कश्मीर सिर्फ भौगोलिक तौर पर हमारे साथ, भावनात्मक रूप से नहीं: अधीर रंजन चौधरी
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नई दिल्ली। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि सरकार जिस तरह से कश्मीर के साथ पेश आ रही है, वो सही तरीका नहीं है। आज कश्मीर की जमीन तो हमारे पास है लेकिन भावानात्मक तौर पर कश्मीरी हमसे दूर हैं। संसद परिसर में में मीडिया से बात करते हुए चौधरी ने कहा, प्रधानमंत्री ने कल संसद में उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती के बारे में बोला और रात में ही दोनों पर पीएसए एक्ट के तहत कार्रवाई कर दी गई। जो तरीका सरकार अपना रही है, उससे आप कश्मीर पर शासन नहीं कर पाएंगे। आज कश्मीर भौगोलिक भावनात्मक रूप से हमारे साथ नहीं दिख रहा है।
जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने के फैसले के बाद से ही राज्य के ज्यादातर नेता हिरासत में है। तीन पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती, फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला पिछले साल 5 अगस्त से ही नरबंद हैं। प्रशासन ने तीनों मुख्यमंत्रियों को पीएसए के तहत नजरबंद रखा है। उमर और महबूबा पर एक दिन पहले ही पीएसए लगाया गया है। इसी को लेकर अधीर रंजन चौधरी ने टिप्पणी की है। पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने भी उमर और महबूबा पर पीएसए लगाए जाने को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। चिदंबरम ने ट्वीट किया, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और अन्य के खिलाफ पीएसए की क्रूर कार्रवाई से हैरान हूं। आरोपों के बिना किसी पर कार्रवाई लोकतंत्र में सबसे घटिया कदम है। जब अन्यायपूर्ण कानून पारित किए जाते हैं या अन्यायपूर्ण कानून लागू किए जाते हैं, तो लोगों के पास शांति से विरोध करने के अलावा क्या विकल्प होता है?
अधीर रंजन चौधरी ने पूर्वोत्तर में नागरिकता कानून के खिलाफ आंदोलन और शुक्रवार को पीएम के असम दौरे पर कहा, हम चाहते हैं नॉर्थ ईस्ट में शांति बरकार रहे और ये जो प्रयास है आज से नहीं बल्कि बहुत दिनों से जारी है। पहले भी बहुत सारे अकॉर्ड हुए। राजीव गांधी के समय में नागालैंड अकॉर्ड और असम अकॉर्ड हुए थे। सीएए के खिलाफ जो आंदोलन चल रहा था उसके चलते हमारे पीएम असम नहीं जा पाए थे इसलिए अब वो असम जा रहे हैं जहां वो बड़ी-बड़ी बाते करेंगे लेकिन वो बेरोज़गारी और उद्योग पर बात नहीं करते।
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