सिक्का उछालकर हुआ था रंजन गोगोई के पढ़ने को लेकर फैसला, फिर ऐसे बदली किस्मत
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नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो जाएंगे। शुक्रवार को उनका आखिरी कार्यदिवस रहा। कोर्ट की कार्यवाही के बाद उनकी विदाई के लिए सुप्रीम कोर्ट परिसर में एक समारोह का आयोजन किया गया। कार्यकाल के आखिरी दिन शुक्रवार को सीजेआई रंजन गोगोई कोर्ट नंबर-1 में सक्सेसर एसए बोबड़े के बगल में बैठे और 10 मामलों पर नोटिस जारी किया। यहां एक नोट लिखकर उन्होंने न्यायपालिका को अपनी 'स्वतंत्रता का प्रयोग करते चुप्पी बनाए रखने' की बात कही। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अपने करियर में सफल वकील और जज की भूमिका में रहने वाले रंजन गोगोई की किस्मत का फैसला एक सिक्के ने किया था।
बड़े भाई के साथ हार गए थे टॉस
आज तक की खबर के मुताबिक, एक सिक्के के वजह से उन्होंने वकालत की दुनिया में कदम रखा था। एक बार वे अपने बड़े भाई अंजन गोगोई के साथ टॉस हार गए थे। फिर इस टॉस ने उनकी जिंदगी को पूरी तरह बदल दिया। उनके पिता केशब चंद्र गोगोई कांग्रेस के नेता थे। 1982 में वह दो महीने के लिए असम के मुख्यमंत्री भी रहे थे। दोनों भाइयों का बचपन असम के डिब्रूगढ़ में गुजरा। रंजन गोगोई के भाई अंजन गोगोई एयर मार्शल हैं। एक बार केशब चंद्र गोगोई ने दोनों भाइयों से कहा था कि वे किसी एक को सैनिक स्कूल में भेज सकते हैं।
पिता एक भाई को भेजना चाहते थे सैनिक स्कूल
अब दुविधा की ये थी कौन सैनिक स्कूल जाए। इसके बाद रंजन गोगोई ने एक सुझाव दिया। पिता के साथ बैठकर दोनों भाइयों ने तय किया कि टॉस के आधार पर तय किया जाए कि सैनिक स्कूल कौन जाएगा। इसके बाद सिक्का हवा में उछाला गया और बड़े भाई अंजन गोगोई जीत गए। यहां से रंजन गोगोई की किस्मत पलट गई। बड़े भाई अंजन गोगोई को आर्मी स्कूल भेजा गया, बाद में वह एयर मार्शल बने। वहीं, रंजन गोगोई ने डॉन बॉस्को स्कूल, डिब्रूगढ़ से अपनी पढ़ाई की और बाद में दिल्ली यूनिवर्सिटी आए। यहीं से उन्होंने इतिहास में स्नातक किया और फिर कानून की डिग्री ली।
बड़े भाई अंजन गोगोई एयर मार्शल हैं
उन्होंने 1978 में बतौर वकील अपने करियर की शुरुआत की। रंजन गोगोई ने 3 अक्टूबर, 2018 को भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार संभाला था। कार्यकाल के आखिरी दिन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि भी अर्पित की। जस्टिस गोगोई का मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यकाल 13 महीने और 15 दिनों का रहा। वे 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। रंजन गोगोई के रिटायर होने के बाद 18 नवंबर को जस्टिस शरद अरविंद बोबडे भारत के 47वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे।