कांग्रेस ने शेयर की सेना के साथ पूर्व प्रधानमंत्रियों की फोटो, पीएम मोदी से पूछे तीन सवाल
नई दिल्ली। शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लेह पहुंचने और सेना के साथ मुलाकात के बाद कांग्रेस ने कहा है कि आखिर चीन पर वो खुलकर क्यों नहीं बोल रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक फोटो शेयर किया है। जिसमें जवाहर लाल नेहरू से लेकर मनमोहन सिंह तक पूर्व प्रधानमंत्रियों की सेना के जवानों के साथ तस्वीरें हैं। इस तस्वीर के साथ किए ट्वीट में सुरजेवाला ने पीएम से तीन सवाल पूछे हैं।
रणदीप सिंह सुरजेवाला ने लिखा है- हर पीएम ने सदैव सेना से मिल साहस बढ़ाया। पर सवाल ये है कि पी.एम मोदी देश की सरज़मीं से चीनी सेना का क़ब्ज़ा कब छुड़वाएँगे? दूसरा, चीन को लाल आँख कब दिखाएँगे? और तीसरा 'चीन' शब्द तक ना बोलने वाले मोदी, चीन को मुँह तोड़ जबाब कब देंगे?
बता दें कि नरेंद्र मोदी शुक्रवार सुबह करीब साढ़े नौ बजे दिल्ली से लेह पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने अफसरों से सीमा की स्थिति का जायजा लिया और मिलिट्री हॉस्पिटल में भर्ती जख्मी सैनिकों से भी मिले। मोदी ने लद्दाख स्थित नीमू बेस पर थलसेना, वायुसेना और आईटीबीपी के जवानों से मुलाकात की। मोदी ने नीमू में करीब आधे घंटे तक जवानों से बातचीत की। यह जगह गलवान घाटी से करीब 250 किमी दूर है। उनके साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और आर्मी चीफ एमएम नरवणे भी थे।
पीएम मोदी ने यहां कहा, हम वही लोग हैं जो भगवान कृष्ण की बांसुरी को पसंद करते हैं लेकिन हम उन्हीं भगवान कृष्ण को भी पूजते हैं जिनके हाथ में सुदर्शन चक्र होता हैं। चीन का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि अब विस्तारवाद का दौर खत्म हो चुका है। यह समय विकास का समय है, न कि विस्तार का। उन्होंने कहा कि कुछ देशों की विस्तारवाद नीतियों ने दुनिया की शांति को भंग कर दिया है। लेकिन इतिहास गवाह है कि विस्तारवादी ताकतों को या तो पराजय का मुंह देखना पड़ा है या फिर उन्हें पीछे जाना पड़ा है।
भारत और चीन की सेनाओं के बीच करीब दो महीने से पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव बना हुआ है। 15 जून को गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प भी हुई थी। इसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे और 50 से ज्यादा घायल हुए थे। कई दौर की बातचीत दोनों देशों के बीच तनाव कम करने को लेकर हो चुकी है लेकिन कोई समाधान निकलता अभी नहीं दिखा है। कई दफा दोनों देश बातचीत से हल निकालने की बात जरूर कह चुके हैं लेकिन लगातार वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन और भारत की ओर से सैनिकों की संख्या बढ़ाए जाने की ही खबरे आती रही हैं।
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