बेनतीजा रही कॉलेजियम की बैठक, नहीं हो सका जस्टिस केएम जोसेफ पर फैसला
नई दिल्ली। जस्टिस केएम जोसेफ को लेकर घमासान के बीच सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम की बैठक हुई। 40 से 45 मिनट तक चली कॉलेजियम की बैठक में जस्टिस केएम जोसेफ पर कोई फैसला नहीं हो सका। कॉलेजियम में आंध्र एवं तेलंगाना हाईकोर्ट, कलकत्ता, राजस्थान हाईकोर्ट के जजों को सुप्रीम कोर्ट में फेयर रिप्रेजेंटेशन के तौर पर नियुक्ति की सिफारिश पर भी फैसला टल गया। गौरतलब है कि पिछले हफ्ते सरकार ने जोसेफ के नाम को कॉलेजियम के पास पुनर्विचार करने के लिए वापस भेज दिया था।
सूत्रों के मुताबिक सरकार की आपत्तियों पर सटीक जवाब तैयार करने के लिए ये फैसला टाला गया है। आज की बैठक में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस जे चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई , जस्टिस मदन बी लोकूर और जस्टिस कुरियन जोसेफ शामिल हुए। सरकार ने पिछले सप्ताह ही न्यायमूर्ति जोसेफ की फाइल लौटा दी थी। कोलेजियम ने दस जनवरी को न्यायमूर्ति जोसेफ को प्रमोशन देकर सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश बनाने और वरिष्ठ अधिवक्ता इन्दु मल्होत्रा को सीधे सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की थी।
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने जस्टिस जोसेफ की प्रोन्नति संबंधी कलीजियम की सिफारिश उसके पास पुनर्विचार के लिए लौटा दी थी। सरकार ने कहा कि यह प्रस्ताव शीर्ष अदालत के मापदंड के अनुरूप नहीं है और सुप्रीम कोर्ट में केरल का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है। जस्टिस जोसेफ केरल से आते हैं। जसिट्स जोसेफ जुलाई, 2014 से उत्तराखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस हैं। वह इस साल जून में 60 साल के हो जाएंगे। उन्हें 14 अक्टूबर, 2004 को केरल हाई कोर्ट में स्थायी जज नियुक्त किया गया था और उन्होंने 31 जुलाई, 2014 को उत्तराखंड हाई कोर्ट का प्रभार संभाला था। सीजेआई दीपक मिश्रा, जस्टिस जे. चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी. लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ के कलीजियम ने जस्टिस के. एम. जोसेफ के नाम की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर की थी।
जस्टिस जोसेफ उस पीठ के प्रमुख थे जिसने 2016 में उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार को हटाकर राष्ट्रपति शासन लगाने के मोदी सरकार के फैसले को खारिज किया था। जस्टिस केएम जोसेफ जुलाई, 2014 से उत्तराखंड उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस हैं। उन्हें अक्तूबर, 2004 को केरल उच्च न्यायालय में स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया था ।
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