प्रणब दा की अंतिम किताब प्रकाशित, लिखा-'कांग्रेस में मैजिक नेतृत्व खत्म', PM मोदी को दी ये सलाह
Congress failed to recognise end of its charismatic leadership said Pranab Mukherjee in last book The Presidential Years: तमाम विवादों और आलोचनाओं के बीच आखिरकार पूर्व राष्ट्रपति, स्वर्गीय प्रणब मुखर्जी की किताब 'द प्रेसिडेंशियल इयर्स' (The Presidential Years) प्रकाशित कर दी गई है, जिसमें कांग्रेस के नेतृत्व से लेकर पीएम मोदी के कई फैसलों पर टिप्पणी की गई है। आपको बता दें कि अपनी किताब में प्रणबा दा ने ऐसी कई बातें लिखी हैं, जिन पर बवाल मच सकता है। उन्होंने अपनी किताब में कांग्रेस के नेतृत्व पर प्रश्न खड़े किए हैं।
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कांग्रेस में मैजिक नेतृत्व खत्म: प्रणव दा
उन्होंने अपनी बुक में लिखा है कि साल 2014 में कांग्रेस पार्टी ने अपने करिश्माई नेतृत्व की पहचान नहीं की और यही उसकी करारी हार का कारण था। उन्होंने कांग्रेस के बिखराव पर प्रश्न खड़े करते हुए लिखा है कि कांग्रेस की लचरता की वजह से ही यूपीए सरकार एक मध्यम स्तर के नेताओं कि सरकार बन कर रह गई । साथ ही उन्होंने लिखा है कि पार्टी के अंदर पंडित नेहरू जैसे कद्दावर नेताओं की कमी है, जिनकी पूरी कोशिश यही रही कि भारत एक मजबूत राष्ट्र के रूप में स्थापित हो।
कांग्रेस पार्टी को बढ़िया नेतृत्व नहीं मिला
उन्होंने 2014 चुनावों के नतीजों पर निराशा जताते हुए लिखा है कि इस बात की राहत थी कि देश में निर्णायक जनादेश आया, लेकिन यह यकीन कर पाना मुश्किल था कि कांग्रेस सिर्फ 44 सीट जीत सकी। इसके पीछे प्रणब मुखर्जी ने बहुत सारे कारण गिनाए हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी को बढ़िया नेतृत्व नहीं मिला इसी वजह से पार्टी की ये दुर्दशा चुनाव में हुई।
सोनिया गांधी ने लिए गलत फैसले
प्रणब मुखर्जी ने लिखा है कि कई नेताओं ने उनसे कहा था कि अगर 2004 में वो प्रधानमंत्री बने होते तो 2014 में इतनी करारी हार नहीं मिलती। मनमोहन सिंह भी प्रभावी नहीं रहे क्योंकि उनका सारा फोकस सरकार को बचाने में जा रहा था, उन्होंने साफ तौर पर लिखा है कि उनके राष्ट्रपति बनते ही कांग्रेस ने अपनी दिशा खो दी। सोनिया गांधी सही फैसले नहीं ले पा रही थीं, जिसके कारण कांग्रेस हाशिए पर चली गई।
PM मोदी के लिए कही ये बात
केवल कांग्रेस पर ही नहीं, प्रणब मुखर्जी की कलम पीएम मोदी के नेतृत्व पर भी चली है। उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा करने से पहले उनके साथ इस मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं की थी लेकिन उन्होंने ये भी लिखा है कि इस तरह के फैसले से पहले बहुत सारी बातों को गुप्त रखना जरूरी होता है इसलिए पीएम मोदी ने ऐसा किया, उन्होंने लिखा है कि अपने पहले कार्यकाल में संसद को सुचारू रूप से नहीं चला पाए, इसके पीछे कारण उनका और पार्टी का अहंकार रहा।
'पीएम मोदी को विरोधी पक्ष की आवाज भी सुननी चाहिए'
मुखर्जी ने लिखा है कि पीएम मोदी को विरोधी पक्ष की आवाज भी सुननी चाहिए और विपक्ष को समझाने और देश को तमाम मुद्दों कि जानकारी देने के लिए संसद में अक्सर बोलना चाहिए। नेहरू से लेकर इंदिरा तक, अटल से लेकर मनमोहन तक , सभी ने इस चीज का पालन किया है तो पीएम मोदी को भी इस परंपरा का पालन करना चाहिए।
मोदी का अचानक लाहौर जाना गलत था
इसके अलावा उन्होंने अपने और पीएम मोदी के निजी रिश्ते के भी बारे में भी किताब में जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि पीएम मोदी का saarc फैसला अच्छा था लेकिन अचानक लाहौर जाना गलत था। पाकिस्तान के तल्ख रिश्तों के बीच पीएम का ऐसा करना सही नहीं था।
विपक्ष के नेताओं से प्रणब दा के थे मधुर संबंध
साथ ही उन्होंने सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव और बसपा सु्प्रोमो मायावती के साथ अपने रिश्ते का भी उल्लेख किया है, उन्होंने लिखा है कि राजनीतिक विरोधी होने के बावजूद हमारे बीच मित्रता थी।
किताब को लेकर भाई-बहन ही आमने-सामने
आपको बता दें कि प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने किताब पर तब तक रोक लगाने की मांग की थी जब तक कि वो उसे पढ़ नहीं लेते लेकिन उनकी बहन और प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने किताब पर रोक लगाने की अपने भाई कि मांग को गलत बताया था इस तरह से पिता की किताब पर बेटा और बेटी में ही भिड़ंत हो गई थी।
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