जानें सरकार बचाने के लिए क्या सीएम कमलनाथ करेंगे मंत्रीमंडल विस्तार, बागी बनेगे मंत्री ?
CM Kamal Nath will soon expand the cabinet to save the government in Madhya Pradesh, rebel MLAs will become ministers! मध्य प्रदेश में सरकार बचाने के लिए सीएम कमलनाथ जल्द करेंगे मंत्रीमंडल विस्तार,बागी बनेगे मंत्री!
बेंगलुरु। मध्यप्रदेश की सियासत में पिछले कुछ दिनों से भूचाल मचा हुआ है। मध्यप्रदेश में दो दिनों से जारी सियासी ड्रामे ने कमलनाथ सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। घटनाक्रमों के बीच कांग्रेस विधायक हरदीप सिंह डंग के इस्तीफे के बाद कभी भाजपा का पलड़ा भारी दिखने लगता है तो कभी कमलनाथ सरकार का। खबर हैं कि मध्य प्रदेश में सियासी ड्रामे के बीच संकट से उबरने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ मंत्रिमंडल विस्तार फार्मूलाअपनाएंगे। बागी तेवर अख्तियार करने वाले नाराज विधायकों को मंत्रीमंडल में शामिल कर उन्हें मंत्री बनाएंगे!
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इस सियासी भूचाल के समय में पूरी कमान कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने अपने हाथ में ले ली है। मुख्यमंत्री निवास रणनीति का केंद्र है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, गुलामनबी आजाद और कपिल सिब्बल उन्हें इस स्थिति से निपटने में लगातार मदद कर रहे हैं।
नाराज विधायकों को दे सकते हैं मंत्रीपद
सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दिग्विजय सिंह के साथ मिलकर इस पॉलटिकल क्राइसेस से निपटने के लिए रणनीति तैयार कर ली थी लेकिन गुरुवार दोपहर बाद फिर से राज्य की राजनीति पलटी मार दी। तीन दिनों से लापता कांग्रेस विधायक हरदीप सिंह डंग ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद कांग्रेस सरकार के पसीने छूट गए। हालांकि, उनका इस्तीफा अभी स्वीकार नहीं हुआ है कमलनाथ को इसके साथ ये भी पता चला कि कुछ और भी विधायक इस्तीफा दे सकते हैं ये खबर मिलते ही कमलनाथ सरकार ने मौजूदा मंत्रीमंडल में फेरबदल करके नाराज विधायकों को मंत्री पद दे सकते हैं। दिग्विजय सिंह ने कहा कि राज्य के बजट सत्र के बाद कैबिनेट का विस्तार हो सकता है।
भाजपा में भी कांग्रेंस कर रही सेंधमारी
कमलनाथ सरकार जहां एक ओर अपने दिल्ली लाए गए विधायकों को वापस लाने में जुटी हुई हैं वहीं भाजपा के विधायकों को भी तोड़ने के लिए सेंधमारी कर रही है। बीजेपी के विधायक शरद कौल ने मुख्यमंत्री कमलनाथ से मुलाकात की है, जिसके बाद मैहर से विधायक नारायण त्रिपाठी ने विधायकी से इस्तीफा दे दिया। सूत्रों के अनुसार, कुछ भाजपा विधायक भी जल्द ही इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। इनमें भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी, शरद कौल के अलावा दो अन्य विधायकों के नाम की चर्चा हो रही है।
राजनैतिक हालातों के देखते हुए लिया गया निर्णय
बता दें कि भाजपा के ये दोनों विधायक राज्य और केंद्रीय नेतृत्व से नाराज बताए जा रहे हैं। डंग के इस्तीफे के बाद दो बीजेपी विधायकों के मुख्यमंत्री निवास पहुंचने के घटनाक्रम को कांग्रेस का भाजपा पर पटलवार माना जा रहा था , लेकिन मध्य रात्रि में साफ हुआ कि किसी भी बीजेपी विधायक का त्यागपत्र नहीं हुआ है। माना जा रहा है कि इस दौरान ताजा राजनैतिक हालातों पर मंथन हुआ और भविष्य की सत्तारूढ़ दल की रणनीति भी तय की गई।
कांग्रेस का फॉर्मूला लग रहा दमदार
बता दें कांग्रेस का ये फॉर्मूला ज्यादा दमदार हैं क्योंकि भाजपा की तुलना में आसान है, क्योंकि कांग्रेस के पास विधायकों की संख्याबल थोड़ा अधिक दिख रहा है। उसका पहला काम अपने विधायकों में विश्वास बनाए रखना है, दूसरी रणनीति भाजपा के लोग तोड़ने की है। वर्तमान में कांग्रेस की रणनीति है कि भाजपा किसी भी तरह से आठ विधायकों को न तोड़ सके।किसी भी विधायक का इस्तीफा बिना मिले स्वीकार नहीं होगा। सभी निर्दलीयों को तत्काल वादा किया जाएगा कि उन्हें क्या मिलेगा। कुछ मंत्रियों के विभाग कम कर निर्दलीय सदस्यों को मंत्री बनाएं। मंत्रिमंडल के 5 खाली पदों और निगम-मंडलों में तत्काल नियुक्तियां होंगी। संभव है कि प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष भी नियुक्त हो जाए।
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डंक के इस्तीफे से घबराई कमलनाथ सरकार
बता दें बुधवार को छह विधायकों के लौटने के बाद बुधवार को सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने थोड़ी तसल्ली हुई थी , लेकिन गुरुवार देर शाम सत्तारूढ़ दल कांग्रेस के विधायक डंग के त्यागपत्र के बाद राजनैतिक पारा एक बार फिर बढ़ गया। डंग 'अज्ञात' स्थान पर हैं और उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को विधायक पद से त्यागपत्र ईमेल के माध्यम से भेजा है। पहले इस त्यागपत्र को फर्जी भी बताया गया, लेकिन इसका घंटों बीत जाने के बावजूद डंग की ओर से खंडन नहीं किया गया। वहीं विधानसभा अध्यक्ष एन पी प्रजापति और मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि डंग के त्यागपत्र की खबर आई हैं, लेकिन उन्होंने उनसे मिलकर त्यागपत्र नहीं दिया है। प्रजापति ने कहा कि जब ऐसा होगा, वे इस पर विचार करके अगला कदम उठाएंगे। वहीं डंग के त्यागपत्र के बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने तत्काल अपना बयान जारी कर मुख्यमंत्री से जानना चाहा कि डंग का त्यागपत्र क्यों आया है। इस बारे में उन्हें स्पष्ट करना चाहिए।
ये है मध्य प्रदेश की सत्ता का गणित
मध्यप्रदेश
में
सदन
की
प्रभावी
संख्या
220
हैं।
बहुमत
का
आंकड़ा
110
है।
अगर
8
कांग्रेसी
इस्तीफा
देंगे
तो
कांग्रेस
की
संख्या
106
हो
जाएगी
भाजपा
की
प्रभावी
संख्या
107
हैं
अगर
नारायण
त्रिपाठी,
शरद
कोल
कांग्रेस
में
जाते
हैं
तो
भाजपा
विधायक
105
होंगे।
यानी
कांग्रेस
106,
भाजपा
105,
इस
सूरत
में
अन्य
7
की
भूमिका
अहम।