कपिल सिब्बल बोले- सीएए को लागू करने से इनकार करना 'असंवैधानिक'
नई दिल्ली। संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ राज्यों में हो रहे विरोध प्रदर्शन के बीच कांग्रेस के सीनियर नेता कपिल सिब्बल का बड़ा बयान आया है। कपिल सिब्बल ने शनिवार को कहा कि सीएए को लागू करने से कोई भी राज्य सरकार इनकार नहीं कर सकती है। उन्होंने कहा कि, राज्यों द्वारा सीएए को लागू करने से इनकार करना असंवैधानिक है। बता दें कि, नए कानून के खिलाफ कई राज्य सरकारें प्रस्ताव पास कर चुकी हैं।
सिब्बल बोले-संसद से पास हुआ है CAA, कोई राज्य लागू करने से नहीं कर सकता इनकार
उन्होंने कहा कि, अगर सीएए पास हो जाता है तो कोई भी राज्य यह नहीं कह सकता है कि, मैं इसे लागू नहीं करूंगा। यह संभव नहीं है और असंवैधानिक है। आप इसका विरोध कर सकते हैं, आप विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर सकते हैं और केंद्र सरकार से इसे वापस लेने के लिए कह सकते हैं। केरल के लिटरेचर फेस्टिवल (केएलएफ) के तीसरे दिन पूर्व कानून और न्याय मंत्री ने कहा कि, संवैधानिक रूप से यह कहना कि मैं इसे लागू नहीं करूंगा, यह समस्याग्रस्त होने वाला है और अधिक मुश्किलें खड़ी होने वाली हैं।
उन्होंने कहा, एनआरसी, एनपीआर पर आधारित है
वरिष्ठ वकील और नेता ने समझाया कि जब राज्य यह कहते हैं कि वह सीएए को लागू नहीं करेंगे तो उनका क्या मंतव्य होता है और वह ऐसा कैसे करेंगे. उन्होंने कहा कि राज्यों का कहना है कि वे राज्य के अधिकारियों को भारत संघ के साथ सहयोग नहीं करने देंगे। उन्होंने कहा, एनआरसी, एनपीआर पर आधारित है और एनपीआर को स्थानीय रजिस्ट्रार लागू करेंगे। अब गणना जिस समुदाय में होनी है वहां से स्थानीय रजिस्ट्रार नियुक्त किए जाने हैं और वे राज्य स्तर के अधिकारी होंगे।
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सिब्बल ने कहा कि व्यावहारिक तौर पर ऐसा कैसे संभव है
सिब्बल ने कहा कि व्यावहारिक तौर पर ऐसा कैसे संभव है, यह उन्हें नहीं पता लेकिन संवैधानिक रूप से किसी राज्य सरकार द्वारा यह कहना बहुत कठिन है कि वह संसद द्वारा पारित कानून लागू नहीं करेगी। सीएए के विरोध में राष्ट्रव्यापी आंदोलन को 'नेता' और 'भारत के लोगों'के बीच लड़ाई करार देते हुए 71 वर्षीय नेता ने कहा कि भगवान का शुक्र है कि देश के 'छात्र, गरीब और मध्य वर्ग'आंदोलन को आगे ले जा रहे हैं, न कि कोई राजनीतिक दल। उन्होंने कहा था कि इस कानून से राष्ट्र के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने के छिन्न-भिन्न होने का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में सरकार नागरिकता संशोधन कानून, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के संबंध में सदन की इच्छा से आगे बढ़ेगी।
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