राष्ट्रपति शासन बढ़ाने के प्रस्ताव पर बोले मनीष तिवारी- कश्मीर के बिगड़े हालात के लिए BJP-PDP गठबंधन जिम्मेदार
नई दिल्ली। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाए जाने का प्रस्ताव पेश किया। लोकसभा में पहले भाषण में बोलते हुए अमित शाह ने कहा कि राज्य में अभी विधानसभा अस्तित्व में नहीं है इसलिए 6 माह के लिए राष्ट्रपति शासन को बढ़ाया जाए। वहीं, अमित शाह के इस प्रस्ताव का कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने विरोध किया।
राष्ट्रपति शासन बढ़ाने के प्रस्ताव का कांग्रेस ने किया विरोध
मनीष तिवारी ने कहा कि साल 2014 में एनडीए की सरकार बनने के बाद राज्य में चुनाव हुए और हमने एक प्रगतिशील प्रदेश बीजेपी सरकार को सौंपा था। कांग्रेस नेता ने कहा कि राज्य में बीजेपी ने पीडीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई, ये एक गलत गठबंधन था। कश्मीर में हालात बीजेपी और पीडीपी के गठबंधन की वजह से और बिगड़े हैं। अमित शाह के प्रस्ताव पर बोलते हुए मनीष तिवारी ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ कठोर नीति का हम विरोध नहीं कर रहे लेकिन आतंकवाद के खिलाफ जंग तभी जीती जा सकती है जब लोग आपका साथ देंगे।
सरकार लोगों का विश्वास जीतने में नाकाम रही है- मनीष तिवारी
कांग्रेस नेता ने कहा कि 2005 से 2008 तक कश्मीर का गोल्डन टाइम था क्योंकि कांग्रेस ने वाजपेयी सरकार की नीतियों को आगे बढ़ाया। फिर से कश्मीर में चुनाव हुए और कांग्रेस ने एनसी के साथ मिलकर सरकार बनाई, जिसने 2014 तक राज्य में पारदर्शी शासन दिया। कांग्रेस सांसद ने कहा कि अगर जम्मू-कश्मीर में शांतिपूर्ण तरीके से लोकसभा चुनाव कराए जा सकते हैं तो विधानसभा चुनाव क्यों साथ नहीं कराए गए। उन्होंने कहा कि सरकार लोगों का विश्वास जीतने में नाकाम रही है इसी कारण हालात और भी खराब हुए हैं।
शाह ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने का पेश किया है प्रस्ताव
इसके पहले, अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल सदन में पेश करते हुए कहा कि सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोग गोलीबारी से प्रभावित होते हैं, उन्हें आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में कई सालों से पंचायत के चुनाव नहीं कराए जाते थे, लेकिन हमारी सरकार ने पिछले एक साल में वहां 4 हजार से अधिक पंचायतों में चुनाव कराए और 40 हजार से अधिक पंच सरपंच आज लोगों की सेवा कर रहे हैं।