नागरिकता एक्ट के खिलाफ जयराम रमेश की सुप्रीम कोर्ट में याचिका
नागरिकता एक्ट के खिलाफ जयराम रमेश की सुप्रीम कोर्ट में याचिका
नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन एक्ट, 2019 के खिलाफ कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने सुप्रीम कोर्ट में याटिका दायर की है। अपनी याचिका में पूर्व मंत्री जयराम रमेश ने एक्ट की वैधता पर सवाल उठाते हुए कहा है कि यह कानून धर्म के आधार पर भेदभाव करता है। इससे संविधान में समानता के अधिकार का उल्लंघन हो रहा है, ऐसे में अदालत इसे रद्द करे। शुक्रवार को उन्होंने अदालत में ये अर्जी दी है।
टीएमसी की सांसद महुआ मोइत्रा ने भी इस एक्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी है। कांग्रेस, टीएमसी और दूसरे ज्यादातर विपक्षी दल इस एक्ट का लगातार सदन के भीतर और बाहर विरोध कर रहे हैं। इस एक्ट के खिलाफ गुरुवार को ही सुप्रीम कोर्ट में पहली याचिका दाखिल हो चुकी है। यह याचिका इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने दाखिल की है। याचिका में बिल को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि ये कानून धर्म के आधार पर वर्गीकरण करता है। इसके अलावा भी कई राजनीतिक दलों और संगठनों ने इस कानून को अदालत में चुनौती देने की बात कही है।
नागरिकता संशोधन एक्ट, 2019 को संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिल गई है। बिल सोमवार को लोकसभा से और बुधवार को राज्यसभा में पास हुआ। इसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के शरणार्थियों को नागरिकता का प्रस्ताव है।
नागरिकता कानून का देश के कई हिस्सों, खासतौर से पूर्वोत्तर में भारी विरोध हो रहा है। असम के कई जिलों में बीते कुछ दिनों में लोगों ने इसके विरोध में प्रदर्शन किए हैं। भारी तोड़फोड़ और आगजनी के बाद कई जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवा को रोक दिया गया है। गुवाहाटी में कर्फ्यू लगाया गया है। पुलिस फायरिंग में दो प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई है। कई लोग घायल भी हुए हैं।
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