प्रशांत भूषण के समर्थन में आए कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल, बोले 'इतिहास कोर्ट का मूल्यांकन करेगा'
नई दिल्ली। कोर्ट की अवमानना के मामले में दोषी ठहराए गए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के बचाव में आए कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने एक ताजा बयान में अवमानना कानून को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। उन्होंने अपने बयान में कहा कि अवमानना का उपयोग आजकल हथौड़े के रूप में किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट पर निशाना साधते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री सिब्बल ने कहा कि जब बड़े मुद्दे पर दांव लगा हो तो अवमानना का कार्य शुरू हो जाता है।
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अवमानन की शक्ति का प्रयोग एक हथौड़े की तरह किया जा रहा है
शनिवार को एक ट्वीट में सिब्ब्ल ने कहा, अवमानन की शक्ति का प्रयोग वर्तमान में एक हथौड़े की तरह किया जा रहा है। जब भी संविधान और कानूनों की रक्षा करने की आवश्यकता सबसे अधिक होती है, तो उस समय न्यायालय असहाय क्यों होते हैं, दोनों के लिए समान तरीके से "अवमानना" दिखाते हैं, जब बड़े मुद्दे दांव पर लगे हैं। बकौल सिब्बल, 'इतिहास हमें खारिज करने के लिए कोर्ट का मूल्यांकन करेगा।'
प्रशांत भूषण ने दया की भीख मांगने से इनकार करते हुए कह चुके हैं
वहीं, कोर्ट की अवमानना में दोषी ठहराए गए सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कोर्ट से दया की भीख मांगने से इनकार करते हुए कह चुके हैं कि वो उदारता दिखाने की अपील भी नहीं करेंगे और अदालत जो भी सजा देगी उसे वो खुशी-खुशी स्वीकार कर लेंगे। प्रशांत भूषण ने आगे कहा कि वह दो-तीन दिन में अपने वकीलों से परामर्श लेंगे और सुप्रीम कोर्ट की सलाह पर विचार करेंगे। कोर्ट ने प्रशांत भूषण को माफी के लिए दो दिन का वक्त दिया है।
अवमानना मामले में प्रशांत भूषण को कोई सजा नहीं सुनाई जाए: वेणुगोपाल
हालांकि मामले में अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने न्यायालय से अनुरोध किया था कि अवमानना मामले में प्रशांत भूषण को कोई सजा नहीं सुनाई जाए, वेणुगोपाल ने पक्ष रखते हुए कहा था कि उन्हें पहले ही दोषी ठहराया जा चुका है। इस पर न्यायालय ने कहा कि वह अटॉर्नी जनरल के अनुरोध पर तब तक विचार नहीं कर सकते जब तक प्रशांत भूषण ट्वीट के लिए माफी नहीं मांगने के अपने पहले के रुख पर पुन: विचार नहीं कर लेते।
हैरानी हो रही है कि 280 कैरेक्टर लोकतंत्र के खंभे को हिला रहे हैंः अरुण शौरी
वहीं, कोर्ट के रुख पर पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने एक बयान कहा कि जो शख्स उच्च पद पर बैठता है, चाहे वो राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या जज कोई भी हो, वो कुर्सी बैठने के लिए होती है ना कि खड़े होने के लिए. प्रशांत भूषण के ट्वीट के संदर्भ में जब अरुण शौरी से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें हैरानी हो रही है कि 280 कैरेक्टर लोकतंत्र के खंभे को हिला रहे हैं। उन्हें नहीं लगता है कि सुप्रीम कोर्ट की छवि इतनी नाजुक है। 280 कैरेक्टर से सुप्रीम कोर्ट अस्थिर नहीं हो जाता।
अवमानना मामले में प्रशांत भूषण को दोषी करार दिया जा चुका है
अवमानना मामले में प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने दोषी करार दिया जा चुका है और उनकी सजा पर सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने अपनी दलील में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए कोर्ट में कहा था कि बोलने में विफलता कर्तव्य का अपमान होगा। दुख है कि उन्हें अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया गया है, जिसकी महिमा उन्होंने एक दरबारी या जयजयकार के रूप में नहीं, बल्कि 30 वर्षों से एक संरक्षक के रूप में बनाए रखने की कोशिश की।
बकौल प्रशांत भूषण, मैं सदमे में हूं और इस बात से निराश हूं
बकौल प्रशांत भूषण, मैं सदमे में हूं और इस बात से निराश हूं कि अदालत इस मामले में मेरे इरादों का कोई सबूत दिए बिना इस निष्कर्ष पर पहुंची है। कोर्ट ने मुझे शिकायत की कॉपी नहीं दी। यह विश्वास करना मुश्किल है कि कोर्ट ने पाया कि मेरे ट्वीट ने संस्था की नींव को अस्थिर करने का प्रयास किया। लोकतंत्र में आलोचना जरूरी है। हम ऐसे समय में रह रहे हैं जब संवैधानिक सिद्धांतों को सहेजना व्यक्तिगत निश्चिंतता से अधिक महत्वपूर्ण होना चाहिए। बोलने में असफल होना कर्तव्य का अपमान होगा। यह मेरे लिए बहुत ही बुरा होगा कि मैं अपनी प्रमाणिक टिप्पणी के लिए माफी मांगता रहूं।