राष्ट्रपति कोविंद के पहले संबोधन पर ही कांग्रेस ने उठाए सवाल, जानिए क्यों?
नई दिल्ली। रामनाथ कोविंद ने आज देश के 14वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेकर संविधान की रक्षा और पालन करने का वचन दिया। अपने पहले संबोधन में उन्होंने देश की एकता की बात करते हुए सबके साथ चलने की बात कही और कहा कि वो न्याय, स्वंतत्रता और समानता के मूल्यों के पालन करेंगे लेकिन उनके पहले संबोधन में ही कांग्रेस ने सवाल खड़े कर दिए हैं।
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नेहरू, इंदिरा और राजीव का नाम ही नहीं लिया
कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने संबोधन पर सवाल उठाते हुए कहा कि रामनाथ कोविंद ने अपने भाषण में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी का नाम ही नहीं लिया जो कि अचरज की ही नहीं बल्कि बेहद अजीब बात है, जो कि दिल को चुभ रही है।
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देश की जनता को अच्छा नहीं लगेगा
तो वहीं आनंद शर्मा ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के समकक्ष जनसंघ के नेता दीन दयाल उपाध्याय को नए राष्ट्रपति ने अपने सम्बोधन में खड़ा किया, ये ठीक नहीं है, देश की जनता को अच्छा नहीं लगेगा, उनकी बातों का गलत संदेश जनता में गया है।
संघर्ष की कहानी बयां की
गौरतलब है कि शपथ ग्रहण करने के तुरंत बाद कोविंद ने अपना एक छोटा सा भाषण सेंट्रल हॉल में बैठे लोगों के सामने दिया, जिसमें उन्होंने अपने संघर्ष की कहानी बयां की। कोविंद ने संसद सदस्यों और मुख्यमंत्रियों समेत विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों को संबोधित करते हुए कहा कि अनेकता में एकता भारत की ताकत है। हम सभी अलग हैं फिर भी एक और एकजुट हैं। ये हमारे पारंपरिक मूल्य हैं। इसमें न कोई विरोधाभास है और न ही किसी तरह के विकल्प का प्रश्न उठता है।
महात्मा गांधी और दीन दयाल उपाध्याय
उन्होंने प्राचीन भारत के ज्ञान और आधुनिक विज्ञान को साथ लेकर चलने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि हमें तेजी से विकसित होने वाली एक मजबूत अर्थव्यवस्था, एक शिक्षित, नैतिक और साझा समुदाय, समान मूल्यों वाले और समान अवसर देने वाले समाज का निर्माण करना होगा। एक ऐसा समाज, जिसकी कल्पना महात्मा गांधी और दीन दयाल उपाध्याय जी ने की।
ये सदी भारत की होगी...
उन्होंने कहा कि मैं सभी नागरिकों को नमन करता हूं और विश्वास जताता हूं कि उनके भरोसे पर खरा उतरुंगा, उन्होंने कहा कि मैं अब राजेंद्र प्रसाद, राधाकृष्णन, एपीजे अब्दुल कलाम और प्रणब दा की विरासत को आगे बढ़ा रहा हूं, अब हमें आजादी में मिले 70 साल पूरे हो रहे हैं, ये सदी भारत की ही सदी होगी।