवंबर माह में चुनाव हो सकते हैं, ऐसे में राव चाहते हैं कि इन तीनों राज्यों के साथ ही तेलंगाना में भी चुनाव हो। कांग्रेस के लीगल सेल के मुखिया और वरिष्ठ वकील विवेक तनकहा ने मुख्य चुनाव आयुक्त को लिखे पत्र में कहा जैसे अन्य राज्यों में फर्जी मतदाता पहचान पत्र पाए गए हैं, उसी तरह यहां भी हो सकते हैं।
कांग्रेस की खास रणनीति
तनकहा ने कहा कि मतदाता पहचान पत्र की लिस्ट को फिर से संशोधित करने की जरूरत है। हमे उम्मीद है कि कानून के मुताबिक इसे किया जाएगा और लोगों की उम्मीद और भरोसे को बरकरार रखा जाएगा। सूत्रों की मानें तो तेलंगाना में चुनाव से पहले कांग्रेस वोटर लिस्ट का विश्लेषण करने की योजना बना रही है, जैसा कि मध्य प्रदेश, राजस्थान में किया गया है, ताकि चुनाव आयोग पर दबाव डाला जा सके। दरअसल केसीआर ने विधानसभा को भंग करते समय कहा था कि उन्होंने चुनाव आयोग से बात की है और नवंबर माह में ही मध्य प्रदेश व राजस्थान के साथ यहां भी चुनाव हो सकते हैं।
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नहीं हो सकता है नवंबर में चुनाव
दरअसल कांग्रेस किसी भी सूरत में यह नहीं चाहती है कि जिस मकसद से केसीआर ने प्रदेश में समय से पहले विधानसभा को भंग किया है, वह पूरा हो। लिहाजा वोटर लिस्ट में सशोधन के बहाने कांग्रेस यहां चुनाव की तारीखों को आगे बढ़वाना चाहती है, क्योंकि लिस्ट में संशोधन में कम से कम तीन महीने का समय लग सकता है। तनकहा ने कहा कि हमे लगता है कि प्रदेश में नवंबर माह में चुनाव नहीं हो सकता है, क्योंकि चुनाव से पहले वोटर लिस्ट को फिर से संशोधित करने की जरूरत है। कांग्रेस की ओर से चुनाव आयोग को लिखे पत्र में कहा गया है कि चुनाव से पहले कुछ संवैधानिक और कानूनी जिम्मेदारियां हैं जिन्हें पूरा किया जाना जरूरी है।
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