राजस्थान संकट के बीच कांग्रेस शासन वाले इस राज्य में भी उठी CM बदलने की मांग
नई दिल्ली- राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार पर कांग्रेस के विधायकों की वजह से ही संकट के बादल मंडरा रहे हैं। अब पंजाब की कांग्रेस सरकार में भी कैप्टन बदलने की मांग उठने लगी है। दरअसल, शराब कांड को लेकर कैप्टन सरकार विरोधियों से ही नहीं, पार्टी के अंदर भी आलोचना का शिकार हो रही है। कांग्रेस के बड़े नेताओं ने भी इस घटना की सीबीआई और ईडी से जांच कराने की मांग शुरू कर दी है। इसको लेकर कैप्टन खेमा भड़क गया और बगावत का बिगुल फूंकने वाले नेताओं को पार्टी से निकालने की कोशिशों में जुट गया है।
पंजाब में भी कप्तान बदलने की उठी मांग
राजस्थान के साथ-साथ अब कांग्रेस को पंजाब में भी नेतृत्व के खिलाफ बगावत का सामाना करना पड़ रहा है। प्रदेश में एकबार फिर से एक-दूसरे के कट्टर विरोधी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रताप सिंह बाजवा आमने-सामने हैं। लगता है कि कैप्टन हर हाल में पार्टी के राज्यसभा सांसद बाजवा को कांग्रेस से बाहर निकालने की ठान चुके हैं तो बाजवा ने पंजाब के लिए 'नए कैप्टन' की मांग करनी शुरू कर दी है। पार्टी में फसाद का तात्कालिक कारण शराब कांड है, जिसकी वजह से 120 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। मुख्यमंत्री बाजवा से इस वजह से नाराज हैं कि वह भी पार्टी के एक और राज्यसभासांसद शमशेर सिंह डुल्ले की तरह शराब कांड को लेकर अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ सीबीआई और ईडी से जांच की मांग करने लगे हैं।
बाजवा के खिलाफ होगी कार्रवाई ?
प्रताप सिंह बाजवा ने रविवार को इकोनॉमिक्स टाइम्स से कहा कि, 'कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ पंजाब की सेवा करने में नाकाम रहे हैं। प्रदेश को नए कप्तानों की जरूरत है।' इसके जवाब में जाखड़ ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखकर 'इस सड़ांध को ठीक करने' और बाजवा के खिलाफ अब कार्रवाई की मांग की है। जाखड़ ने कहा कि 'इसबार उन्होंने लक्षमण रेखा लांघ दिया है। बाजवा भाजपा के साथ मिले हुए हैं और हमें इस तरह से इन्हें अपने साथ रखने की जरूरत नहीं है।'
संकट में है अशोक गहलोत सरकार
उधर राजस्थान में सचिन पायलट समेत 19 विधायकों की बगावत के चलते प्रदेश की कांग्रेस सरकार संकट में फंसी हुई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार को बचाने के लिए हर मुमकिन तरकीब अपना रहे हैं, लेकिन पायलट गुट अभी तक उनके खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद किए हुए है। प्रदेश में 14 अगस्त से विधानसभा का विशेष सत्र शुरू हो रहा है और संभावना है कि इस दौरान गहलोत को बहुमत परीक्षण करना पड़ सकता है। जानकारी के मुताबिक अंतिम कोशिश के तहत पायलट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से भी मुलाकात का वक्त मांगा है, लेकिन प्रदेश में गहलोत और पायलट खेमा एक-दूसरे के खिलाफ सियासी लड़ाई को अब इतनी दूर ले जा चुका है, जिसके बाद उम्मीद नहीं है कि कांग्रेस नेतृत्व के पास अब भी बीच का कोई रास्ता निकलने का विकल्प बचा है।
गहलोत को भाजपा में भी टूट के आसार
हालांकि, गहलोत अपनी सरकार बचाए रखने के लिए कोई भी कसर छोड़ना नहीं चाह रहे। उन्होंने नया शिगूफा ये छोड़ा है कि उन्हें लगता है कि भाजपा के ही विधायक टूट जाएंगे। उनके मुताबिक, 'मैं उनमें (भाजपा में) बहुत बड़ी टूट देख सकता हूं।' असल में भाजपा ने अपने कुछ विधायकों को इन दिनों जिस तरह से गुजरात शिफ्ट किया है, उससे गहलोत की उम्मीदें भी जगी हुई हैं। इस बीच उन्होंने राजस्थान विधानसभा के सभी 200 विधायकों को खत लिखकर प्रदेश और लोकतंत्र के हित में उनकी सरकार बचाने की गुहार लगाई है। उधर इस तरह के भी संकेत हैं कि गहलोत खेमा पायलट गुट के 18 में से 7 विधायकों को वापस अपने पास लाने की कोशिश में जुटा हुआ है।