बिहार में कांग्रेस ने मुस्लिम नेताओं को प्रचार करने से रोका, हुसैन दलवई के दावों से उठे सवाल
नई दिल्ली- जिस वक्त गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल जैसे बड़े नेताओं के सवालों से कांग्रेस आलाकमान को बगलें झाकनें को मजबूर होना पड़ रहा है, वैसी स्थिति में पार्टी के एक बड़े मुस्लिम चहरे ने बिहार चुनाव में पार्टी की रणनीति को लेकर बहुत बड़ा बम फोड़ दिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा के पूर्व सांसद हुसैन दलवई ने आरोप लगाया है कि उनके मुसलमान होने की वजह से पार्टी ने उन्हें बिहार में चुनाव प्रचार करने से रोक दिया। दलवई के इन दावों से पहले से ही बिहार चुनाव में बेहद खराब प्रदर्शन को लेकर अपनी फजीहत करा रही कांग्रेस का मौजूदा संकट और गहरा सकता है। हालिया चुनाव में पार्टी वहां महागठबंधन से 70 सीटों पर लड़कर भी सिर्फ 19 सीटें ही जीत सकी थी।
आउटलुक को दिए एक इंटरव्यू में कांग्रेस नेता हुसैन दलवई ने कहा है कि उन्हें पूर्णिया विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के लिए प्रचार नहीं करने दिया गया, क्योंकि वहां पार्टी की उम्मीदवार को लगा कि उनके मुस्लिम होने की वजह से वह चुनाव हार सकती हैं। दलवई के मुताबिक, 'पहले तो मुझसे पूर्णिया जिले में प्रचार करने को कहा गया और मैं जाने के लिए पूरी तरह से तैयार था। तब कांग्रेस की उम्मीदवार ने कॉल किया और मुझसे कहा कि मैं अपनी यात्रा रद्द कर दूं, क्योंकि उन्हें डर था कि अगर मैं प्रचार करूंगा तो पार्टी हिंदू वोट गंवा देगी। मैं बहुत ही आहत था।'
राज्यसभा में महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व कर चुके दलवई मुस्लिम सुधारक हामिद दलवई के छोटे भाई हैं। हामिद वही शख्स हैं, जो मुसलमानों में ट्रिपल तलाक जैसी कुप्रथा के विरोध के अगुवा रह चुके हैं। हुसैन दलवई का कहना है कि उन्हें ही नहीं महाराष्ट्र के दूसरे मुस्लिम नेताओं से भी कहा गया कि बिहार के चुनाव प्रचार में शामिल ना हों। गौरतलब कि दलवई बिहार के जिस सीमांचल इलाके की बात कर रहे हैं वहां महागठबंधन के उम्मीदवारों की किस्मत पर ग्रहण लगाकर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम 5 सीटें जीत गई है।
हालांकि, जहां तक पूर्णिया विधानसभा सीट की बात है तो वह बीजेपी का गढ़ है। वहां पर बीजेपी के उम्मीदवार विजय कुमार खेमका ने महागठबंधन के उम्मीदवार और कांग्रेस की जिलाध्यक्ष इंदू सिन्हा को 32,154 मतों के अंतर से हराया है। वैसे पूरे सीमांचल में मुसलमानों की भारी आबादी है, जिन्हें आरजेडी-कांग्रेस अपना वोट बैंक मानती रही है। दलवई का कहना है, 'कांग्रेस ने सीमांचल में अपना वोट बेस क्यों खो दिया ? उन्होंने एक भी मुस्लिम नेता को बिहार नहीं भेजा। उनसे कहा गया कि वहां नहीं जाना है।'
गौरतलब है कि कांग्रेस और राजद ने सीमांचल में खराब प्रदर्शन के लिए असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम को जिम्मेदार ठहराया है। लेकिन, दलवई का कहना है कि पार्टी कई मुद्दों पर 'सेक्युलर' होने को लेकर अपनी स्थिति साफ करने में नाकाम रही है। उन्होंने कांग्रेस से गुजारिश की है कि भाजपा को हराने के लिए सॉफ्ट हिंदुत्व पर चलने की रणनीति छोड़ दे। उन्होंने कहा है कि, 'कांग्रेस लीडरशिप मुसलमानों को ओवैसी की तरह सांप्रदायिक पार्टियों की ओर धकेल रही है। यह गलत है। कांग्रेस को अपनी नीति ठीक करनी चाहिए और उन्हें मुसलमानों की शिक्षा, रोजगार जैसे ज्वलंत मुद्दों पर फोकस करनी चाहिए। '
दलवई ने यह भी कहा है कि अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का स्वागत करके कांग्रेस ने अच्छा नहीं किया और इसके चलते उसकी 'सेक्युलर छवि' खत्म हुई है। उनके मुताबिक, 'कांग्रेस को अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत नहीं करना चाहिए था। उसे सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर असहमति जाहिर करनी चाहिए थी। मैं नहीं कह रहा हूं कि पार्टी को मुसलमानों के हक में स्टैंड लेना चाहिए। लेकिन, इसे सॉफ्ट हिंदुत्व से दूर रहना चाहिए। सीएए और एनआरसी पर भी इसने मजबूत स्टैंड नहीं लिया।'