यहां पढ़िए, मध्यप्रदेश में टिकट बंटवारे को लेकर कांग्रेस का क्या है फॉर्मूला
नई दिल्ली। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने के बाद अब राजनीतिक दलों में टिकटों के बंटवारे को लेकर मंथन शुरु हो गया है। कांग्रेस और बीजेपी के अंदर इस मामले पर कई स्तरों पर बातचीत हो रही है क्योंकि दोनों ही दलों के लिए ये चुनाव महत्वपूर्ण हैं और कोशिश ये है कि टिकटों को लेकर किसी तरह का असंतोष ना हो। खबर है कि कांग्रेस टिकटों के बंटवारे में उसी रणनीति को अपनाने जा रही है जो उसने गुजरात और कर्नाटक विधानसभा चुनावों के दौरान अपनाई थी। कांग्रेस अलग-अलग संस्थाओं द्वारा किए गए सर्वेक्षणों के आधार पर टिकटों का बंटवारा करेगी।
मध्यप्रदेश पर तीन सर्वे
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के पास मध्यप्रदेश को लेकर पार्टी की संभावनाओं के बारे में तीन आधिकारिक सर्वेक्षण हैं। एक सर्वे पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा करवाया गया है, दूसरा प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ द्वारा जबकि तीसरा पार्टी के महासचिव और मध्य प्रदेश के प्रभारी दीपक बावरिया ने करवाया है। कहा जा रहा है कि ये तीन सर्वेक्षण ही टिकट देने का मानदंड होंगे।
सर्वे बनेंगे टिकट का आधार
उस
व्यक्ति
को
टिकट
मिलने
की
सबसे
ज्यादा
संभावना
होगी
जिसका
नाम
इन
तीनों
सर्वें
में
होगा।
पार्टी
के
वरिष्ठ
नेताओं
का
मानना
है
कि
इन
सर्वेक्षणों
ने
उनके
लिए
चीजों
को
आसान
बनाया
दिया
है
क्योंकि
ये
सर्वे
तीन
अलग-अलग
एजेंसियों
ने
तीन
अलग-अलग
वक्त
पर
किए
हैं।
इन
तीनों
एजेंसियों
का
एक
दूसरे
से
भी
कोई
संबंध
नहीं
है
इसलिए
आकड़ों
में
किसी
तरह
की
समानता
का
भी
कोई
अंदेशा
नहीं
है।
इन
सर्वेक्षणों
के
अलावा
राज्य
का
दौरे
करने
वाले
पर्यवेक्षकों
की
रिपोर्ट
को
भी
ध्यान
में
रखा
जाएगा।
किसी
को
भी
टिकट
देने
से
पहले
इन
चारों
रिपोर्ट
का
अध्ययन
किया
जाएगा।
राहुल
गांधी
द्वारा
करवाया
गये
सर्वे
को
एक
अंतरराष्ट्रीय
एजेंसी
द्वारा
किया
गया
है
और
कांग्रेस
का
मानना
है
कि
गुजरात
और
कर्नाटक
विधानसभा
चुनावों
में
टिकट
वितरण
के
लिए
इसी
फॉर्मूले
का
इस्तेमाल
किया
गया
था
और
पार्टी
को
इससे
बहुत
फायदा
हुआ
था।
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याचिका
खारिज
पार्टी को सर्वे पर ज्यादा भरोसा
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस को इस प्रक्रिया से बेहतर जानकारी मिल रही है क्योंकि ये सर्वेक्षण बाहरी एजेंसियों द्वारा किए गए हैं जिनका पार्टी से कुछ लेना देना नहीं है। इसलिए ये सर्वे वास्तविकता के करीब हैं और उम्मीदवार का चयन करने के किसी भी फैसले तक पहुंचने में पार्टी की काफी मदद कर रहे हैं। ये कहा जा रहा है कि पार्टी वैज्ञानिक पद्धति के आधार पर हो रहे इन सर्वेक्षणों पर ज्यादा भरोसा कर रही हैं क्योंकि उसे लगता है कि इन्हें किसी पार्टी के व्यक्ति द्वारा प्रभावित करना बहुत मुश्किल है। कभी-कभी लोगों को ये भी पता नहीं चलता है कि कोई सर्वे हो रहा है इसलिए इनके ज्यादा सटीक होने की संभावना है।
सख्ती से होगा फॉर्मूले का पालन
पार्टी के सूत्रों का कहना है कि कोई भी नहीं जानता की राहुल गांधी ने अपना सर्वेक्षण किया था। इसे ए+ रेटिंग दी गई है और किसी भी टिकट के दावेदार का इस सर्वे में नाम होना जरूरी है। कहा जा रहा है कि पार्टी बिना कोई समझौता किए इस प्रक्रिया का सख्ती से पालन कर रही है। पार्टी मध्यप्रदेश की 230 सीटों में से कम से कम आधी पर टिकट इन्हीं सर्वेक्षणों के आधार पर देने की योजना बना रही है। गुजरात और कर्नाटक में इस योजना को लागू करने से आए नतीजों से पार्टी उत्साहित है और उसे अब और बेहतर नतीजों की उम्मीद है।
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