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14 साल की उम्र में की थी शुरुआत, पढ़ें पदक विजेता छोरी के संघर्ष की कहानी

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नई दिल्लीः कॉमनवेल्थ गेम्स में हरियाणा के खिलाड़ी धूम मचा रहे हैं और देश के लिए कई मेडल जीत चुके हैं। इन्हीं खिलाड़ियों में से एक हैं किरण गोदारा, जिन्होंने साल 2018 के कॉमनवेल्थ गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल जीता। किरण अभी 25 साल की हैं और हरियाणा के रावत खेड़ा गांव में रहती हैं। किरण ने कुश्ती करना बचपन में अपने नाना से सिखा था, जब वो उनके गांव कालीरावण गांव में रहती थी।

Commonwealth Games 2018 Kiran Bishnoi winning historic bronze

किरण की जिंदगी में एक वक्त ऐसा भी आया था जब डॉक्टरों ने किरण को कह दिया था कि अगर ऑपरेशन कराया तो रेसलिंग कैरियर खत्म हो जाएगा। साल 2014 में कॉमनवेल्थ गेम्स के ट्रॉयल से पहले उनके घुटने में चोट लग गई थी। ये वो वक्त था जब लगा कि किरण का कैरियर खत्म हो सकता है।

लेकिन किरण के पिता ने मुंबई में उनका ऑपरेशन कराया। ऑपरेशन के बाद ये पहली बड़ी प्रतियोगिता थीं, जिसमें किरण मैदान में थी। किरण ने साल 2018 में कॉमनवेल्थ गेम्स में शानदार खेल दिखाया और मेडल जीत लिया।

किरण छठी क्लास ने थीं जब वो पहली बार रेसलिंग करने मैदान में उतरी थी। किरण के नाना पहलवान थे, जिनसे उन्हें प्रेरणा मिली। किरण के नाना उन्हें अपने साथ प्रैक्टिस करवाते थे, जिसके बाद उसका इंटरेस्ट बढ़ता गया। लेकिन साल 2010 में किरण के नाना की मौत हो गई, जिसके बाद किरण अपने पापा के साथ हिसार में रहने आ गई।

किरण के पिता कुलदीप हरियाणा सरकार में क्लर्क हैं। नाना की मौत के बाद किरण हिसार में आकर महाबीर स्टेडियम में कोच विष्णु के अंडर रेसलिंग की प्रैक्टिस करने लगी। साल 2011 में किरण ने पहली बार मेडल जीता।

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English summary
Commonwealth Games 2018 Kiran Bishnoi winning historic bronze
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