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इस बार चुनाव न लड़ने के मूड में कांग्रेसी

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नई दिल्‍ली। रविवार को कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता और वर्तमान यूपीएम सरकार इंफार्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग मिनिस्‍टर मनीष तिवारी ने बीमारी का हवाला देते हुए लोकसभा चुनावों से अपना नाम वापस ले लिया है।

दो दिनों पहले तक ऐसी खबरें आ रही थीं कि मनीष की इच्‍छा चंडीगढ़ से चुनाव लड़ने की थी। लेकिन यहां से पार्टी की ओर से पूर्व रेल मंत्री और घूस कांड में फंसे पवन बंसल को टिकट दे दिया गया है। इससे पहले पार्टी के एक और वरिष्‍ठ नेता जीके वासन ने भी चुनावों से अपना नाम वापस ले लिया था।

वासन पार्टी के एक ऐसा नेता हैं जिन्‍हें तमिलनाडु से पार्टी का काफी विश्‍वसनीय चेहरा माना जाता है और वह हमेशा से ही यहां से पार्टी के लिए वोट्स हासिल करते रहे हैं। वहीं ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि कुछ नेता लोकसभा चुनावों की बजाय कुछ नेता राज्‍यसभा का रास्‍ता तलाश सकते हैं।

लोकसभा चुनावों के बाद जो नतीजे आने वाले हैं, उससे कांग्रेस का दिल टूट सकता है

इनमें सबसे आगे कपिल सिब्‍बल का नाम है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पहले ही राजनीति से सन्‍यास की घोषणा कर चुके हैं। वहीं पार्टी के कुछ नेता तो ऐसे हैं जो पार्टी को छोड़कर दूसरी पार्टी में जा रहे हैं। सबसे बड़ा उदाहरण है पार्टी की मध्‍य प्रदेश की भिंड सीट से बीजेपी में शामिल होने वाले भागीरथ प्रसाद और उत्‍त र प्रदेश में पार्टी के कद्दावर नेता माने जाने वाले जगदंबिका पाल।

वहीं कई राज्‍यों में नेताओं के मन में चुनावों को लेकर कई तरह की आशंकाएं हैं। रविवार को आई एक रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिम बंगाल में पार्टी के वरिष्‍ठ नेता अब्‍दुल मन्‍नान भी इस बार चुनाव न लड़ने का मन बना चुके हैं।

हालांकि पार्टी के उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी चाहते हैं कि पार्टी के वरिष्‍ठ नेता पार्टी के साथ रहे लेकिन वह सभी नेताओं को मना पाने में असफल रहे हैं। हालांकि पार्टी के नेता इसे पार्टी का अंदरुनी मामला बनाकर अपना पल्‍ला झाड़ रहे हैं।

विशेषज्ञों की मानें तो पहले साल 2013 के विधानसभा चुनाव तो कहीं एग्जिट पोल्‍स के नतीजे, इन सभी ने पार्टी को अंदर ही अंदर शायद अब कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया है। पार्टी कहीं न कहीं यह मान चुकी है कि

लोकसभा चुनावों के दौरान जो नतीजे आने वाले हैं, वह पार्टी के कई नेताओं का दिल तोड़ सकते हैं।

लेकिन इन सबके बावजूद पार्टी की ओर से आने वाले बयानों में इस तरह की बातों को छिपाया जाता है। पहले वर्ष 2004 और फिर वर्ष 2009 में पार्टी को मिली सफलता के बाद पार्टी को उम्‍मीद थी कि इस बार के चुनावों में भी

वैसा ही कुछ करिश्‍मा होगा, लेकिन इस बार पार्टी के लिए देश में माहौल काफी हद तक नकारात्‍मक ही नजर आ रहा है। ऐसे में वह नेता जो पिछले कई वर्षों से पार्टी के साथ थे इस बार चुनावों में पार्टी का साथ ने देने का मन बना रहे हैं।

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English summary
With the latest decision taken by I&B minister Manish Tewari, it seems Congress party has accepted its defeat in coming Lok Sabha election. 
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