पांच डिप्टी सीएम बनाने वाले मुख्यमंत्री अब चार-चार राजधानियां बनाने के मूड में
नई दिल्ली- चंद्रबाबू नायडू ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए अमरावती को राजधानी के रूप में विकसित करने पर पूरा जोर लगाया था। लेकिन, टीडीपी की सरकार जाते ही अमरावती के भविष्य पर सवालिया निशान लगना शुरू हो गया। अब ऐसी खबरें आ रही हैं कि सत्ता के विकेंद्रीकरण के हिमायती मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी एक नहीं क्षेत्र के हिसाब से चार-चार राजधानी बनाने पर विचार कर रहे हैं। यहां यह बता देना जरूरी है कि भारी बहुमत से जीतने के बाद भी वह पहली बार 5-5 विधायकों को उपमुख्यमंत्री बनाकर सबको चौंका चुके हैं।
बीजेपी सांसद का बड़ा दावा
अमरावती के भविष्य पर आंध्र प्रदेश की राजनीति में जारी विवादों के बीच बीजेपी सांसद टीजी वेंकटेश ने बड़ा दावा किया है। उनके मुताबिक जगन मोहन रेड्डी की सरकार सभी व्यवस्थाएं एक जगह नहीं रखना चाहती और इसी के चलते विकेंद्रीकरण में ज्यादा विश्वास रखती है। उन्होंने कहा है कि आंध्र प्रदेश में एक नहीं, बल्कि चार अलग-अलग क्षेत्रों में राजधानी विकसित करने का फैसला लिया जा सकता है। वेंकटेश ने दावा किया है कि खुद जगन मोहन रेड्डी ने नई दिल्ली में बीजेपी के कुछ वरिष्ठ नेताओं के साथ इस तरह की चर्चा की हैं। वेंकटेश ने दावा किया है कि उन्हें बीजेपी के एक नेता ने ही बताया है कि जगन आंध्र प्रदेश में चार राजधानी बनाना चाहते हैं। उनका ये भी कहना है कि आंध्र प्रदेश के सीएम सभी क्षेत्रों का एक तरह से विकास चाहते हैं, इसलिए इस तरह का प्रस्ताव उनके मन में है। गौरतलब है कि टीजी वेंकटेश हाल ही में टीडीपी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए हैं।
किन-किन क्षेत्रों में राजधानी बनाने की अटकलें?
बीजेपी सांसद के मुताबिक जगन रेड्डी जिन क्षेत्रों में राजधानी बनाना चाहते हैं, उनमें रायलसीमा, ओंगोल-गुंटूर-नेल्लोर, कृष्णा-गोदावरी और सिरिकाकुलम-विशाखापट्टनम-विजयनगरम जैसे इलाके शामिल हैं। बता दें कि खुद टीजी वेंकटेश रायलसीमा के ही कुरनूल इलाके से आते हैं। इनका बयान ऐसे समय में आया है जब आंध्र प्रदेश के मंत्री और वाईएसआरसीपी के नेता अमरावती से राजधानी हटाए जाने को लेकर परस्पर विरोधी बयान दे रहे हैं, जिससे राज्य में असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। कुछ दिन पले ही राज्य के शहरी विकास मंत्री बोत्सा सत्यनारायण ने कहा था कि अमरावती कृष्णा नदी के किनारे होने के चलते बाढ़-प्रभावित है, इसलिए इसे राजधानी बनाने के फैसले पर दोबारा विचार होना चाहिए। हालांकि, बाद में उन्होंने आरोप लगाया था कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया। जबकि, पार्टी के कुछ नेताओं ने राजधानी बदले जाने की संभावना से इनकार किया है, लेकिन यह जरूर संकेत दिया है कि अमरावती को विकसित करने की योजना उतनी भव्य नहीं रखी जाएगी, जैसा कि नायडू ने तैयार किया था।
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अमरावती के लिए क्या थी नायडू की प्लानिंग?
बता दें कि जब से जगन की सरकार बनी है अमरावती को राजधानी के रूप में विकसित करने का काम पूरी तरह से ठप पड़ चुका है। क्योंकि, सरकार ने टीडीपी सरकार की ओर से दिए गए सभी ठेकों के मूल्यांकन करने का फैसला किया है। गौरतलब है कि चंद्रबाबू नायडू ने अमरावती को राजधानी के रूप में विकसित करने के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपये का मेगा प्लान तैयार कर रखा था, जिसे तीन चरणों में पूरा होना था। इस साल मार्च में जब राज्य में चुनाव की कवायद शुरू हुई थी, तब 38,000 करोड़ रुपये का काम जारी था। राजधानी के लिए नायडू सरकार ने किसानों की 33,000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था। हालांकि, तब विपक्ष में रहते हुए भी जगन ने किसानों से उपजाऊ जमीन जबरन छीनने का आरोप लगाया था। उन्होंने अमरावती के नाम पर बड़े जमीन घोटाले का भी आरोप तत्कालीन टीडीपी सरकार पर मढ़ा था।
5-5 उपमुख्यमंत्री बनाकर चौंका चुके हैं जगन
वैसे भारी बहुमत से आंध्र प्रदेश की सत्ता में आने के बाद अपने नए प्रयोगों से लोगों को पहले भी जगन मोहन रेड्डी चौंका चुके हैं। अपने 25 सदस्यीय मंत्रिपरिषद में उन्होंने 5 नेताओं को उपमुख्यमंत्री बनवाया है। इन पांचों उपमुख्यमंत्रियों के जरिए उन्होंने जाति और क्षेत्र सबको प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है। इसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और कापु समुदाय के प्रतिनिधि शामिल हैं। साथ ही 5 अलग-अलग क्षेत्रों यानी रायलसीमा, प्रकाशम, कृष्णा डेल्टा, गोदावरी और वाइजाग इलाकों को भी प्रतिनिधित्व दिया गया है।
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