अब तक 15, योगी राज में सस्पेंड किए गए IPS की पूरी लिस्ट
नई दिल्ली- साढ़े तीन साल के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अब तक अलग-अलग वजहों से राज्य के 15 आईपीएस अफसरों को सस्पेंड किया है। ये तमाम हाई प्रोफाइल पुलिस अधिकारी भ्रष्टाचार और पुलिस के निकम्मेपन के अलावा उगाही और धमकी देने जैसे आरोपों में राज्य सरकार की नाराजगी के शिकार हुए हैं। हालांकि, बाद में इन 15 आईपीएस अफसरों में से 8 अफसरों की सेवा फिर से बहाल की जा चुकी है। लेकिन, 7 आईपीएस अभी भी निलंबित चल रहे हैं। इन आईपीएस अधिकारियों पर राज्य सरकार की गाज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के कुछ दिनों बाद से ही गिरनी शुरू हो गई थी और सिलसिला अभी तक नहीं थमा है। यूपी में निलंबित होने वाले इन सभी आईपीएस अधिकारियों की पूरी लिस्ट देखिए और जानिए कि अभी किनकी सेवा बहाल हो चुकी है और कौन अभी भी निलंबित ही चल रहे हैं।
योगी राज में अब तक 15 आईपीएस निलंबित
2017 के मार्च में यूपी के सत्ता में आने के बाद से योगी आदित्यनाथ सरकार ने जिन 15 आईपीएस अधिकारियों को सस्पेंड किया है, उनमें से 6 पर इस साल कार्रवाई की गई है। योगी सरकार के कार्यकाल में सस्पेंड होने वाले पहले आईपीएस अफसर थे हिमांशु कुमार जबकि जिन दो पर हाल ही में गाज गिराई गई है, वे हैं महोबा के एसपी मणिलाल पाटिदार और प्रयागपाज के एसपी अभिषेक दीक्षित। हिमांशु कुमार (1) को सत्ता में आने के तत्काल बाद ही योगी सरकार ने 25 मार्च, 2017 को निलंबित कर दिया गया था। 2010 बैच के आईपीएस हिमांशु कुमार पर कथित रूप से सोशल मीडिया पर एक खास जाति के प्रति 'मौजूदा सरकार के कथित पक्षपात' वाला पोस्ट डालने का आरोप था। हालांकि, बाद में उनकी सेवा बहाल कर दी गई।
अलग-अलग आरोपों में गिरती रही गाज
योगी सरकार के कार्यकाल के पहले ही साल 24 मई को सहारनपुर के तत्कालीन एसएसपी सुभाष चंद्र दुबे (2) को निलंबित कर दिया गया था। उनपर जिले में जातीय झड़प रोकने में नाकाम रहने का आरोप था, जिसमें एक युवक की मौत हो गई थी। करीब एक साल बाद 16 जुलाई, 2018 को दो जिलों के एसपी को सस्पेंड कर दिया गया। संभल जिले में एक महिला के साथ गैंगरेप की घटना के बाद उसे जिंदा जलाने की घटना सामने आने के बाद वहां के एसपी आरएम भारद्वाज (3) को निलंबित किया गया। उसी दिन प्रतापगढ़ जिले में एक महिला की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत होने के बाद वहां के तत्कालीन एसपी संतोष कुमार सिंह (4) को सस्पेंड कर दिया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दोनों अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के भी आदेश दिए थे। लेकिन, बाद में दोनों की सेवा में वापसी हो गई।
एडीजी स्तर के अधिकारी भी नपे
2018 में ही देवरिया जिले में गैर-कानूनी रूप से चलाई जा रही एक शेल्टर होम में 20 लड़कियों के साथ यौन शोषण के मामले का खुलासा हुआ था। इस घटना की गाज वहां के तत्कालीन एसपी रोहन पी कनय (5) पर गिरी और उन्हें निलंबित करके उनके खिलाफ विभागीय जांच बिठा दी गई। पिछले साल फरवरी में एडीजी (रूल्स एंड मैनुअल्स) जसवीर सिंह (6) को अनुशासनहीनता के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया। उनपर कथित रूप से एक न्यूज पोर्टल पर यह टिप्पणी करने का आरोप लगा कि उन्हें इसलिए खराब पोस्टिंग दी गई है, क्योंकि उन्होंने नेताओं और मंत्रियों को उनके कार्यों के लिए जिम्मेदार ठहराया था। वह अभी भी निलंबित चल रहे हैं। दो महीने बाद बाराबंकी के तत्कालीन एसपी सतीश कुमार (7) को एक ट्रेडिंग कंपनी से 65 लाख रुपये की उगाही करने के आरोपों में सस्पेंड कर दिया गया।
हर साल औसतन 5 आईपीएस हुए निलंबित
पिछले साल अगस्त में ही बुलंदशहर के एसएसपी एन कोलांची (8) को पुलिस थानों के इंचार्जों की ट्रांसफर-पोस्टिंग में कथित धांधली के आरोपों में सस्पेंड कर दिया गया था। सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया कि तत्कालीन डीजीपी ओपी सिंह की रिपोर्ट में भी गंभीर धांधलियां पाई गईं हैं। दो हफ्ते बाद ही प्रयागराज के तत्कालीन एसएसपी अतुल शर्मा (9) भी सस्पेंड कर दिए गए। उनपर जिले में अपराध के बढ़ते दर को नियंतित्र रखने में नाकामी का आरोप लगा। उनको हटाए जाने से पहले जिले में 12 घंटे के अंदर में 6 हत्याएं हो गई थीं। इस साल गौतम बुद्धनगर के तत्कालीन एसएसपी वैभव कृष्णा (10) को भी निर्धारित आचरण के खिलाफ कार्य करने के आरोपों में सस्पेंड कर दिया गया। दरअसल, उनके खिलाफ एक वीडियो सामने आया था, जिसे उन्होंने फर्जी करार देते हुए उनकी छवि खराब करने की एक साजिश बताया था। उनकी दलील थी के उन्होंने बड़े पुलिस अफसरों और कुछ गिरफ्तार पत्रकारों के रिश्वत के बदले में पोस्टिंग के खुलासे की कोशिश की थी, इसलिए उन्हें फंसाया गया।
उगाही के आरोपों में भी घिरे बड़े पुलिस अधिकारी
सस्पेंड होने वाली अगली आईपीएस अधिकारी कानपुर दक्षिण की एसपी अपर्णा गुप्ता (11) हैं। उनपर एक लैब टेक्नीशियन के अपहरण और हत्या के मामले में ढिलाई बरतने का आरोप है। 24 जुलाई को जब अगवा शख्स की मौत की बात सामने आई तो गुप्ता समेत कुछ और पुलिस वालों को निलंबित कर दिया गया। मृतक के परिवार वालों ने पुलिस पर मृतक को अपहरणकर्ताओं की गिरफ्त से छुड़ाने के लिए फिरौती दिलवाने के भी आरोप लगाए थे। इसी अगस्त में राज्य सरकार ने पीएसी (आगरा) के डीआईजी अरविंद सेन (12) और डीआईजी (रूल्स एंड मैनुअल्स) दिनेश दुबे (13) को भ्रष्टाचार के आरोपों में सस्पेंड कर दिया है। दुबे पर तीन जिलों में निर्माण कार्यों के लिए टेंडर देने में धांधली का आरोप है। जबकि, सेन पर पशुपालन विभाग में कथित गबन और धोखाधड़ी के आरोप हैं।
एक आईपीएस पर लगा है हत्या का आरोप
8 सितंबर को योगी सरकार ने भ्रष्टाचार और निकम्मेपन के आरोपों में प्रयागराज के एसएसपी अभिषेक दीक्षित (14) को सस्पेंड किया है। इसके बाद महोबा के एसपी मणिलाल पाटिदार (15) को कथित उगाही और डराने-धमकाने के आरोपों में सस्पेंड कर दिया गया। 2014 बैच के आईपीएस पाटिदार पर तब कार्रवाई की गई है, जब उनपर एक वीडियो के जरिए भ्रष्टाचार और धमाकने के आरोप लगाने वाले 44 वर्षीय एक कारोबारी पर कुछ अज्ञात अपराधियों ने हमला कर दिया। बीते रविवार को उस बिजनेसमैन की मौत हो गई। पीड़ित की मौत के बाद पाटिदार पर हत्या का मामला भी दर्ज कर लिया गया है। यूपी में अभी भी जो 7 आईपीएस अधिकारी निलंबित चल रहे हैं, उनमें पाटिदार के अलावा जसवीर सिंह, वैभव कृष्णा, अपर्णा गुप्ता, अरविंद सेन, दिनेश दुबे और अभिषेक दीक्षित शामिल हैं।
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