कांग्रेस में नेतृत्व संकट पर घमासान, संदीप दीक्षित बोले 'बिल्ली के गले में घंटी बांधे कौन'
नई दिल्ली- दिल्ली चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद एक बार फिर से पार्टी में हाहाकार मचा हुआ है। पार्टी के अंदर फिर से नेतृत्व को लेकर सवाल उठ रहे हैं। पहले दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे और पूर्व सांसद ने एक इंटरव्यू में यह मुद्दा उठाया तो पार्टी के अंदर से उनका समर्थन और विरोध दोनों शुरू हो गया है। वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर जहां दीक्षित के समर्थन में कूद पड़े हैं, वहीं मुंबई कांग्रेस के नेता संजय निरुपम दीक्षित के अंदाज-ए-बयां से असहमत नजर आ रहे हैं। दरअसल, संदीप दीक्षित ने पार्टी की अंदरूनी हालात पर अपनी राय सार्वजनिक करने की कोशिश की है, जिसको लेकर पार्टी में असहजता महसूस की जा रही है। उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की इस बात को लेकर खिंचाई की है कि इतने महीनों बाद भी वह पार्टी का कोई पूर्णकालिक अध्यक्ष नहीं ढूंढ पाए हैं?
6 से 8 नेता नेतृत्व देने में सक्षम- दीक्षित
संदीप दीक्षित ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि कांग्रेस में कम से कम 6 से 8 ऐसे नेता हैं, जो पार्टी को लीड करने में सक्षम हैं। उन्होंने कुछ नेताओं मसलन, अमरिंदर सिंह, अशोक गहलतो, कमलनाथ, एके एंटनी, पी चिदंबरम, सलमान खुर्शीद और अहमद पटेल जैसे नेताओं का नाम लेकर कहा है कि वे पार्टी के लिए आगे क्यों नहीं आते? उन्होंने कहा है कि यही वक्त है जब वे अपने अनुभव का पार्टी के लिए उपयोग कर सकते हैं। ये लोग मिल-बैठकर नेतृत्व चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं। दीक्षित ने कहा कि, 'मौजूदा स्थिति ये है कि मैडम गांधी एक अंतरिम अध्यक्ष हैं, मिस्टर (राहुल) गांधी अध्यक्ष बनना नहीं चाहते। इसलिए उनकी बातों का सम्मान करते हुए हमें आगे बढ़ना चाहिए। अगर कांग्रेस पार्टी किसी समय ऐसा महसूस करती है कि मिस्टर गांधी को वापस आना है या वह वापस आना चाहते हैं, यह अवसर हमेशा रहेगा। यह दूसरे राज्यों में भी हुआ है।'
'बिल्ली के गले में घंटी बांधे कौन ?
जब संदीप दीक्षित से ये सवाल किया गया कि राहुल गांधी ने जब लोकसभा के चुनाव के बाद अध्यक्षता छोड़ी, तभी अपनी जगह पर किसी उत्तराधिकार के लिए जगह क्यों नहीं सुनिश्चित की। इसपर फिर से दीक्षित ने पार्टी के उन्हीं वरिष्ठ नेताओं की ओर उंगली उठाई कि उन्होंने ही इसकी प्रक्रिया शुरू नहीं की। दीक्षित ने कहा, 'इन लोगों को साथ आने में क्या दिक्कत थी? वे लोग उनसे (राहुल से), सोनियाजी से और कुछ और वरिष्ठ नेताओं से विचार-विमर्श कर सकते थे। ऐसा क्यों नहीं हुआ? आप लोग किस बात से डरे हुए हैं? वे लोग इस बात से डरते हैं कि बिल्ली के गले में घंटी बांधे कौन? राजनेता और तथाकथित नेताओं में यही अंतर होता है, जो लोग टुकड़ों के ही इंतजार में रहते हैं।'
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थरूर ने अध्यक्ष के चुनाव की मांग की
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता शशि थरूर ने संदीप दीक्षित की बातों का समर्थन किया है। उन्होंने कहा है दीक्षित ने वही कहा है, जो दर्जनों नेता निजी बातचीत में कहते हैं। उन्होंने पार्टी में निर्णय लेने वाली सबसे बड़ी संस्था कांग्रेस वर्किंग कमिटी से गुजारिश की है कि अध्यक्ष तय करने के लिए चुनाव करे। उन्होंने ट्वीट किया है, "संदीप दीक्षित ने जो खुलेआम कहा है, देशभर के दर्जनों पार्टी नेता निजी तौर पर कह रहे हैं, जिसमें कई पार्टी के जिम्मेदार पदों पर भी हैं। मैं सीडब्ल्यूसी अपनी अपील फिर दोहराता हूं कि लीडरशिप का चुनाव करें, जिससे कार्यकर्ताओं में उत्साह आएगा और मतदाता प्रेरित होंगे।" दूसरे ट्वीट में उन्होंने चुनाव की प्रक्रिया पर भी चर्चा की है।
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निरुपम ने कहा- चर्चा बेमानी
लेकिन, मुंबई कांग्रेस के नेता संजय निरुपम थरूर के मशवरे से इत्तेफाक नहीं रखते। निरुपम को यही लगता है कि पार्टी में सिर्फ राहुल गांधी ही ऐसे नेता हैं, जो कांग्रेस को बचा सकते हैं। उन्होंने ट्वीट किया है, "यह चर्चा बेमतलब है। इस मोड़ पर कांग्रेस को परिवार से बाहर का कोई व्यक्ति नेतृत्व नहीं दे सकता। राहुल गांधी एकमात्र नेता हैं, जो पार्टी को लीड कर सकते हैं और बचा सकते हैं। बाकी नेता सिर्फ एक समूह के नेता हैं और ऐसे नेता सिर्फ ग्रुपिज्म को बढ़ावा देंगे।"
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