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CAB पर शिवसेना की बेवफाई से खफा है कांग्रेस, जानिए महाराष्ट्र सरकार पर क्या पड़ेगा असर?

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बेंगलुरू। नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 राज्यसभा में भी मोदी सरकार पास करवाने में कामयाब रही और कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष 20 वोटों से सरकार से पराजित हो गई। राज्यसभा में सिटीजनशिप अमेंडमेट बिल यानी कैब के समर्थन में 125 वोट पड़े जबकि विरोध में 105 वोट पड़े। राज्यसभा में विपक्ष की हार का दर्द तब और बढ़ गया जब शिवसेना ने सदन से वॉकआउट रहकर मोदी सरकार का आसान कर दिया।

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नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 के विरुद्ध कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष को राज्यसभा में पराजय का मलाल हैं, लेकिन महाराष्ट्र सरकार में कांग्रेस की सहयोगी दल शिवसेना का सदन से वॉक आउट करना कांग्रेस को बहुत बुरा लग रहा है। हालांकि शिवसेना के सदन में होने और बिल विरोध में वोट करने के बाद भी बिल का राज्यसभा में पास होने से कोई नहीं रोक सकता था, क्योंकि शिवसेना के राज्यसभा मे सिर्फ 3 सदस्य हैं।

कांग्रेस शिवसेना के तीन सांसदों के वोटिंग के दौरान राज्यसभा से वॉक आउट होना रास नहीं आ रहा है, क्योंकि इससे विपक्ष की एकजुटता ही नहीं भंग हुई बल्कि इससे एनसीपी और कांग्रेस के समर्थन से महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में गठित महा विकास अघाड़ी मोर्च की सरकार का कॉमन मिनिमम प्रोग्राम का मजाक उड़ा है।

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इससे पहले भी कांग्रेस शिवसेना द्वारा लोकसभा मे कैब के समर्थन में वोट करने को लेकर नाराज चल रही थी। पूर्व कांग्रेस राहुल गांधी ने तो नारागजी में बाकायदा ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने साफ-साफ लिखा था कि कैब संविधान सम्मत नहीं है और जो लोग भी इसका समर्थन कर रहे हैं वो भारत की नींव को हिलाने की कोशिश कर रहे हैं।

हालांकि राहुल गांधी के ट्विट के बाद शिवसेना के रणनीतिककार और पार्टी प्रवक्ता संजय राउत ने ट्विट कर कांग्रेस को आश्वस्त किया था कि पार्टी राज्यसभा में अपना स्टैंड बदलेगी। कांग्रेस यह मानकर चल रही थी कि शिवसेना राज्यसभा में कैब के विरोध में वोटिंग में शामिल होकर महाराष्ट्र में गठित गठबंधन सरकार की अग्निपरीक्षा में पास करेगी।

हालांकि शिवसेना ने राज्यसभा में वोटिंग के समय वॉक आउट रहकर कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। शिवसेना के महज दो दिन के भीतर डबल झटका देकर कांग्रेस का पारा चढ़ा दिया है। इसकी तस्दीक कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के उक्त बयान से किया जा सकता है जब कैब के राज्यसभा में भी पास होने के बाद उन्होंने 11 दिसंबर को काला दिवस करार दिया।

गौरतलब है कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी महाराष्ट्र में परस्पर विरोधी दल शिवसेना को समर्थन देने को लेकर असमंजस में थी और काफी जद्दोजहद और एनसीपी चीफ शरद पवार के गारंटी लेने के बाद राजी हुईं थी, लेकिन पहली ही परीक्षा में शिवसेना की बेवफाई से कांग्रेस का पारा बढ़ गया है।

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हालांकि महाराष्ट्र सरकार में गृह मंत्रालय को लेकर पहले ही शिवसेना और एनसीपी के बीच संग्राम छिड़ा हुआ है। सीएम उद्धव ठाकरे गृह मंत्रालय अपने पास रखना चाहते हैं, लेकिन गृह मंत्रालय के लिए लॉबिंग में जुटी एनसीपी गृह मंत्रालय पर अपनी दावेदारी नहीं छोड़ पा रही हैं।

क्योंकि वर्ष 1999 से 2014 के बीच बनी साझा सरकारों में एनसीपी के खाते में ही गृह मंत्रालय रही हैं इसलिए एनसीपी खुद को गृह मंत्रालय पर अपनी दावेदारी सुरक्षित रखना चाहती हैं, लेकिन उद्धव ठाकरे पिछले 12 दिनों के कार्यकाल में गृह मंत्रालय की महत्ता को समझते हुए अब गृह मंत्रालय अपने पास ही रखना चाहते हैं।

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चूंकि साझा सरकार में सभी दलों को समन्वय और समझौते के मुताबिक चलना होता है, लेकिन जब कोई एक दल मनमाने तरीके से फैसला करने लगता है, तो ऐसे समझौते वाली सरकार के दिन जल्द पूरे हो जाते हैं। ऐसा ही कुछ महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी मोर्च में देखने को मिल रहा हैं।

जहां शिवसेना कैब मुद्दे पर लगातार दूसरी बार कांग्रेस को अंधेरे में रखकर पहले लोकसभा में बिल का समर्थन कर दिया और फिर राज्यसभा में सदन से वॉक आउट हो गई हैं। कांग्रेस का आरोप हैं कि शिवसेना ने अपने स्टैंड को लेकर एक बार भी कांग्रेस से चर्चा तक नहीं की, जो महाराष्ट्र में गठित साझा सरकार के कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के विरूद्ध हैं।

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सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस हाईकमान महाराष्ट्र में अपनी सहयोगी शिवसेना के रवैये बिल्कुल खुश नहीं है और कांग्रेस ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से फोन पर दो टूक शब्दों में अपनी नाराजगी जाहिर भी कर दी है। दो टूक बातचीत में कांग्रेस ने शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे के स्टैंड को भविष्य में महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार के लिए खतरा बताया है।

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कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की ओर से स्पष्ट कहा गया कि शिवसेना का यह स्टैंड महाराष्ट्र में गठबंधन के लिए तय हुए कॉमन मिनिमम प्रोग्राम का उल्लंघन हैं। कांग्रेस ने शिवसेना से निराशा जाहिर करते हुए कहा था कि गठबंधन के पार्टनर जहां आपस में सहमत नहीं होंगे, वहां फैसला लेने से पहले एक-दूसरे से चर्चा जरूर करेंगे।

यह भी पढ़ें- सुब्रमण्यम स्वामी ने बताया वो तरीका, जिससे महाराष्ट्र में फिर से बन सकती है BJP-शिवसेना की सरकार

शिवसेना के वॉक आउट पर कांग्रेस ने जताई हैरानी

शिवसेना के वॉक आउट पर कांग्रेस ने जताई हैरानी

लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी शिवसेना सदस्यों के सदन से बाहर रह कर कैब को परोक्ष समर्थन करने पर कांग्रेस ने हैरानी जताई हैं। राज्यसभा के सदन में कांग्रेस की अपनी किरकिरी के लिए शिवसेना को जिम्मेदार मान रही हैं। कांग्रेस नेता हुसैन दलवई ने शिवसेना के फैसले पर हैरानी जताते हुए कहा कि उन्हें नहीं पता कि शिवसेना ने बिल को समर्थन क्यों दिया है। हालांकि शिवसेना ने राज्यसभा में वोटिंग से बाहर रहकर यह स्पष्ट करने की कोशिश की हैं कि वह बिल के समर्थन में नहीं हैं, लेकिन इसका खामियाजा यह है कि सदन में विपक्ष की एकजुटता टूट गई, जिसका सीधा फायदा सरकार को मिला और बिल राज्यसभा में भी 105 के मुकाबले 125 वोटों के समर्थन से पास हो गई।

 सीएम उद्धव ठाकरे के बयान से कांग्रेस संतुष्ट नहीं हुई

सीएम उद्धव ठाकरे के बयान से कांग्रेस संतुष्ट नहीं हुई

लोकसभा में शिवसेना के कैब के समर्थन में वोट देने के बाद सीएम उद्धव कहा प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि पार्टी के सांसदों ने स्पष्टता नहीं होने के कारण बिल के समर्थन में वोट किया। उद्धव की प्रतिक्रिया के बाद माना जाने लगा कि शिवसेना राज्यसभा में अपने स्टैंड में बदलाव करते हुए बिल के विरोध में मतदान करेगी, लेकिन शिवसेना ने यहां भी कांग्रेस को गच्चा दे दिया और सदन से वॉक आउट कर गईं, जिससे कांग्रेस समर्थित महाराष्ट्र सरकार पर गाज गिरना तय माना जा रहा हैं, क्योंकि दो दिन के भीतर शिवसेना के बागी रवैये ने कांग्रेस की नाराजगी को बढ़ा दिया है।

राज्यसभा से वॉकआउट होने से अन्य विपक्षी दल भी नाराज

राज्यसभा से वॉकआउट होने से अन्य विपक्षी दल भी नाराज

लोकसभा में बिल का समर्थन और राज्यसभा में सदन से बाहर रहकर शिवसेना ने कांग्रेस के अलावा दूसरी विपक्षी दलों का नाराज किया हैं। इनमें एनसीपी चीफ शरद पवार भी शामिल हैं। नाराजगी का आलम ही थी कि राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल के पास होते ही शिवसेना के स्टैंड पर निराशा जताते हुए कांग्रेस ने शिवसेना द्वारा उठाए गए कदमों पर नाराजगी जाहिर करते हुए कह दिया कि भविष्य में ऐसी हरकतों को स्वीकार नहीं किया जाएगा, जिसका असर महाराष्ट्र में गठबंधन पर भी पड़ सकता है।

महाराष्ट्र में गृह मंत्रालय को लेकर भी छिड़ा है घमासान

महाराष्ट्र में गृह मंत्रालय को लेकर भी छिड़ा है घमासान

शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे महा विकास अघाड़ी मोर्च के नेतृत्व में गठित सरकार में सर्वेसर्वा हैं, लेकिन गृह मंत्रालय को लेकर उनका मोहभंग भी कांग्रेस और एनसीपी के लिए सिरदर्द बना हुआ है। एनसीपी गृह मंत्रालय पर अपनी दावेदारी ठोक चुका है, लेकिन सीएम उद्धव गृह मंत्रालय अपने पास रखना चाहते हैं। यही वजह है कि महाराष्ट्र में सरकार गठित हुए 14 दिन से अधिक बीत चुके हैं, लेकिन शपथ लेने चुके 6 कैबिनेट मंत्रियों को अभी तक पोर्टफोलियों नहीं बांटा गया हैं। गृह मंत्रालय को लेकर मची खींचतान के बाद अब राज्यसभा में शिवसेना का कैब को परोक्ष समर्थन गठबंधन सरकार के लिए अच्छा संकेत बिल्कुल नहीं हैं।

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English summary
Entire Opposition, including the Congress against the Citizenship Amendment Bill 2019, is defeated in the Rajya Sabha, but Congress party feeling bad over Shiv Sena's walk out decision from House while currently congress supporting Maharashtra government led by shiv sena. However, even after Shiv Sena being in the house and voting against the bill could stop the bill from passing in Rajya Sabha, as Shiv Sena has only 3 members in Rajya Sabha.
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