कांग्रेस नेता ने कहा- सरकारी पैसे का इस्तेमाल मदरसे में नहीं हो सकता तो कुंभ में भी ना हो, भाजपा ने किया पलटवार
नई दिल्ली। विवादित बयान देने वाले कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद उदित राज एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने कुंभ मेले के आयोजन में हुए सरकारी पैसे के इस्तेमाल पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने अपने ट्वीट में कुंभ मेले और मदरसे की तुलना की और कहा कि जैसे असम सरकार ने सरकारी फंड से मदरसा ना चलाने का फैसला लिया है, ठीक उसी तरह उत्तर प्रदेश सरकार को भी कुंभ मेले के आयोजन के लिए 4200 करोड़ रुपये का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए था। एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि किसी भी धार्मिक कार्यक्रम में सरकारी फंड का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। ये ठीक नहीं है। इसके बाद जब उनके ट्वीट पर विवाद बढ़ने लगा तो उन्होंने इसे डिलीट कर दिया।
इसपर भाजपा नेता और यूपी मंत्री ब्रिजेश पाठक ने कहा, 'कुंभ अब एक वैश्विक मामला है, यह सिर्फ उत्तर प्रदेश सरकार तक सीमित नहीं है। किसी को ऐसे कार्यक्रम पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, जिसमें दुनियाभर के लाखों लोग शामिल हों।' वहीं केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, 'कुछ लोगों में विकास की इच्छा और आइडिया नहीं होता है। जब किसी कार्यक्रम में करोड़ों लोग आते हैं, तो सरकार को इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करना पड़ता है और सुविधाएं प्रदान करनी होती हैं। इस तरह के आयोजनों से इन्फ्रास्ट्रक्चर में विकास के अवसर मिलते हैं।'
अपने ट्वीट्स पर सफाई देते हुए उदित राज ने कहा, 'धर्म को राजनीतिक से अलग रखना चाहिए और राज्य को किसी भी धर्म में दखल / प्रोत्साहित / हतोत्साहित नहीं करना चाहिए। इस संदर्भ में, मैंने कुंभ मेले के खर्च का उदाहरण दिया, जो बहुत अधिक था।' उदित राज के ट्वीट पर भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, 'मित्रों ये है गांधी परिवार की सच्चाई.. पहले एफिडेविट देकर एससी में कहा था "भगवान श्री राम मात्र काल्पनिक हैं.. उनका कोई अस्तित्व नहीं" और अब प्रियंका वाड्रा जी का कहना है की कुंभ मेला भी बंद होना चाहिए!! तभी तो दुनिया कहती है राहुल और प्रियंका "सुविधा-वादी" हिंदू हैं।'
संबित पात्रा के इसी ट्वीट को रीट्वीट करते हुए उदित राज ने कहा, 'मैंने वही कहा जो आपके नेता हेमंत सरमा ने बोला। उन्होंने कहा धर्म को सरकारी खर्च पर प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए। इसपे डॉ अम्बेडकर का विचार दिमाग में आया और उसे प्रस्तुत किया कि धर्म-राजनीति का मिश्रण नहीं होना चाहिए। नहीं मालूम था आपकी गिद्ध नजर वोट के लिए उन्माद फैलाने की कोशिश करेगी।'
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