CAA को लेकर याचिका पर सुनवाई तभी जब हिंसा रुके: CJI
नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि वह सीएए को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई उस वक्त करेंगे जब नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देशभर में हो रहा हिंसक प्रदर्शन खत्म होगा। मुख्य न्यायाधीश का यह बयान ऐसे समय में आया जब नागरिकता संशोधन एक्ट को संवैधानिक करार देने के लिए एडवोकेट विनीत धांडा ने याचिका दायर करके सुनवाई की अपील की है। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि काफी हिंसा हो रही है। इस बेंच की अगुवाई मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे कर रहे हैं, जिसमे जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत भी शामिल हैं।
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एडवोकेट धांडा की याचिका पर बेंच ने कहा कि आखिर हम इस कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई किए बगैर ऐसा फैसला दे दें। बेंच ने पूछा कि आखिर हम कैसे किसी कानून को संसद में संवैधानिक कहते हैं? संसद द्वारा पास किए गए कानून में हमेशा संवैधानिकता का अनुमान है। आप एक समय में काननू के छात्र रह चुके हैं, आपको पता होना चाहिए, मैं पहली बार इस तरह की प्रार्थना सुन रहा हूं। कोर्ट को कानून की वैद्यता को देखना पड़ेगी, नाकि यह फैसला देना है कि यह कानून संवैधानिक है। बेंच की ओर से कहा गया कि देश मुश्किल समय का सामना कर रहा है, हमारी कोशिश शांति को बनाने की होनी चाहिए, यह याचिकाएं इस लक्ष्य की प्राप्ति में कतई सहायक नहीं हैं।
बता दें कि विनीत कौर धांडा ने कोर्ट से यह अपील की है कि वह निर्देश दे कि सीएए को लेकर तमाम अखबारों, टीवी मीडिया और अन्य माध्यमों पर प्रचार किया जा सकता है और इसको लेकर सफाई दी जा सकती है, यह प्रचार किया जा सकता है कि यह कानून संविधान की मूल भावना के खिलाफ नहीं है और ना ही देश के नागरिकों के खिलाफ है। साथ ही याचिका में अपील की गई है कि बेंच मुख्य चुनाव आयोग को निर्देश दे कि जो भी दल इस कानून भ्रम फैला रहे हैं उनकी पहचान करे और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। साथ ही याचिका में कहा गया है कि बेंच तमाम राज्य सरकारों को निर्देश दे कि इस कानून का पालन करना अनिवार्य है।