कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी की पीएम मोदी पर विवादित टिप्पणी, बोले कहां गंगा मां, कहां 'गंदी नाली'
नई दिल्ली: लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लोकसभा में विवादित टिप्पणी की। उन्होंने पीएम मोदी के लिए गंदी नाली का इस्तेमाल किया। उनकी इस टिप्पणी पर सदन में भारी हंगामा हुआ। अधीर रंजन चौधरी ने ये टिप्पणी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के संदर्भ में कही। हालांकि भारी हंगामे के बाद उनकी टिप्पणी को सदन की कार्यवाही से बाहर कर दिया गया।
पीएम मोदी पर विवादित टिप्पणी
दरअसल बीजेपी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि एक समय देश में इंदिरा इज इंडिया जैसा माहौल था। इस संदर्भ में बोलते हुए वो पीएम मोदी पर विवादित टिप्पणी कर बैठे। जब उन्होंने पीएम मोदी पर ये टिप्पणी की तब वो लोकसभा में ही थे। अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि कहां गंगा मां और कहां गंदी नाली, दोनों की तुलना ठीक नहीं है। इतना ही नहीं उन्होंने आगे कहा कि हमारा और मुंह मत खुलवाओ।
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अधीर रंजन चौधरी ने बाद में मांगी माफी
अधीर रंजन चौधरी ने बाद में संसद के बाहर अपनी विवादित टिप्पणी पर माफी मांगी। रिपोर्टरों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह गलतफहमी है, मैंने 'नाली' नहीं कहा। अगर पीएम इससे नाराज हैं तो मुझे खेद है। मेरा उन्हें चोट पहुँचाने का कोई इरादा नहीं था। अगर पीएम आहत हैं तो मैं उनसे व्यक्तिगत रूप से माफी मांगूंगा। मेरा हिंदी अच्छी नहीं है, 'नाली' से मेरा मतलब चैनल से है।
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बीजेपी सांसद पर लगाया आरोप
बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री प्रताप सारंगी की पीएम मोदी से विवेकानंद की तुलना पर उन्होंने कहा कि एक भाजपा सांसद ने स्वामी विवेकानंद की पीएम से तुलना उनके नामों में समानता के कारण की और उन्हें एक ही पद पर बैठाया। यह बंगाल की भावनाओं को आहत करता है। इसलिए मैंने कहा कि तुम मुझे उकसा रहे हो, अगर तुम जारी रखोगे तो मैं कहूंगा कि तुम गंगा की तुलना नाली से कर रहे हो
मोदी की स्वामी विवेकानंद से तुलना पर क्या कहा
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने एनडीए सरकार पर अपनी प्रशंसा सुनने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार को प्रशंशा सुनने का नशा है और वह अतीत की कांग्रेस सरकारों की उपलब्धियों को स्वीकार नहीं करना चाहती है। उन्होंने प्रताप सारंगी की ओर से मोदी की प्रशंसा में उन्हें स्वामी विवेकानंद की उपमा दिए जाने पर आपत्ति जताया।