नागरिकता बिल को लेकर पूर्वोत्तर में भाजपा के सहयोगी दलों की बैठक, अलग होने का कर सकते हैं ऐलान
गुवाहाटी। पूर्वोत्तर के राज्यों में भाजपा के सहयोगी दल और दूसरी क्षेत्रीय पार्टियां मंगलवार को नागरिकता संशोधन विधेयक मुद्दे पर असम की राजधानी गुवाहाटी में बैठक कर रहे हैं। पूर्वोत्तर के दल सरकार के सिटिजनशिप को लेकर लाए गए बिल से खफा है, माना जा रहा है कि कुछ दल भाजपा से अलग होने का भी ऐलान कर सकते हैं। पूर्वोत्तर के ज्यादातर क्षेत्रीय दल नागरिकता बिल का कड़ा विरोध कर रहे हैं और इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार ना करने की बात कह रहे हैं।
एनपीपी ने बुलाई है मीटिंग
मेघालय में भाजपा की सहयोगी नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) ने ये बैठक बुलाई है। मेघालय के चीफ मिनिस्टर और एनपीपी नेता कोनराड संगमा, मिजोरम सीएम और मिजो नेशनल फ्रंट के अध्यक्ष जोरमथंगा, असण गण परिषद, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, मणिपुर और नागालैंड के क्षेत्रीय दल इस बैठक में शामिल हैं।
कांग्रेस विरोधी गठबंधन में शामिल रहे हैं ज्यादातर दल
असम गण परिषद और एनपीपी भाजपा के साथ नॉर्थ इस्ट डेमोक्रेटिक एलायंस का हिस्सा हैं, जो कांग्रेस मुक्त नॉर्थ इस्ट की बात कहता है। सभी क्षेत्रीय नेता बिल पर आगे की रणनीति के अलावा नॉर्थ इस्ट डेमोक्रेटिक एलायंस में बने रहने को लेकर भी फैसला करेंगे।
सिटिजनशिप बिल: राज्य सरकार की सहमति के बिना नहीं दी जाएगी नागरिकता
असम गण परिषद एनडीए से अलग हो चुकी
असम में बीजेपी की सहयोगी पार्टी असम गण परिषद ने नागरिकता मुद्दे पर पहले ही बीजेपी से गठबंधन तोड़ने का एलान कर चुकी है। पार्टी अध्यक्ष अतुल बोरा ने इस महीने के पहले सप्ताह में ही ये ऐलान कर दिया था। वहीं असम विधानसभा में सोमवार को बजट सत्र के पहले दिन नागरिकता का मुद्दा छाया रहा और जमकर हंगामा हुआ।
असम, मणिपुर, मेघालय और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक का लगातार विरोध हो रहा है। विरोध में उतरे आम लोगों और राजनीतिक पार्टियों का कहना है कि यह विधेयक 1985 के असम समझौते को अमान्य करेगा जिसके तहत 1971 के बाद राज्य में प्रवेश करने वाले किसी भी विदेशी नागरिक को निर्वासित करने की बात कही गई थी, भले ही उसका धर्म कोई भी हो। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, माकपा समेत कई राजनीतिक पार्टियां भी लगातार इस विधेयक का विरोध कर रही हैं। सबका कहना है कि धर्म के आधार पर नागरिकता नहीं दी जा सकती है।