क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

नागरिकता संशोधन बिल: सरकार के विरोध में कौन है खड़ा?

केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को दिल्ली में हुई बैठक में नागरिकता संशोधन क़ानून 2019 को मंज़ूरी दे दी है. लेकिन इस विधेयक पर विरोध के सुर भी सुनाई दे रहे हैं. प्रकाश जावड़ेकर ने हालांकि मीडिया से बातचीत में विधेयक के मसौदे के प्रावधानों को लेकर कुछ बोलने से ये कहते हुए मना कर दिया कि कल या परसों तक का इंतज़ार कर लें जब बिल को संसद में पेश किया जाएगा.     

By फ़ैसल मोहम्मद अली
Google Oneindia News
नागरिकता संशोधन विधेयक
Getty Images
नागरिकता संशोधन विधेयक

केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को दिल्ली में हुई बैठक में नागरिकता संशोधन क़ानून 2019 को मंज़ूरी दे दी है. लेकिन इस विधेयक पर विरोध के सुर भी सुनाई दे रहे हैं.

सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने हालांकि मीडिया से बातचीत में विधेयक के मसौदे के प्रावधानों को लेकर कुछ बोलने से ये कहते हुए मना कर दिया कि कल या परसों तक का इंतज़ार कर लें जब बिल को संसद में पेश किया जाएगा.

उन्होंने ये कहा कि ये बिल न्याय के पक्ष में है और किसी के ख़िलाफ़ नहीं.

2016 में संसद में पेश किए गए भारतीय नागरिकता क़ानून 1955 में संशोधन के इस बिल का विरोध ये कहकर किया जा रहा है कि एक धर्मनिरपेक्ष मुल्क भारत में किसी के साथ मज़हब के आधार पर भेदभाव कैसे कर सकता है?

नागरिकता संशोधन बिल क्या है, जिस पर बीजेपी है अड़ी

नागरिकता संशोधन विधेयक पर पूर्वोत्तर भारत में भरोसे का संकट

मोदी कैबिनेट
Getty Images
मोदी कैबिनेट

मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में पेश हुए बिल में कहा गया था कि पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश से आए हुए हिंदू, सिख, पारसी, जैन और दूसरे धर्मावलंबियों को कुछ शर्तें पूरी करने पर भारत की नागरिकता दे दी जाएगी.

लेकिन 2016 नागरिकता संशोधन बिल में मुसलमानों का ज़िक्र नहीं था.

ये विधेयक लोकसभा में तो पारित हो गया लेकिन राज्य सभा में लटक गया, इसके बाद चुनाव आ गए.

चूंकि एक ही सरकार के कार्यकाल में के दौरान ये विधेयक दोनों सदनों से पारित होकर राष्ट्रपति की मंज़ूरी के लिए नहीं पहुंच पाया इसलिए बिल निष्प्रभावी हो गया और अब इसे फिर से लाया जा रहा है.

एनआरसी पर सियासत

नागरिकता बिल का विरोध
Getty Images
नागरिकता बिल का विरोध

पूर्वोत्तर राज्य, जहां इस आम चुनाव में भी बीजेपी को 25 में से 18 लोकसभा सीटें हासिल हुई थीं , वहाँ भी इस बिल का विरोध जारी है.

इन राज्यों के राजनीतिज्ञों, सामाजिक और स्वंयसेवी संस्थाओं ने गृहमंत्री अमित शाह से अपनी चिंताओं को लेकर मुलाक़ात भी की थी. उनकी चिंता है कि अगर बाहर के लोग- ख़ासतौर पर बांग्लादेश से आए हुए हिंदुओं को अगर भारतीय नागरिकता मिल जाएगी तो उससे क्षेत्र की आबादी का स्वरूप ही बदल जाएगा.

इसको लेकर बुधवार को भी असम के कई क्षेत्रों में विरोध हुए.

क्या नागरिकता संशोधन बिल से ख़तरे में हैं असमिया संस्कृति!

नागरिकता संशोधन विधेयक
BBC
नागरिकता संशोधन विधेयक

इस पर सवाल पूछे जाने पर प्रकाश जावडेकर ने कहा, 'मेरा विचार है कि जैसे ही बिल के सारे प्रावधान को देखेंगे तो असम, उत्तर-पूर्व, पूरा देश और पूरा समुदाय इसका स्वागत करेंगे.'

कहा जा रहा है कि संशोधित बिल में इन क्षेत्रों के लोगों के लिए कुछ विशेष प्रावधान किए गए हैं.

ख़बरों में दावा किया जा रहा है संशोधन के तहत विदेशी नागिरकों के लिए पूर्व के 11 सालों तक लगातार भारत में रहने की शर्त को बदल कर छह साल कर दिया गया है, और ये भी कि नए क़ानून में उन लोगों को नागरिकता का अधिकार मिल सकेगा जो भारत में 2014 से पहले आ चुके हैं.

शशि थरूर
Getty Images
शशि थरूर

मगर राजनीतिक दलों ने विरोध के स्वर उठाने शुरु कर दिए हैं.

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, 'मज़हब किसी की राष्ट्रीयता नहीं तय कर सकता है. हमारा देश सबके लिए है. ये बिल संविधान की मूलभूत भावना के विरूद्ध है.'

राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा कहना था कि ये भारत को इसराइल बनाने जैसा है - विशेष धर्म के लोगों के लिए ख़ास मुल्क.

सीपीआई ने पुराने बिल का विरोध किया था और इस बार भी पार्टी के महासचिव डी राजा ने कहा कि भीमराव अंबेडकर ने संविधान सभा में ज़ोर देकर धार्मिक मुल्क का विरोध किया था.

असम के एक सांसद का कहना था कि वो 1971 तक वहां आए गए लोगों को नागरिकता दिए जाने को तैयार हैं लेकिन ये तो 2014 तक की बात हो रही है.

असम में तो इसी मामले के निपटारे के नाम पर नागरिकता रजिस्टर को अपडेट किया गया और अभी भी 19 लाख लोग इससे बाहर हैं. लेकिन अब ख़ुद बीजेपी की असम सरकार के मंत्री इस एनआरसी को मानने से मना कर रहे हैं.

आम राय है कि इसकी एक बड़ी वजह दूसरों के मुक़ाबले हिंदुओं का बड़ी तादाद में एनआरसी से बाहर होना है.

असम में तो ग़ैर-क़ानूनी नागरिकों को लेकर 90 के दशक में बड़ा आंदोलन हुआ था और उस आंदोलन में अगुवा रही असम गण परिषद बीजेपी के साथ सरकार में शामिल है लेकिन वो भी नए बिल का विरोध कर रही है.

बल्कि इस मामले पर तो पूर्व मुख्य मंत्री प्रफुल कुमार महंत ने तो देश के कई दलों को अपने साथ मिलाने की मुहिम भी चलाई थी और इसी सिलसिले में बीजेपी की दूसरी साझा पार्टी जनता दल यूनाइटेड से भी मुलाक़ात की थी.

जदयू ने भी बिल में धार्मिक आधार पर होनेवाले भेदभाव के नाम पर बिल का विरोध करने की बात कही है.

कई जगहों पर माना जा रहा है कि नागरिकता संशोधन क़ानून-एनआरसी का पार्ट टू है - जिसकी बात अब अमित शाह पूरे देश के लिए कर रहे हैं.

एनआरसी का ध्येय है ग़ैर-क़ानूनी तौर से भारत में रह रहे लोगों को देश से बाहर करना. लेकिन नागिरकता क़ानून उनमें से एक मज़हब यानी मुसलमानों को छोड़कर दूसरे धर्मावलंबियों का नागिरकता देने का वादा है.

BBC Hindi
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Citizenship Amendment Bill: Who stands in opposition to the government?
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X