Coal crisis: क्या आपका बिजली बिल भी बढ़ने वाला है ? जानिए
नई दिल्ली, 13 अक्टूबर: चीन जैसे देश ने बिजली कंपनियों से कह दिया है कि कोयला संकट को देखते हुए वह उद्योगों और कारोबारियों को बाजार भाव से बिजली बेच सकते हैं। इस कम्युनिस्ट राष्ट्र के लिए यह बहुत बड़ा नीतिगत बदलाव है। भारत भी इस समय अप्रत्याशित कोयला संकट की मार झेल रहा है। कोयला खदानों का इंफ्रास्ट्रक्चर दुनियाभर में ऐसा नहीं है कि बढ़ी हुई मांग को तुरंत पूरा कर सके। जबकि, खदानों से निकाले जा चुके कोयले का स्टॉक सीमित रह गया है। हालांकि, केंद्र सरकार लगातार कोयला उत्पादन बढ़ाने और थर्मल पॉवर स्टेशनों तक सप्लाई दुरुस्त रखने पर जोर दे रही है। मांग और आपूर्ति में बढ़ते अंतर की वजह से बिजली कीमतें बढ़ने के आसार भी नजर आ रहे हैं।
दुनियाभर में बढ़ने लगी हैं बिजली की कीमतें
दुनियाभर में बिजली की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच रही हैं। एशिया और यूरोप के कई देश भारी ऊर्जा संकट झेल रहे हैं। दुनियाभर के शेयर बाजारों में ऊर्जा की कीमतों में इजाफे की चिंता से हड़कंप मचा हुआ है। क्योंकि, इसके चलते महंगाई बढ़ने के आसार हैं और आर्थिक व्यवस्था पटरी पर लौटने की उम्मीदों पर पानी फिरने का डर सताने लगा है। खासकर भारत जैसे देश में जहां पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर पहले से ही हाहाकार मचा हुआ है। ऊपर से देशभर के थर्मल पॉवर प्लांट में कोयले की कमी के चलते पॉवर एक्सचेंज में ही इसकी हाजिर कीमतें बढ़नी शुरू हो गई हैं।
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पॉवर एक्सचेंज में बिजली की कीमतों में इजाफा
पिछले दो हफ्तों में ही विद्युत एक्सचेंज में बिजली की स्पॉट प्राइसेज चार गुना से ज्यादा हो चुकी हैं। सितंबर में यह बिजली 4.4 रुपये प्रति यूनिट मिल रही थी, जो अब 16.5 रुपये प्रति यूनिट या उससे भी ज्यादा हो चुकी है। इसकी वजह से कई उद्योगों को बढ़ी हुई कीमतों पर ही बिजली खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। वहीं कई राज्यों से बिजली कटौती की सूचनाएं भी मिल रही हैं। दो दिन पहले ही दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने दावा किया था कि दिल्ली सरकार 17 रुपये प्रति यूनिट बिजली खरीदकर सप्लाई कर रही है। वहीं कुछ विद्युत वितरण कंपनियों को लेकर हालात का फायदा उठाते हुए मुनाफाखोरी की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।
कई राज्यों में खरीदी जा रही है महंगी बिजली
आंध्र प्रदेश में पॉवर एक्सचेंज में बिजली 15 रुपये प्रति यूनिट हो चुकी है। सोमवार को पंजाब की सरकारी कंपनी पंजाब स्टेट पॉवर कॉर्पोरेशन को पॉवर एक्सचेंज से 14.46 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से 1,500 मेगा वॉट बिजली खरीदनी पड़ी। जबकि, रविवार को ही उसने 11.6 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से 285 लाख यूनिट बिजली खरीदी थी। बिजली की किल्लत को पूरा करने के लिए यूपी पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड भी अतिरिक्त बिजली खरीद रहा है। उधर गुजरात की सरकारी कंपनी गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड रोजाना 150 करोड़ रुपये खर्च करके 10 करोड़ यूनिट बिजली खरीदने को मजबूर है, ताकि बिजली की आपूर्ति बाधित न हो।
विद्युत वितरण कंपनियों की स्थिति ठीक नहीं
भारत के ज्यादातर राज्य अपने कई श्रेणी के उपभोक्ताओं खासकर घरेलू और कृषि कार्यों के लिए सब्सिडी देकर कम कीमत पर बिजली उपलब्ध करवाते हैं। आजकल मुफ्त में बिजली देने का एक बहुत बड़ा चुनाव जिताउ मंत्र भी हाथ लग चुका है। लेकिन, इसके चक्कर में विद्युत वितरण कंपनियां (डिसकॉम्स) खस्ताहास होल हो चुकी हैं। ऐसे में मौजूदा स्थिति में बिजली सप्लाई की उनकी क्षमता प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है। ऐसे में अगर विदेशों से ज्यादा महंगा कोयला खरीदकर बिजली उत्पादन करना पड़ा तो बिजली के दाम बढ़ने स्वाभाविक हैं। कोयला संकट की वजह से जिस तरह से चीन की अर्थव्यवस्था की कमर टूटी है, उसने बहुत बड़ा नीतिगत फैसला लेते हुए उद्योगों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों से बाजार भाव से बिजली की कीमतें उगाहने की इजाजत दे दी है।
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क्या आपका बिजली बिल भी बढ़ सकता है
उधर केंद्र सरकार ने कोल इंडिया और इंडियन रेलवे से कहा है कि थर्मल पॉवर स्टेशनों को कोयले की सप्लाई बढ़ाएं। इसके साथ ही ऊर्जा मंत्रालय ने विद्युत उत्पादकों से कहा है कि वह अपनी जरूरतों का 10% कोयला विदेशों से आयात करें। लेकिन, आयातित कोयले का भाव आसमान पर चढ़ चुका है। मार्च तक इंडोनेशिया से 50 डॉलर प्रति टन कोयला आता था और आज उसकी कीमतें 160 डॉलर प्रति टन तक पहुंच चुकी हैं। घरेलू कोयले की तुलना में यह दाम लगभग पांच गुना ज्यादा है। जाहिर है कि अगर विद्युत वितरण कंपनियां महंगी बिजली खरीदेंगी तो वो उपभोक्ताओं से भी ज्यादा कीमत वसूलेंगी। इसकी वजह से महंगाई बढ़ने की भी आशंका रहेगी।