लॉकडाउन की वजह से भारत में फंसा अंग्रेज, पहले हुआ डेंगू-मलेरिया और कोरोना, अब कोबरा ने काटा
नई दिल्ली: मार्च के अंत में कोरोना वायरस को रोकने के लिए भारत में लॉकडाउन लागू हुआ। जिस वजह से अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स बंद हो गईं। तब से अब तक अंतरराष्ट्रीय व्यवसायिक उड़ानें प्रतिबंधित हैं। इस बीच एक ब्रिटिश नागरिक इयान जॉन्स भी भारत में फंस गए। वैसे जो जॉन्स के पास रहने-खाने की दिक्कत नहीं थी, लेकिन उनकी सेहत के साथ जो हुआ उसे जानकर आप चौंक जाएंगे।
पहले मलेरिया फिर डेंगू
जॉन्स एक चैरिटी करने वाली संस्था के लिए काम करते हैं। इसी वजह से वो भारत आए थे। उनका मकसद यहां पर गरीबों की बेहतरी के लिए काम करना था। उनके भारत आने के कुछ दिन बाद ही कोरोना महामारी की वजह से लॉकडाउन लागू हो गया और वो फंस गए। फिर उनके लिए मुसीबतों का दौर शुरू हुआ। उन्हें बुखार की शिकायत थी, जांच करवाने पर मलेरिया निकाला। इसके बाद वो डेंगू का शिकार हो गए। दोनों बीमारियों से लड़ने के बाद किसी तरह उनकी जान बची।
खतरनाक कोबरा का झेला डंस
जॉन्स फ्लाइट्स फिर से शुरू होने का इंतजार कर रहे थे, ताकी वो घर जा सकें, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। डेंगू-मलेरिया से सही हुए जॉन्स अब कोरोना वायरस की चपेट में आ गए थे। किसी तरह से फिर उनका इलाज हुआ और वो ठीक हो गए। पिछले महीने जब वो राजस्थान के जोधपुर में थे, तो उनकी तबीयत फिर बिगड़ी। इसके बाद जॉन्स स्थानीय अस्पताल में पहुंचे। शुरूआत में डॉक्टरों को लगा कि उन्हें फिर से कोरोना हुआ है, क्योंकि उन्हें धुंधला दिखाई दे रहा था। साथ ही वो ठीक से चल नहीं पा रहे थे, लेकिन बाद में पता चला कि उन्हें कोबरा ने काट लिया है। जिसके बाद तुरंत उनका इलाज कर छुट्टी दे दी गई। अब उनकी हालत ठीक बताई जा रही है।
बेटे ने कही ये बात
GoFundMe की वेबसाइट पर जॉन्स के बेटे ने एक अधिकारिक बयान जारी किया है। जिसमें उन्होंने कहा कि उनके पिता पारंपरिक कारीगरों के लिए काम करते हैं, ताकी वो अपना माल बेचकर गरीबी दूर कर सकें। इसी के चलते वो लॉकडाउन में फंसे। फिर उन्हें मलेरिया, डेंगू, कोरोना हुआ। जब उससे वो ठीक हुए तो उन्हें कोबरा ने डंस लिया। उन्होंने कहा कि उनके पिता फाइटर हैं, जो हर मुश्किल को पार कर लेते हैं। भले ही वो भारत में फंसे हैं, लेकिन उन्हें खुशी है कि वो गरीबों के लिए काम कर रहे हैं। जॉन्स की मदद के लिए GoFundMe ने एक पेज अपनी वेबसाइट पर बनाया है, ताकी वो लोगों की मदद से अपने घर लौट सकें।
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