कृषि विधेयकों पर कांग्रेस का 'हल्ला बोल', मोदी सरकार के खिलाफ शुरू किया 'जन-आंदोलन'
केंद्र सरकार के कृषि विधेयकों के खिलाफ कांग्रेस ने अब खुलकर मोर्चा खोल दिया है।
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के कृषि विधेयकों के खिलाफ कांग्रेस ने अब खुलकर मोर्चा खोल दिया है। मानसून सत्र में पास किए गए कृषि विधेयकों को लेकर कांग्रेस ने ऐलान किया है कि वो आज से इन विधेयकों के खिलाफ अगले दो महीने तक देशभर में 'जन-आंदोलन' छेड़ेगी। गौरतलब है कि तीन में दो कृषि विधेयक लोकसभा में पास होने के बाद जब बीते रविवार को राज्यसभा में ध्वनि मत से पारित किए गए तो सदन नें भारी हंगामा हुआ था। विपक्ष के हंगामे पर सभापति वेंकैया नायडू ने कार्रवाई करते हुए राज्यसभा के आठ सांसदों को पूरे मानसून सत्र के लिए निलंबित कर दिया। इसके बाद कांग्रेस ने अब इस मुद्दे को लेकर सड़कों पर उतरने का फैसला लिया है।
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श्रेणीबद्ध तरीके से दो महीने तक चलेगा आंदोलन
एचटी की खबर के मुताबिक, इस बारे में जानकारी देते हए कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने बताया किसानों के समर्थन में पार्टी देशभर में श्रेणीबद्ध तरीके से अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित करेगी। गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेस से आंदोलन की शुरुआत की जाएगी, जो आगे भी जारी रहेगी। इसके बाद 28 सितंबर को हर राज्य में कांग्रेस नेता राजभवन तक मार्च कर कृषि विधेयकों के खिलाफ राष्ट्रपति को संबोधित करते हुए राज्यपाल को ज्ञापन सौंपेंगे। 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी और पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री की जयंती को कांग्रेस पार्टी 'किसान-मजदूर बचाओ दिवस' के तौर पर मनाएगी। इस दौरान कृषि विधेयकों को वापस लेने की मांग करते हुए देश के हर जिले में विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे।
2 करोड़ किसानों के हस्ताक्षर इकट्ठा करेगी कांग्रेस
केसी वेणुगोपाल ने आगे बताया कि 10 अक्टूबर को प्रदेश स्तर पर सम्मेलन कर कृषि विधेयकों का विरोध जताया जाएगा। साथ ही 2 अक्टूबर से लेकर 31 अक्टूबर तक कांग्रेस पार्टी देशभर में करीब 2 करोड़ किसानों के हस्ताक्षर इकट्ठा करेगी। आगे के कार्यक्रम की जानकारी देते हुए केसी वेणुगोपाल ने कहा, '14 नवंबर को भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की जयंती के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को दो करोड़ किसानों के हस्ताक्षर के साथ एक ज्ञापन सौंपा जाएगा।'
कृषि विधेयकों को लेकर सड़क पर लड़ाई लड़ने का फैसला
आपको बता दें कि कृषि विधेयकों के मुद्दे को लेकर बीते सोमवार को दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय पर प्रदेश प्रभारियों और पार्टी महासचिवों की एक बैठक हुई थी। इस बैठक में फैसला लिया गया कि संसद के बाद अब कृषि विधेयकों के मुद्दे पर सड़क पर लड़ाई लड़ी जाएगी। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की गैरमौजूदगी में, उनके निर्देश पर बनी एक छह सदस्यीय विशेष समिति ने इस बैठक की अध्यक्षता की। समिति में कांग्रेस नेता एके एंटनी, अहमद पटेल, अंबिका सोनी, केसी वेणुगोपाल, मुकुल वासनिक और रणदीप सिंह सुरजेवाला शामिल थे।
आंदोलन के जरिए अपनी खोई जमीन पाने की कोशिश में कांग्रेस
कांग्रेस ने केंद्र सरकार से मांग की है कि किसानों के हित में कृषि विधेयकों को वापस लिया जाए। वहीं, सियासी जानकारों का मानना है कि अपने 2 महीने लंबे जन आंदोलन के जरिए कांग्रेस अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन वापस पाना चाहती है। आपको बता दें इससे पहले साल 2015 में सोनिया गांधी ने मोदी सरकार के भूमि अधिग्रहण बिल के खिलाफ विपक्ष की 14 पार्टियों को साथ खड़ा करने में भी अहम भूमिका निभाई थी और सरकार को इस मुद्दे पर अपने कदम वापस खींचने पड़े थे।
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