यूपी में अपराधियों की नकेल कसने की सीएम योगी की बड़ी तैयारी, शहरों में पुलिस कमिश्नर सिस्टम की होगी शुरुआत
नई दिल्ली- उत्तर प्रदेश में गिरती कानून-व्यवस्था की स्थिति से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार प्रदेश के कुछ चुनिंदा शहरों में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। हालांकि, जानकारी के मुताबिक आईएएस लॉबी इस नई सिस्टम का पूरजोर विरोध कर रही है, लेकिन बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगीआदित्यनाथ इसे लागू करने का मन बना चुके हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इसकी शुरुआत सबसे पहले लखनऊ और नोएडा से की जा सकती है, जहां गुरुवार को हुए आईपीएस अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग के दौरान एसएसपी की पोस्टिंग नहीं की गई है।
पुलिस कमिश्नर सिस्टम क्या है?
बता दें कि पुलिस कमिश्नर सिस्टम में पुलिस कमिश्नर के पास मजिस्ट्रेट के भी पॉवर होते हैं। इस पद पर आईजी रैंक के पुलिस अधिकारी की तैनाती की जाती है। यूपी पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी इस बात की पुष्टि की है कि सरकार के उच्च स्तर पर राज्य के कुछ बड़े शहरों में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम शुरू करने को लेकर गंभीरता से चर्चा की गई है। पुलिस अधिकारी के मुताबिक देश के 15 राज्यों के 71 शहरों में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू है, लेकिन यूपी और बिहार जैसे राज्यों में नहीं है। इस समय यूपी के शहरों में मैजिस्ट्रेट के पॉवर आईएएस अधिकारियों (डीएम) के पास होती हैं, इसलिए नए सिस्टम का आईएएस लॉबी की ओर से विरोध होने की खबरें हैं।
पुलिस कमिश्नर सिस्टम से क्या बदलाव होगा?
यूपी देश का सबसे ज्यादा आबादी वाला राज्य है और यहां अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ा है। पुलिस कमिश्नर सिस्टम की शुरुआत होने से शहरों के पुलिस मुखिया को कानून-व्यवस्था के मामले में तेजी से कार्रवाई करने का अधिकार मिल सकेगा। मौजूदा वक्त में यूपी में यह व्यवस्था है कि जिले के एसपी को कानून-व्यवस्था के ज्यादातर मामलों में जिलाधिकारी या डीएम से इजाजत लेनी पड़ती है और कभी-कभी औपचारिकाताएं पूरी करने में बहुत वक्त गुजरने का डर रहता है। यूपी सरकार की एक रिपोर्ट से खुलासा भी हुआ है कि राज्य के मेट्रो शहरों में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की बड़ी वजह पुलिस कमिश्नर सिस्टम का लागू नहीं होना है।
पहले भी उठ चुकी है इसकी मांग
पहले भी कई बार प्रदेश के कुछ शहरों में पुलिस कमिश्नरों की बहाली पर विचार किया जा चुका है, लेकिन आईएएस-आईपीएस अधिकारियों के आपस में ही विवाद होने से इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका। 2018 के दिसंबर में यूपी के तत्कालीन गवर्नर राम नाईक ने भी राज्य सरकार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में कानून-व्यवस्था की स्थिति सुधारने के लिए यह सिस्टम शुरू करने का सुझाव दिया था। नाईक ने तब राज्य के 20 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों मसलन, लखनऊ, कानपुर और गाजियाबाद में इसे लागू करने को कहा था। उनके मुताबिक तब देश में 19 शहरों की आबादी 20 लाख से ज्यादा थी, जिसमें यूपी के ये तीनों शहर शामिल थे।
इन शहरों में लागू हो सकता है
सूत्रों के मुताबिक शुरू में भले ही नोएडा और लखनऊ में पुलिस कमिश्नर बहाल हों, उसके बाद कानपुर, वाराणसी, गोरखपुर, आगरा, बरेली, अलीगढ़ और गाजिबाद जैसे बड़े शहरों में भी पुलिस कमिश्नरी बनाई जा सकती है। गौरतलब कि उत्तर प्रदेश में गृह विभाग की जिम्मेदारी भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास है और सूत्र बताते हैं कि पुलिस के बेहतर तरीके से काम करने के लिए वे महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली और कर्नाटक की तरह प्रदेश में भी इसे शुरू करना चाह रहे हैं।
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