लोगों को NRC में नाम नहीं होने की वजह की सर्टिफाइड कॉपी दी जाए: कांग्रेस
नई दिल्ली। असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर यानि एनआरसी को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। एनआरसी की फाइनल लिस्ट के अनुसार तकरीबन 19 लाख लोगों के नाम इसमे से गायब हैं, जिसकी वजह से तमाम राजनीतिक पार्टियां केंद्र सरकार पर निशाना साध रही हैं। वहीं कांग्रेस ने इस पूरे मसले पर कहा है कि जिन लोगों के नाम एनआरसी में नहीं हैं उन्हें एक सर्टिफाइड कॉपी दी जाए, जिसमे साफ तौर पर इस बात का जिक्र हो कि आखिर उनका नाम क्यो एनआरसी में नहीं है।
19 लाख लोगों के नाम नहीं
बता दें कि एनआरसी की फाइनल लिस्ट में 19 लाख लोगों के नाम इसमे नहीं है। राज्य सरकार ने कहा है कि जिन लोगों के नाम एनआरसी में नहीं हैं, उन्हें 120 दिन का मौका दिया जाएगा कि वह फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल में इसके खिलाफ अपील कर सकते हैं। लेकिन कांग्रेस ने मांग की है जब तक इन लोगों को इस बात की सर्टिफाइड कॉपी नहीं मिल जाती है कि आखिर क्यों इन लोगों का नाम एनआरसी से गायब है, उन्हें अपील नहीं करना चाहिए। गौर करने वाली बात है कि एनआरसी में नाम नहीं शामिल होने के बाद इन लोगों के पास एकमात्र विकल्प ट्रिब्यूनल में जाने का बचा है।
ट्रिब्यूनल में कर सकते हैं अपील
माना जा रहा है कि मौजूदा समय में 100 ट्रिब्यूनल के अलावा अगले दो महीनों में 200 और टिब्यूनल को स्थापित किया जाएगा, जो इन तमाम अपील पर सुनवाई करेगी। इन तमाम मामलों को टिब्रूयनल को अगल छह महीने में पूरा करना है। लेकिन कांग्रेस का कहना है कि पहले इन लोगों को एक सर्टिफाइड कॉपी दी जाए ताकि ये लोग कोर्ट में अपना पक्ष रख सके। गौरतलब है कि विदेश मंत्रालय की ओर से असम के लोगों को आश्वासन दिया गया कि एनआरसी से बाहर किए जाने से असम में एक भी व्यक्ति के अधिकारों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है ।
हिरासत में नहीं लिया जाएगा
आपको बता दें कि असम में बहुप्रतीक्षित एनआरसी की अंतिम सूची शनिवार को सुबह 10 बजे ऑनलाइन जारी कर दी गई। इस सूची में शामिल होने के लिए असम के 3,30,27,661 लोगों ने आवेदन दिया था। इनमें से 3,11,21,004 लोगों को शामिल किया गया है और 19,06,657 लोगों को बाहर कर दिया गया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि जिन लोगों के नाम अंतिम सूची में नहीं है उन्हें हिरासत में नहीं लिया जाएगा । जब तक उनके लिए कानून के तहत विकल्पों को तलाश नहीं लिया जाता वो पहले की तरह से अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते रहेंगे।
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