MP उपचुनाव: मुंगावली के रण में सिंधिया के सेनापति की लगेगी हैट्रिक ? कांग्रेस ने भी लगाया पूरा जोर
भोपाल। अशोकनगर जिले की मुंगावली विधानसभा सीट (Mungaoli Assembly Constituency) पर भी उपचुनाव होना है। ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की विधानसभाओं की तरह यहां भी जीत का मामला सिंधिया की प्रतिष्ठा से जुड़ा है। साथ ही ये विधानसभा सीट सिंधिया की पारंपरिक गुना लोकसभा के अंतर्गत आती है। पिछले चुनाव में यहां से जीते बृजेंद्र सिंह यादव सिंधिया के कट्टर समर्थकों में हैं और सिंधिया के एक इशारे पर विधायकी और कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए। यादव को भाजपा की सरकार में मंत्री बनाया गया और एक बार फिर वे उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी हैं। वे यहां से लगातार दो बार से विधायक हैं। ऐसे में उनकी हैट्रिक ही भाजपा को इस सीट पर कब्जा दिला सकती है।
बृजेंद्र सिंह यादव के लिए मुश्किल ये है कि पिछले तीन साल में तीसरी बार चुनाव मैदान में उतर रहे हैं। यादव की जीत की शुरुआत भी उपचुनाव से हुई थी अब एक बार फिर उन्हें उपचुनाव में खुद को साबित करना है। वहीं कांग्रेस ने उनके मुकाबले में कन्हैया राम लोधी को अपना उम्मीदवार बनाया है।
भाजपा
को
सिंधिया
का
सहारा
पिछले
नतीजे
को
देखें
को
उपचुनाव
में
जीत
के
लिए
भाजपा
को
कड़ी
मेहनत
करनी
होगी।
2018
में
बृजेंद्र
यादव
लगभग
दो
हजार
वोट
से
विधानसभा
चुनाव
जीते
थे
जो
कि
बड़ा
अंतर
नहीं
है।
ऐसे
में
यहां
मुकाबला
कांटे
का
होने
के
पूरे
आसार
हैं।
ज्योदिरातिय
सिंधिया
के
साथ
ही
मुख्यमंत्री
शिवराज
सिंह
चौहान
को
भी
यहां
उतरना
होगा
और
स्थानीय
भाजपा
नेताओं
को
पूरे
मन
से
मैदान
में
लगाना
होगा
क्योंकि
पाला
बदलकर
भाजपा
में
आने
वाले
यादव
को
पार्टी
कार्यकर्ता
अपनाएंगे
या
नहीं
ये
भी
संशय
जरूर
होगा।
सबसे जरूरी और अहम कारक यहां पर ज्योदिरादित्य सिंधिया होंगे क्योंकि मुंगावली विधानसभा सीट उसी गुना लोकसभा का हिस्सा है जिसका सिंधिया परिवार ने लंबे समय तक प्रतिनिधित्व किया। यहां से ज्योतिरादित्य सिंधिया, उनके पिता माधवराव सिंधिया के साथ ही उनकी दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया भी यहां से सांसद रहीं हैं। ऐसे में इस विधानसभा सीट पर ज्योतिरादित्य का साथ मिलने से भाजपा की उम्मीद बढ़ी है। वहीं कांग्रेस भी इस क्षेत्र में जीत हासिलकर सिंधिया से बदला लेने के लिए दांव चल रही है।
कांग्रेस
रही
है
यहां
मजबूत
1998
से
यहां
छह
चुनाव
हो
चुके
हैं
जिनमें
एक
उपचुनाव
भी
शामिल
है।
1998
में
हुए
चुनाव
में
भाजपा
के
राव
देशराज
सिंह
यादव
ने
कांग्रेस
के
राजेंद्र
लोधी
को
7
हजार
वोटों
से
हराया
था।
2003
में
कांग्रेस
के
गोपाल
सिंह
चौहान
ने
भाजपा
के
देशराज
सिंह
यादव
को
9
हजार
वोट
से
हरा
दिया।
2008
में
भाजपा
के
टिकट
पर
देशराज
सिंह
ने
कांग्रेस
के
अरविंद
कुमार
अब्बी
को
21
हजार
वोटों
से
हरा
दिया।
2013
में
कांग्रेस
के
महेंद्र
सिंह
कालूखेड़ा
ने
राव
देशराज
सिंह
को
5
हजार
वोट
से
हरा
दिया।
कालूखेड़ा
के
निधन
के
बाद
उपचुनाव
हुए
जिसमें
बृजेंद्र
सिंह
यादव
ने
भाजपा
की
बाई
साहब
यादव
को
4
हजार
वोटों
के
अंतर
से
शिकस्त
दे
दी।
2018
के
आम
चुनाव
में
यादव
को
एक
बार
फिर
कांग्रेस
ने
प्रत्याशी
बनाया
जिसमें
उन्होंने
भाजपा
के
डॉ.
कृष्णपाल
सिंह
को
2126
वोटों
से
हरा
दिया।
ज्योतिरादित्य सिंधिया इस क्षेत्र में कांग्रेस का चेहरा रहे हैं। अब वे भाजपा में हैं। ऐसे में उनके सामने ये साबित करने की भी चुनौती है कि उनके आने से कांग्रेस के सिर्फ विधायक ही नहीं कम हुए बल्कि कांग्रेस का वोटबैंक भी कम हुआ है।
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