इधर महाराष्ट्र में घोड़े पर चढ़ने की तैयारी में है कांग्रेस, उधर कर्नाटक में BJP संग फेरे लेने को तैयार है जेडीएस
बंगलुरू। कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी पिछले एक महीने से महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए शिवसेना को साधने और दवाब बनाने की राजनीति में कितनी मशगूल है, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि कांग्रेस कर्नाटक उपचुनाव की तैयारियों और उसके नतीजों से कर्नाटक की मौजूदा सरकार बनते-बिगड़ते समीकरणों पर ध्यान नहीं दे पा रही हैं।
ऐसी खबरें आ रही हैं कि कर्नाटक में कांग्रेस की सहयोगी पार्टी जेडीएस अब पाला बदलने के मूड में है। जी हां, यह सौ फीसदी सच है। इसकी तस्दीक जेडीएस के वरिष्ठ नेता बसवराज होराती के बयान से की जा सकती है, जिसमें होराती ने कहा है कि अगर 5 दिसंबर को कर्नाटक उपचुनाव के नतीजों के बाद अगर बीजेपी की बीएस येदियुरप्पा सरकार अल्पमत में आई तो जेडीएस येदियुरप्पा सरकार का समर्थन करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
कहने का मतलब यह हुआ कि कांग्रेस अतंरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी अभी महाराष्ट्र में परस्पर विरोधी पार्टी शिवसेना के साथ गलबंहिया कर भी नहीं पाई हैं और उधर कर्नाटक में पार्टी के लिए एक और झटका तैयार है। महाराष्ट्र में चौथे नंबर पर रही कांग्रेस पार्टी अपनी सारी ऊर्जा महाराष्ट्र में सरकार बनाने में लगा दी है।
लेकिन कर्नाटक में जिंदा रहने के लिए कांग्रेस ने हाथ-पांव भी मारना छोड़ दिया है, जहां कांग्रेस के लिए सरकार बनाने का एक और मौका मिल सकता है। उपचुनाव में कांग्रेस के लिए खोने के लिए कुछ नहीं है, लेकिन अगर बीजेपी उपचुनाव मे 6 सीट नहीं जीत पाई तो उसकी सरकार अल्पमत में आ सकती है।
चूंकि कांग्रेस का पूरा ध्यान शिवसेना के साथ महाराष्ट्र में सरकार बनाने की कवायद पर है जबकि कर्नाटक में निर्मित नया समीकरण कांग्रेस के पक्ष में हैं। कांग्रेस पूरा जोर लगाकर 15 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में बीजेपी को परास्त कर येदियुरप्पा सरकार को गिरा भी सकती है।
अगर कांग्रेस 15 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में 12 सीट भी जीत लेती है तो बीजेपी की कर्नाटक सरकार अल्पमत में आ जाएगी। लेकिन कांग्रेस की लापरवाही का नतीजा ही कहेंगे कि बीजेपी ने ऐसी संभावनाओं से निपटने के लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस की सहयोगी पार्टी जेडीएस को लगभग तोड़ने में सफल रही है, जिसकी पुष्टि होराती के बयान से हो जाती है।
कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी की येदियुरप्पा सरकार के हित खड़ी हुई जेडीएस नेता ने कहा है कि किसी भी दल के विधायक कर्नाटक में मध्यावधि चुनाव नहीं चाहते हैं। होराती के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री कुमारास्वामी और पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा ने कहा है कि वो मौजूदा सरकार को गिरने नहीं देंगे। हालांकि जेडीएस के कांग्रेस को गच्चा देने की वजह कुछ और ही है।
एक वजह यह हो सकती है कि कर्नाटक सरकार में सहयोगी जेडीएस को कांग्रेस उचित सम्मान नहीं देती है, जिसकी शिकायत गठबंधन सरकार में रहते हुए कुमारास्वामी कई बार कर चुके है। दूसरी वजह, अभी हाल में कुमारास्वामी ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने की कवायद में जुटी कांग्रेस को शिवसेना के साथ गठबंधन नहीं करने की सलाह दी थी, लेकिन जेडीएस की सलाह को दरकिनार करते हुए कांग्रेस महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ गठबंधन सरकार में शामिल होने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है।
उल्लेखनीय है वर्ष 2018 में हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी 104 सीट जीतकर नंबर वन पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन 80 सीट जीतने वाली कांग्रेस ने जेडीएस 37 सीटों के सहयोग से 224 सीटों वाले विधानसभा में बहुमत के आंकड़े तक पहुंच गई और कुमारास्वामी के नेतृत्व में सरकार बनाने में कामयाब हो गई, लेकिन 14 महीने के भीतर कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के सरकार गिर गई।
क्योंकि कांग्रेस के 15 बागी विधायकों ने पाला बदल लिया, जिससे कुमारास्वामी सरकार को इस्तीफा देना पड़ गया। कांग्रेस के 15 विधायकों के इस्तीफा देने और 2 निर्दलियों के गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेने से विधानसभा में हुए शक्ति परीक्षण के दौरान कुमारास्वामी सरकार के पक्ष में महज 99 वोट पड़े जबकि विरोध में 105 वोट पड़े, जिससे कर्नाटक में एक बार फिर बीएस येदियुरप्पा सरकार के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बन गई।
हालांकि कर्नाटक विधानसभा स्पीकर केआर रमेश कुमार ने कांग्रेस से इस्तीफा दे चुके 15 विधायकों को दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य ठहरा दिया और उनके 2023 कर्नाटक विधानसभा चुनाव तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य ठहरा दिया था, लेकिन स्पीकर के फैसले के खिलाफ सभी विधायक सुप्रीम कोर्ट चले गए।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद अपने फैसले में स्पीकार केआर रमेश कुमार के फैसले पर मुहर लगा दी, लेकिन अयोग्य ठहराए गए विधायकों के चुनाव लड़ने पर लगाई गई स्पीकर के फैसले को रद्द कर दिया, जिससे 5 दिसंबर को प्रस्तावित उपचुनाव में सभी अयोग्य ठहराए गए पूर्व विधायक दोबारा चुनाव लड़ रहे हैं।
अयोग्य ठहराए गए सभी 15 कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार घोषित किया है, जहां से जीतकर सभी 15 विधायक 2018 विधानसभा चुनाव में विधानसभा पहुंचे थे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सभी बागी विधायकों को बाकायदा बीजेपी की सदस्यता दिलाई जा चुकी है। मुख्यमत्री बीएस येदयुरप्पा ने उम्मीद जताई है कि सभी 15 बीजेपी विधायक जीतकर दोबारा विधानसभा पहुंचेंगे।
हालांकि बीजेपी को अभी सत्ता में बने रहने के लिए 6 विधायकों की जरूरत है, क्योंकि उसके पास अभी 207 योग्य विधायकों वाले कर्नाटक विधानसभा में 106 विधायक हैं, लेकिन उपचुनाव के नतीजे के बाद जब योग्य विधायकों की संख्या 224 पहुंचेगी तो बीजेपी को बहुमत के लिए 112 सीटों की जरूरत होगी। हालांकि अगर बीजेपी 6 सीट नहीं जीत पाई तो उपचुनाव से पहले जेडीएस द्वारा बीजेपी सरकार को समर्थन करने की घोषणा ने बीजेपी को संजीवनी प्रदान कर दी है।
देखा जाए तो कांग्रेस के लिए कर्नाटक में सरकार में दोबारा सवार होने के बढ़िया मौका था, क्योंकि कांग्रेस और जेडीएस पार्टी बागी विधायकों की सीट दोबारा हो रहे उपचुनाव में बढ़िया उम्मीदवार उतारकर बागी विधायकों के खिलाफ सहानुभूति वोट हासिल करने में आसानी से सफल हो सकते थे, लेकिन कांग्रेस न केवल उसमें नाकाम दिख रही है बल्कि सहयोगी जेडीएस को भी संभाल कर नहीं रख पा रही है।
यही कारण है कि जेडीएस ने कांग्रेस को छोड़ अब बीजेपी की सरकार को समर्थन देने की घोषणा कर चुकी है। हालांकि कांग्रेस से कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा है कि कांग्रेस 15 में से 12 सीटों पर जीत दर्ज कर लेगी, लेकिन अभी तक कर्नाटक उपचुनाव कैंपेन के लिए कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की गैर हाजिर बताती है कि कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व महाराष्ट्र में सरकार गठन की कवायद की गठन में कितनी आतुर है।
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6 सीट नहीं जीती तब भी नहीं गिरेगी येदियुरप्पा सरकार?
जेडीएस नेता और विधान परिषद सदस्य बसवराज होराती ने कहा है कि अगर उपचुनाव के नतीजों के बाद कर्नाटक में बीजेपी सरकार अल्पमत में आई तो जेडीएस सरकार को बचाने के लिए समर्थन देने के लिए तैयार है। होराती के मुताबिक तीन राजनीतिक दलों- बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस का कोई भी विधायक सरकार गिराने के लिए तैयार नहीं है और कोई भी मध्यावधि चुनाव नहीं चाहता। दरअसल, मौजूदा सभी विधायक चाहते हैं कि उनका विधायक का पद शेष साढ़े तीन वर्ष के कार्यकाल तक रहे।
बीएस येदियुरप्पा सरकार को मिलेगा जेडीएस का समर्थन
कर्नाटक में उपचुनाव की कवायद के बीच पूर्व सीएम एचडी कुमारस्वामी और पूर्व पीएम देवगौड़ा ने कहा है कि वो बीजेपी की कर्नाटक सरकार को नहीं गिरने देंगे। उनके बयान के आधार पर विधान परिषद सदस्य और जेडीएस नेता बसवराज होराती ने कहा है कि अगर बीजेपी के पास संख्या बल की कमी होती है तो पूरी संभावना है कि जेडीएस उनके शेष साढ़े तीन वर्षों के कार्यकाल के दौरान समर्थन दे सकता है। यानी अगर बीजेपी 15 विधानसभा के लिए होने वाले उपचुनाव में 6 सीट से भी जीतने में नाकाम रही तो उसे जेडीएस की संजीवनी मिलनी तय है।
इसलिए कर्नाटक में बीजेपी को लेकर नरम हुई जेडीएस!
पूर्ववर्ती कुमारास्वामी सरकार को गिराने वाली बीजेपी के प्रति जेडीएस के रुख नरमी की वजह कांग्रेस की बेरूखी माना जा रही है। वहीं, हाल में जेडीएस के संरक्षक एच डी देवगौड़ा ने कहा था कि वह कर्नाटक में मध्यावधि चुनाव नहीं चाहते और चाहते हैं कि सरकार अपना कार्यकाल पूरा करे, जिससे उन्हें पार्टी को मजबूत करने का समय मिल जाएगा। इसके अलावा कुमारस्वामी ने भी हाल ही में कह चुके हैं कि जेडीएस बीजेपी की सरकार को नहीं गिराना चाहेगा। इसे कांग्रेस के फेलियर के रूप में भी देखा जा सकता है।
मजूबत उम्मीदवार उतार बीजेपी मजबूर कर सकती थी कांग्रेस
कांग्रेस और जेडीएस के बागी विधायकों के चलते कर्नाटक की सत्ता से आउट हुई कांग्रेस को बीजेपी की बीएस येदियुरप्पा सरकार गिराने से अधिक महाराष्ट्र में सरकार बनाने में अधिक मशगूल दिखाई दे रही है। कर्नाटक में अगर कांग्रेस और जेडीएस मिलकर मजबूत उम्मीदवार सभी बागियों के खिलाफ उतारती तो कांग्रेस को अधिक से अधिक सीटों पर सहानुभूति वोट मिल सकता था, लेकिन महाराष्ट्र में चौथे नंबर पर आई कांग्रेस परस्पर विरोधी पार्टी शिवसेना के साथ गलबंहिया में जुटी हुई है। हालांकि अभी स्पष्ट नहीं है कि महाराष्ट्र में एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस मिलकर सरकार गठन कर भी पाएंगे अथवा नहीं।
अकेले सिद्धारमैया पर है कर्नाटक उपचुनाव की जिम्मेदारी
कांग्रेस के शीर्ष आलाकमान ने लगता है कि 5 दिसंबर को होने वाले कर्नाटक उपचुनाव की जिम्मेदारी पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के हाथों में छोड़ रखी है। कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस सरकार के लिए एच डी कुमारास्वामी के चुनाव के दिन से ही नाराज सिद्धारमैया कांग्रेस की डूब चुकी नाव को कितना ले जा पाएंगे, यह तो उपचुनाव परिणाम ही बताएंगे। हालांकि सिद्धारमैया ने उपचुनाव के 15 सीटों में से 12 सीटों पर कांग्रेस की जीत दर्ज करने की बात कही है। सिद्धारमैया यह भी भली भांति जानते हैं कि कुमारास्वामी बीजेपी के संपर्क में हैं। शायद इसलिए वो भी उपचुनाव में पूरी ताकत झोंकने से बच रहे हैं।