शिवसेना ने किया खुलासा, नागरिकता संशोधन बिल पर क्यों किया BJP का समर्थन
शिवसेना ने खुलासा किया है कि उसने लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पर भाजपा का समर्थन क्यों किया।
नई दिल्ली। विपक्ष के विरोध और भारी हंगामे के बीच नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा में पास हो गया। लोकसभा में इस बिल के पक्ष में 311 वोट पड़े, जबकि 80 सांसदों ने इसके खिलाफ मतदान किया। लोकसभा में पास होने के बाद अब इस बिल को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। नागरिकता संशोधन बिल पर भाजपा को अपने पुराने सहयोगी शिवसेना का भी साथ मिला। हालांकि सोमवार सुबह शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा था कि यह बिल हिंदुओं और मुसलमानों के 'अदृश्य विभाजन' का कारण बन सकता है, लेकिन पार्टी ने लोकसभा में बिल का समर्थन किया। शिवसेना ने अब खुलासा किया है कि उसने लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पर भाजपा का समर्थन क्यों किया।
शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने बताई वजह
एनडीटीवी की खबर के मुताबिक, शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने बिल को लेकर बताया, 'हमने राष्ट्र के हित में नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन किया। कांग्रेस और एनसीपी के साथ 'न्यूनतम साझा कार्यक्रम' केवल महाराष्ट्र में लागू है।' आपको बता दें लोकसभा में शिवसेना के 18 सांसद हैं। अरविंद सावंत शिवसेना के इकलौते सांसद थे, जो केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल थे। शिवसेना के एनडीए से अलग होने के बाद अरविंद सावंत ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। महाराष्ट्र में शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई हुई है।
ये भी पढ़ें- लोकसभा स्पीकर ने ओवैसी से क्यों कहा- 'इस तरह की भाषा का इस्तेमाल मत कीजिए'
क्या महाराष्ट्र में भी बदलेगा शिवसेना-भाजपा का रुख?
लोकसभा में शिवसेना के समर्थन पर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, 'मैं शिवसेना का शुक्रगुजार हूं। शिवसेना ने इस बात को समझा कि यह बिल राष्ट्र के हित में है और उन्होंने इसका समर्थन किया। जहां तक हमारा सवाल है, मैंने सभी दलों से सरकार का समर्थन करने की अपील की थी।' प्रह्लाद जोशी से जब पूछा गया कि क्या महाराष्ट्र में भी शिवसेना और भाजपा के रुख में बदलाव देखने को मिलेगा? इसपर प्रह्लाद जोशी ने कहा, 'यह सवाल आपको शिवसेना से पूछना होगा। मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि लोकसभा में शिवसेना का समर्थन राज्य की राजनीति से अलग है।
समर्थन से पहले शिवसेना ने विरोध में कही थी ये बात
आपको बता दें कि इससे पहले शिवसेना ने इस बिल पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या इस बिल का उद्देश्य 'वोट बैंक बनाना' है। अगर ऐसा है तो यह बिल देश के लिए ठीक नहीं है। शिवसेना ने हालांकि सीधे तौर पर बिल का विरोध नहीं किया, लेकिन अपने मुखपत्र सामना में लिखा, 'गृह मंत्री अमित शाह से हमारी मांग है कि अगले 25 सालों के लिए नए नागरिकों को मतदान का अधिकार ना दिया जाए। क्या यह स्वीकार्य है?' शिवसेना ने मोदी सरकार के इस कदम पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें डर है कि हिंदू अवैध प्रवासियों की चयनात्मक स्वीकृति देश में एक धार्मिक युद्ध को बढ़ावा देने का काम करेगी। सामना में मोदी सरकार को यह भी चेतावनी दी गई कि यह बिल हिंदुओं और मुसलमानों के 'अदृश्य विभाजन' का कारण बन सकता है।
केवल एक विवादास्पद कदम साबित होगा ये बिल- शिवसेना
शिवसेना ने कहा कि नागरिकता संशोधन बिल से वोट बैंक की राजनीति को बढ़ावा मिल सकता है, जो देश के हितों के खिलाफ है। इसके अलावा शिवसेना ने बिल की टाइमिंग को लेकर भी सवाल खड़े किए। शिवसेना ने कहा, 'इस समय हमारा देश कई समस्याओं से जूझ रहा है और ऐसे में नागरिकता संशोधन बिल केवल एक विवादास्पद कदम साबित होगा।' शिवसेना ने कश्मीरी पंडितों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि घाटी में कश्मीरी पंडितों को बसाने के लिए सरकार कुछ कर रही है या नहीं?
सताए हुए लोगों को नागरिकता देने के लिए बिल- शाह
वहीं, अमित शाह ने बिल पर लोकसभा में कहा, 'अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, ईसाइयों, पारसियों और जैन समुदाय के लोगों के साथ भेदभाव किया गया है। यह बिल इन सताए हुए लोगों को नागरिकता देगा। साथ ही यह आरोप कि यह बिल मुसलमानों के अधिकारों को छीन लेगा, बिल्कुल गलत है। आज हमें इस विधेयक की आवश्यकता क्यों पड़ी? आजादी के बाद यदि कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश का विभाजन नहीं किया होता, तो, आज हमें इस विधेयक की आवश्यकता नहीं होती। कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश का विभाजन किया।' बिल पर चर्चा के दौरान अमित शाह ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी बांग्लादेश के बारे में कानून लेकर आईं, लेकिन पाकिस्तान से आए लोगों के लिए क्यों नहीं लेकर आईं। अमित शाह ने कहा कि युगांडा से आए लोगों को भी कांग्रेस सरकार में नागरिकता दी गई। इंग्लैंड से आए लोगों को क्यों नहीं?
ये भी पढ़ें- नागरिकता संशोधन बिल पर शिवसेना ने खोले अपने पत्ते, अमित शाह से की ये मांग