नवंबर में रिटायर हो रहे हैं CJI रंजन गोगोई, अयोध्या-सबरीमाला केस में बढ़ी फैसले की उम्मीद
नई दिल्ली- करीब तीन महीने बाद भारत के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई रिटायर हो रहे हैं। इस वक्त उनके सामने कुछ बड़े केस हैं, जिसको लेकर उम्मीद की जा रही है कि हो सकता है कि उन सभी बड़े मामलों पर वे रिटायरमेंट से पहले ही फैसला सुना जाएं। खासकर जिस तरह से हफ्ते के पांच दिन अयोध्या मामले की सुनवाई हो रही है, उससे लोगों का भरोसा और बढ़ा है। लेकिन, इतने पेंचीदे मामले का निपटारा सिर्फ 3 महीने में पूरा करना बहुत बड़ी बात होगी।
17 नवंबर को रिटार हो रहे हैं चीफ जस्टिस गोगोई
चीफ जस्टिस गोगोई की अदालत में अभी अयोध्या विवाद, सबरीमाला विवाद और राहुल गांधी के खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला पड़ा है। ऐसे में यह उम्मीद जताई जाने लगी है कि हो सकता है कि उनके रिटायरमेंट से पहले ही इन बड़े मामलों पर फैसला आ जाए। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के 46वें मुख्य न्यायधीश गोगोई इसी साल 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। चीफ जस्टिस के तौर पर उनका कार्यकाल महज 11 महीने से कुछ ज्यादा रहेगा। लेकिन, अगर इस दौरान वे कम से कम अयोध्या और सबरीमाला केस में फैसला सुना देंगे तो यह उनकी बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।
रोजाना चल रही है अयोध्या केस की सुनवाई
माना जा रहा है कि अयोध्या विवाद की सुनवाई जस्टिस गोगोई की प्राथमिकताओं में से है और अभी इस मामले की रोजाना सुनवाई 5 सदस्यीय संविधान पीठ में चल रही है, जिसकी अगुवाई खुद जस्टिस गोगोई कर रहे हैं। इसके अलावा सबरीमाला केस भी बहुत महत्वपूर्ण है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट अपने ही फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर चुका है। गौरतलब है कि केरला के इस मशहूर मंदिर में अदालत ने सभी उम्र की महिलाओं को पूजा की इजाजत दी है, जिसके खिलाफ ये याचिकाएं दायर की गई हैं। इसी साल फरवरी में चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सभी संबंधित पार्टियों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगा या नहीं इस संबंध में एक आदेश पारित करेगा। इसलिए इन दोनों केस को लेकर उम्मीद ज्यादा है कि गोगोई अपने रिटायरमेंट से पहले ही इसपर फैसला सुना दें।
कुछ और बड़े मामले भी हैं
तीसरा बड़ा मामला कांग्रेस नेता राहुल गांधी से जुड़ा है, जिनपर सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को गलत ढंग से पेश करने का आरोप है। यह मामला लोकसभा चुनाव के दौरान का है, जब राहुल गांधी ने राफेल केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को 'चौकीदार चोर है' के अपने आरोपों से जोड़ दिया था। इसके अलावा म्यांमार से भागकर आए 40,000 रोहिंग्या शर्णार्थियों का मसला भी सुप्रीम कोर्ट के पास पड़ा है। वहीं मौजूदा चीफ जस्टिस के खिलाफ साजिश और सुप्रीम कोर्ट में बेंच फिक्सिंग के केस पर भी फैसला आने की उम्मीद है। इस संबंध में बनाई गई एक पूर्व जस्टिस एके पटनाटक की कमेटी भी अगले महीने अपनी रिपोर्ट सौंप सकती है।
जल्दीबाजी में नहीं होने की बात कह चुके हैं
वैसे द हिंदू अखबार में छपी एक खबर के मुताबिक अयोध्या मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस गोगोई यह भी कह चुके हैं कि उन्हें मामले में सुनवाई पूरी करने की कोई जल्दबाजी नहीं है और उनके पास समय है। उन्होंने दोनों पक्षों के वकीलों से कहा था कि वे अपना पक्ष जैसे रखना चाहते हैं रखें, चाहे जितना भी समय लगे। गौरतलब है कि जब इस केस की सुनवाई पिछले नौ सालों में पूरी नहीं हुई है, तब बाकी के तीन महीने में इसे पूरी कर लेना उनके लिए वाकई एक बहुत बड़ी चुनौती है। हालांकि, अभी इस केस की सुनवाई हफ्ते के पांचों कार्यकारी दिवस में की जा रही है। जबकि, मुस्लिम पक्ष ने शुक्रवार को लेकर आपत्ति भी दर्ज कराई थी।
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